17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (तस्वीर क्रेडिट@blvermaup)

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में पीएम मोदी का संबोधन: “मानवता पहले” के दृष्टिकोण के साथ वैश्विक दक्षिण के लिए भारत की रणनीति

नई दिल्ली,8 जुलाई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6-7 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो-डी-जनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने ‘पर्यावरण,सीओपी-30 और वैश्विक स्वास्थ्य’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आयोजित विशेष सत्र में भारत का दृष्टिकोण वैश्विक मंच के सामने रखा। पीएम मोदी के विचारों ने भारत की वैश्विक भूमिका,जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर देश की प्रतिबद्धता को दर्शाया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के दौरान घोषणा की कि भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता “मानवता पहले” के मूल मंत्र पर आधारित होगी,जिसमें वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखा जाएगा। उनका यह वक्तव्य उस नई दिशा की ओर संकेत करता है,जिसमें ब्रिक्स न केवल आर्थिक सहयोग का मंच रहेगा,बल्कि सामाजिक न्याय,समावेश और सतत विकास जैसे मुद्दों का नेतृत्व भी करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ब्रिक्स को एक नए और अधिक प्रभावशाली मंच के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करेगा,ताकि यह विकासशील देशों की वास्तविक जरूरतों और चुनौतियों को अंतरराष्ट्रीय नीति में प्रमुखता दिला सके।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन केवल ऊर्जा और उत्सर्जन से जुड़ा हुआ तकनीकी या आर्थिक मुद्दा नहीं है,बल्कि यह जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन का नैतिक दायित्व है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु न्याय केवल पर्यावरण की रक्षा का प्रश्न नहीं है,बल्कि यह मानवता के उज्ज्वल भविष्य से जुड़ा हुआ सवाल है।

उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त कर लिया है और अब देश ने कई अंतर्राष्ट्रीय पहलों के नेतृत्व की जिम्मेदारी ली है, जिनमें वैश्विक सौर गठबंधन (आईएसए),आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई),ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस,बिग कैट अलायंस,मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली),“एक पेड़ माँ के नाम” अभियान शामिल हैं।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सस्ती वित्तीय मदद और तकनीकी हस्तांतरण की ज़रूरत है। उन्होंने ब्रिक्स द्वारा विकसित किए गए जलवायु वित्त ढाँचे को एक सकारात्मक पहल करार दिया और उम्मीद जताई कि यह ढाँचा भविष्य में जलवायु न्याय को बढ़ावा देगा।

ग्लोबल हेल्थ सेक्टर पर बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के मंत्र “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की चर्चा की और बताया कि कैसे कोविड महामारी के समय भारत ने 150 से अधिक देशों को वैक्सीन,दवाइयों और चिकित्सा सहायता पहुँचाई।

उन्होंने बताया कि भारत की डिजिटल हेल्थ योजनाएँ,जैसे कि आयुष्मान भारत,अब 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करती हैं। इसके अलावा,उन्होंने भारत के पारंपरिक चिकित्सा तंत्र जैसे-आयुर्वेद,योग,यूनानी और सिद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत इन पद्धतियों को वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ साझा करने को तैयार है।

पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स द्वारा स्थापित वैक्सीन अनुसंधान और विकास केंद्र (2022) और वर्तमान में चल रही पहल “सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए ब्रिक्स साझेदारी” समूह के सहयोग को और मज़बूत करती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रिक्स को केवल नीतिगत मंच ही नहीं,बल्कि क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी सहयोग और सतत नवाचार का प्लेटफॉर्म बनाना होगा।

ब्रिक्स सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया पहुँचे, जहाँ उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य भारत-ब्राजील संबंधों को और अधिक मजबूत बनाना था। दोनों नेताओं ने व्यापार,जलवायु परिवर्तन,कृषि,ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत ने जैसे जी -20 की अध्यक्षता में वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद किया,उसी तरह अब ब्रिक्स की अध्यक्षता में भी भारत पूरी दुनिया के साथ “मानवता पहले” के दृष्टिकोण से काम करेगा।

रियो-डी-जनेरियो में प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन और उनकी प्रस्तावित ब्रिक्स अध्यक्षता यह स्पष्ट करती है कि भारत अब केवल एक विकासशील देश नहीं,बल्कि वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है। पर्यावरण,स्वास्थ्य और वैश्विक सहयोग के मुद्दों पर भारत की सक्रियता,उसकी जिम्मेदारी और दीर्घकालिक रणनीति को दर्शाती है।

“मानवता पहले” का दृष्टिकोण ब्रिक्स जैसे मंच को केवल रणनीतिक और आर्थिक सीमाओं से ऊपर उठाकर,सामाजिक और नैतिक दायित्वों के तहत जोड़ने का प्रयास है,जो भविष्य में न केवल वैश्विक दक्षिण बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नया रास्ता तैयार कर सकता है।