नई दिल्ली,31 जुलाई (युआईटीवी)- बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज हो गई हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य की मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान चलाया है,जिसका प्रारंभिक चरण अब पूरा हो चुका है। आयोग ने घोषणा की है कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की जाएगी। यह मसौदा सूची राज्य के सभी 38 जिलों के मतदाताओं के लिए अहम दस्तावेज होगी,जिसके आधार पर आगामी चुनावों में मताधिकार सुनिश्चित किया जाएगा।
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मसौदा मतदाता सूची को आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी देखा जा सकेगा। इसके साथ ही,सभी 38 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) द्वारा मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों को इसकी फिजिकल और डिजिटल कॉपियाँ भी प्रदान की जाएँगी। यह व्यवस्था पारदर्शिता और राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि एक अगस्त से लेकर एक सितंबर 2025 तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने,नाम हटाने अथवा किसी प्रकार की प्रविष्टि में सुधार के लिए दावे और आपत्तियाँ आमंत्रित की जाएँगी। इसके लिए राज्य के 243 निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ईआरओ) नियुक्त किए गए हैं,जो संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में प्राप्त आवेदनों पर कार्यवाही करेंगे।
विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य राज्य में निष्पक्ष और अद्यतन मतदाता सूची तैयार करना है। इस अभियान के अंतर्गत व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण और सत्यापन का कार्य किया गया,ताकि मृत,स्थानांतरित अथवा अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें और नए पात्र नागरिकों के नाम जोड़े जा सकें।
हालाँकि,इस प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चिंता भी व्यक्त की गई। बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें यह आशंका जताई गई थी कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रकार की सामूहिक बहिष्कार या बड़े स्तर पर मतदाताओं को सूची से बाहर करने की स्थिति सामने आती है,तो वह हस्तक्षेप करेगी। अदालत की यह टिप्पणी निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में एक अहम संकेत मानी जा रही है।
बिहार में राजनीतिक हलचल भी इस प्रक्रिया को लेकर तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से अपील की है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटने न पाए और पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता से संचालित की जाए। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और सीमावर्ती जिलों में कई बार नाम छूटने की शिकायतें सामने आती रही हैं,जिनसे बचने के लिए आयोग को विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.5 करोड़ से अधिक मानी जा रही है,जिसमें से हर वोट निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इसलिए चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह मतदाता सूची को समय पर,सटीक और व्यापक रूप से अद्यतन करे। मसौदा सूची के बाद प्राप्त दावों और आपत्तियों पर विचार कर अंतिम मतदाता सूची सितंबर के अंत तक प्रकाशित किए जाने की संभावना है।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम तिमाही में कराए जा सकते हैं। ऐसे में मतदाता सूची का समयबद्ध प्रकाशन और संशोधन एक अहम चरण है,जो राज्य के लोकतांत्रिक भविष्य की दिशा तय करेगा। मतदाताओं को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका नाम सूची में शामिल है और उसमें कोई त्रुटि नहीं है। इसके लिए वे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भी अपना विवरण देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सुधार हेतु आवेदन कर सकते हैं।
बिहार में चुनावी गतिविधियों की गूँज के बीच मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन एक बड़ा कदम है,जो लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती और निष्पक्ष चुनाव की नींव रखेगा।