मुंबई,5 दिसंबर (युआईटीवी)- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। फडणवीस ने इस महत्वपूर्ण मौके से पहले मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया। एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी उनके साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में शाम 5:30 बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन होगा,जहाँ यह सियासी बदलाव हो रहा है।
देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनने वाली यह सरकार भाजपा,शिंदे गुट और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के सहयोग से गठित हो रही है। इस गठबंधन को महायुति के नाम से जाना जा रहा है और इसका उद्देश्य महाराष्ट्र के विकास में तेजी लाना है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से फडणवीस, शिंदे और पवार ने 4 दिसंबर को मुलाकात की और राज्य में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया था। फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा था कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कल शाम 5:30 बजे नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। महायुति कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुसार मैंने एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर उन्हें इस सरकार में शामिल होने का अनुरोध किया। महाराष्ट्र की जनता से हमने जो भी वादे किए हैं,उन वादों को हम जरूर पूरा करेंगे।
बुधवार को फडणवीस को महाराष्ट्र भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया था। फडणवीस का मुख्यमंत्री के रूप में यह तीसरा कार्यकाल शुरू होगा। फडणवीस की इस तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की खबर राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह निर्णय कई दिनों की चर्चा और अनिश्चितताओं के बाद आया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री बनने के लिए उत्सुक एकनाथ शिंदे ने इस मामले में भाजपा से समर्थन का अनुरोध किया था,लेकिन भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर अपने नेता के तौर पर फडणवीस को बनाए रखने का फैसला किया। इस पर शिंदे ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद का समर्थन करेंगे।
भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज कर राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। भाजपा ने 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटों पर जीत हासिल की,जो पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जो राज्य की राजनीति में उसके मजबूत जनाधार को दर्शाता है। इस चुनावी जीत से भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है और यह महाराष्ट्र के आगामी राजनीतिक मार्गदर्शन को तय करेगा।
वहीं, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को इस चुनाव में बड़ा झटका लगा। एमवीए के प्रमुख घटक कांग्रेस को सिर्फ 16 सीटें मिलीं,जबकि शिवसेना (यूबीटी) को 20 सीटें ही हासिल हो पाईं। एनसीपी (शरद पवार गुट) को केवल 10 सीटें मिलीं, जो पार्टी के लिए निराशाजनक परिणाम था। इस चुनाव में मिली हार ने एमवीए गठबंधन के भीतर खलबली मचा दी है और विपक्षी पार्टियों को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
यह राजनीतिक बदलाव न केवल महाराष्ट्र की सरकार को प्रभावित करेगा,बल्कि राज्य के भीतर राजनीति के नए समीकरण भी स्थापित करेगा। भाजपा के सत्ता में आने से राज्य की विकास योजनाओं में तेजी आ सकती है,लेकिन इसे विपक्षी दलों से कड़ी चुनौती का सामना भी करना पड़ेगा। इसके अलावा,महायुति गठबंधन की स्थिरता और शिंदे गुट का सहयोग भी आगामी समय में महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस की भूमिका और उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि राज्य की राजनीति में उनके अनुभव और कड़े फैसले पहले ही चर्चा का विषय रहे हैं। उनका तीसरा कार्यकाल राज्य के विकास की दिशा को प्रभावित कर सकता है और महाराष्ट्र की राजनीति में नए बदलाव ला सकता है।