सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन (तस्वीर क्रेडिट@gateposts_)

एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी: भारत-इंग्लैंड टेस्ट प्रतिद्वंद्विता को दी गई नई पहचान

नई दिल्ली,6 जून (युआईटीवी)- भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट में दशकों पुरानी ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता को अब एक नई पहचान मिल गई है। यह प्रतिष्ठित श्रृंखला अब “एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी” के नाम से जानी जाएगी। इंग्लैंड के दिग्गज तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन और भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के सम्मान में इस ट्रॉफी का नामकरण किया गया है। यह कदम भारत और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई और ईसीबी ने मिलकर उठाया है और यह टेस्ट क्रिकेट की विरासत को और मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

यह ऐतिहासिक घोषणा आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल 2025 से पहले की गई। 11 जून से शुरू होने वाले इस फाइनल मुकाबले के दौरान ही लॉर्ड्स मैदान में ट्रॉफी का आधिकारिक अनावरण किया जाएगा। अनावरण खुद सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन द्वारा किया जाएगा,जो इस पहल की गरिमा और महत्व को और भी बढ़ाता है।

इस ट्रॉफी का पहला संस्करण 20 जून 2025 से शुरू होने वाली पाँच मैचों की टेस्ट सीरीज़ से होगा,जो लीड्स के हेडिंग्ले मैदान से शुरू होगी। यह सीरीज 2025-27 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र का पहला बड़ा मुकाबला भी होगी।

इस ट्रॉफी का नाम दो क्रिकेट दिग्गजों सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन के नाम पर रखा गया है,जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट को नई ऊँचाइयाँ दीं।

सचिन तेंदुलकर:
टेस्ट करियर: 1989 से 2013
टेस्ट मैच: 200
रन: 15,921
शतक: 51
अर्धशतक: 68

तेंदुलकर को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में क्रिकेट का देवता माना जाता है। उनका तकनीकी कौशल,अनुशासन और रन बनाने की निरंतरता ने उन्हें टेस्ट क्रिकेट का प्रतीक बना दिया।

जेम्स एंडरसन:
टेस्ट करियर: 2003 से 2024
टेस्ट मैच: 188
विकेट: 704
5 विकेट एक पारी में: 32 बार

एंडरसन ने अपने स्विंग और सटीक लाइन-लेंथ से तेज गेंदबाजी को एक नया स्तर दिया। वे टेस्ट इतिहास के सबसे सफल तेज गेंदबाज हैं और हाल ही में जुलाई 2024 में संन्यास लिया।

अब तक भारत और इंग्लैंड के बीच की टेस्ट सीरीज को दो अलग-अलग ट्रॉफियों के लिए खेला जाता था। इंग्लैंड में खेले जाने पर पटौदी ट्रॉफी (भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी के नाम पर) और भारत में खेले जाने पर एंथनी डी मेलो ट्रॉफी (भारतीय क्रिकेट प्रशासन के संस्थापक के नाम पर)।

इस बिखरे हुए स्वरूप के कारण सीरीज की निरंतरता और वैश्विक पहचान नहीं बन पाई थी। अब एक ट्रॉफी के माध्यम से यह सीरीज टेस्ट क्रिकेट की विरासत में एक विशेष स्थान बनाएगी,जैसा कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी या एशेज का होता है।

टेस्ट क्रिकेट में हाल के वर्षों में सीरीज का नाम महान खिलाड़ियों के नाम पर रखने की परंपरा बढ़ी है। इसका उद्देश्य न केवल खिलाड़ियों को सम्मानित करना है बल्कि युवा पीढ़ी को खेल की विरासत से जोड़ना भी है। जैसे भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी और 2024 में मार्टिन क्रो और ग्राहम थोर्प के नाम पर शुरू हुई इंग्लैंड-न्यूजीलैंड के बीच क्रो-थोरपे ट्रॉफी। अब एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी भी इसी कड़ी में जुड़ गई है।

लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड को “क्रिकेट का मक्का” कहा जाता है और यह ऐतिहासिक स्थल इस तरह की बड़ी घोषणाओं के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। तेंदुलकर और एंडरसन दोनों ने यहाँ ऐतिहासिक प्रदर्शन किए हैं और लॉर्ड्स में ट्रॉफी का अनावरण टेस्ट क्रिकेट के गौरव को सम्मान देने जैसा है।

भारत और इंग्लैंड के बीच पहली टेस्ट सीरीज 1932 में खेली गई थी। तब से अब तक दोनों देशों के बीच 130 से अधिक टेस्ट मैच हो चुके हैं। यह मुकाबला केवल दो देशों के बीच खेल नहीं,बल्कि दो क्रिकेट संस्कृतियों के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है।

सिर्फ रिकॉर्ड्स की दृष्टि से नहीं,बल्कि भावनात्मक रूप से भी इस प्रतिद्वंद्विता का महत्व बहुत बड़ा है और अब एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी इस ऐतिहासिक युद्ध को एक नया सम्मान और पहचान देगी।

“एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी” न केवल एक नई शुरुआत है,बल्कि टेस्ट क्रिकेट को पुनः लोकप्रिय और गर्वजनक बनाने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है। जेम्स एंडरसन की अटूट मेहनत और सचिन तेंदुलकर की महानता को इस ट्रॉफी के माध्यम से हमेशा के लिए अमर कर दिया गया है।

इस ट्रॉफी के तहत जब भारत और इंग्लैंड भविष्य में आमने-सामने होंगे,तो वह केवल एक श्रृंखला नहीं होगी,बल्कि यह दो महान विरासतों की टक्कर होगी। वह विरासत जिसे एंडरसन और तेंदुलकर ने अपने पसीने और समर्पण से रचा है।

अब दुनिया की निगाहें 20 जून से शुरू हो रही पहली एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी टेस्ट सीरीज पर होंगी,जहाँ इतिहास फिर से लिखा जाएगा।