नई दिल्ली,31 जुलाई (युआईटीवी)- भारत सरकार द्वारा आगामी 1 अगस्त 2025 से बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम,2025 को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह अधिनियम देश की बैंकिंग प्रणाली में प्रशासनिक पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस अधिनियम के माध्यम से सार्वजनिक और सहकारी बैंकों के नियामक ढाँचे में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं,जो लंबे समय से लंबित थे।
यह अधिनियम 15 अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया गया था,जिसमें कुल पाँच प्रमुख बैंकिंग कानूनों में 19 संशोधन किए गए हैं। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम,1934,बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम,1955 और बैंकिंग कंपनियाँ (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम,1970 और 1980 शामिल हैं। सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से भारतीय बैंकिंग तंत्र अधिक उत्तरदायी,पारदर्शी और समयानुकूल बन सकेगा।
इस अधिनियम के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक बैंकिंग प्रणाली में “पर्याप्त ब्याज” की परिभाषा में परिवर्तन है। अब तक यह सीमा 5 लाख रुपए थी,जो कि वर्ष 1968 से अपरिवर्तित चली आ रही थी। संशोधन के तहत इसे बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए कर दिया गया है,जिससे बड़ी राशि निवेश करने वाले जमाकर्ताओं और हितधारकों को बेहतर सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।
सहकारी बैंकों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। इनमें निदेशकों,विशेष रूप से अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर,अन्य निदेशकों के कार्यकाल को अधिकतम 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। यह संशोधन संविधान के 97वें संशोधन के अनुरूप किया गया है,जिसका उद्देश्य सहकारी संस्थाओं में पारदर्शी और स्थायी नेतृत्व को प्रोत्साहन देना है।
इसके अलावा,इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अब कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निजी कंपनियों की तरह बिना दावे वाले शेयरों,ब्याज और बॉन्ड रिडेम्पशन राशि को इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (आईईपीएफ) में स्थानांतरित करने की अनुमति होगी। इससे वित्तीय प्रणाली में जमाकर्ताओं के धन की बेहतर निगरानी और उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
लेखा परीक्षा और लेखा पारदर्शिता की दिशा में भी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक उच्च गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षा पेशेवरों की नियुक्ति करने में सक्षम होंगे,साथ ही वैधानिक लेखा परीक्षकों को पारिश्रमिक देने की प्रक्रिया अधिक व्यावहारिक और पारदर्शी हो सकेगी। इससे बैंकिंग क्षेत्र में ऑडिट क्वालिटी में व्यापक सुधार होने की उम्मीद है,जो निवेशकों और नियामकों के विश्वास को और मजबूत करेगा।
सरकार का यह भी मानना है कि ये सभी प्रावधान भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को वैश्विक मानकों के करीब लाने में मदद करेंगे। मंत्रालय के बयान के अनुसार,बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के कानूनी,नियामक और प्रशासनिक ढाँचे को मजबूती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह कदम वित्तीय समावेशन और वित्तीय स्थिरता को भी मजबूती देगा,जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 15, 16, 17, 18, 19 और 20 के प्रावधानों के लागू होने की तिथि 1 अगस्त 2025 अधिसूचित की है। इसकी अधिसूचना 29 जुलाई 2025 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अधिनियम लंबे समय से बैंकिंग क्षेत्र में अपेक्षित सुधारों को गति देगा। खासकर सहकारी बैंकों में प्रबंधन की गुणवत्ता,सार्वजनिक बैंकों में लेखा परीक्षा की पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की सुरक्षा जैसे पहलुओं को संबोधित करना इस अधिनियम की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि इन प्रावधानों का व्यावहारिक कार्यान्वयन किस तरह से बैंकिंग तंत्र को प्रभावित करता है,लेकिन शुरुआती संकेत सकारात्मक माने जा रहे हैं।