बीड़ी पर जीएसटी घटाने की मांग

चेन्नई, 23 फरवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| उद्योग जगत ने बीड़ी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर को 28 प्रतिशत से कम करने की मांग की है। एक पैनल चर्चा के दौरान उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि बीड़ी के मौजूदा 28 प्रतिशत जीएसटी दर के स्लैब में रहने से यह उद्योग संगठनात्मक श्रेणी से हटकर गैर संगठनात्मक श्रेणी की ओर जा रहा है और इससे महिलाओं तथा इस व्यवसाय से जुड़े अन्य कामगारों को कई तरह का नुकसान हो रहा है। असंगठित श्रेणी के कारोबार में उन्हें प्रोविडेंट फंड, अवकाश, बोनस, ग्रैच्युटी, बीमा आदि नहीं दिया जाता है।

उन्होंने साथ कहा कि भारत से खाड़ी देशों, सिंगापुर, वेस्ट इंडीज, नीदरलैंड, फ्रांस और अमेरिका को बीड़ी निर्यात की जाती है।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ अश्वनी महाजन ने कहा कि बीड़ी पर अधिक जीएसटी की दर उद्योग के साथ साथ कामगारों के लिये भी नुकसानदायक है। बीड़ी के उत्पादन से भारत में करीब 90 लाख से एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। माओवादियों के वर्चस्व वाले इलाकों में जहां रोजगार का अन्य कोई विकल्प नहीं है, वहां की महिलायें बीड़ी उद्योग से जुड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि बीड़ी पर जीएसटी के मौजूदा दर को कम करना जरूरी है नहीं तो इससे चीन से आयातित सस्ते सिगरेट को बढ़ावा मिलेगा।

अखिल भारतीय बीड़ी उद्योग महासंघ के संयुक्त सचिव अर्जुन खन्ना ने कहा कि यह उद्योग राजस्व बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ ही देश के सुदूरवर्ती इलाकों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद खलीलुर रहमान ने कहा कि बीड़ी पश्चिम बंगाल के 20 लाख से अधिक परिवारों के लिये आय का मुख्य स्रोत है। इस उद्योग के बंद होने से इन परिवारों की आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि केंद्र सरकार ने इन परिवारों के लिये कोई अन्य विकल्प नहीं मुहैया कराया है।

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