नीरज चोपड़ा (तस्वीर क्रेडिट@DrKirodilalBJP)

दोहा डायमंड लीग 2025 में ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने पहली बार 90 मीटर के पार भाला फेंक रचा इतिहास,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई

नई दिल्ली,17 मई (युआईटीवी)- दोहा डायमंड लीग 2025 में भारत के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने 90.23 मीटर का भाला फेंककर एक बार फिर इतिहास रचते हुए न केवल अपना पर्सनल बेस्ट हासिल किया,बल्कि विश्व एथलेटिक्स में भारत की प्रतिष्ठा को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। हालाँकि,वे इस शानदार थ्रो के बावजूद गोल्ड मेडल से चूक गए और सिल्वर से संतोष करना पड़ा,लेकिन इस उपलब्धि ने उन्हें एक खास क्लब 90 मीटर क्लब में शामिल कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीरज के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) के अपने आधिकारिक हैंडल से बधाई दी। उन्होंने इसे “शानदार व्यक्तिगत उपलब्धि” बताते हुए नीरज को भारत का गर्व कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल एक थ्रो नहीं है,बल्कि देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है।

नीरज चोपड़ा लंबे समय से 90 मीटर पार करने के करीब थे। 2022 के स्टॉकहोम डायमंड लीग में उन्होंने 89.94 मीटर का थ्रो किया था,लेकिन कुछ सेंटीमीटर की कमी हमेशा उनके लिए चुनौती बनकर सामने आती रही। यह आँकड़ा केवल एक तकनीकी लक्ष्य नहीं था,बल्कि एक मानसिक बाधा बन गया था,जिसे नीरज बार-बार तोड़ने की कोशिश करते रहे।

2025 के दोहा डायमंड लीग में,उन्होंने तीसरे प्रयास में जब 90.23 मीटर का थ्रो फेंका,तो स्टेडियम में मौजूद हर दर्शक तालियों और जयघोष से गूँज उठा। यह क्षण नीरज के करियर का मील का पत्थर बन गया।

नीरज चोपड़ा इस ऐतिहासिक थ्रो के बावजूद गोल्ड मेडल जीतने से चूक गए। जर्मनी के वेबर जूलियन ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में 91.06 मीटर का थ्रो फेंककर नीरज को पछाड़ दिया और गोल्ड अपने नाम कर लिया। नीरज प्रतियोगिता के पहले पाँच राउंड तक शीर्ष स्थान पर थे,लेकिन अंतिम क्षण में बाजी उनके हाथ से निकल गई।

हालाँकि,यह हार नहीं बल्कि सम्मानजनक संघर्ष था। खुद नीरज ने भी मैच के बाद कहा कि “90 मीटर पार करना मेरे लिए बहुत बड़ा लक्ष्य था। आज मैंने खुद को एक नई ऊँचाई पर देखा।”

नीरज के इस प्रदर्शन में उनके नए कोच जान जेलेज्नी की अहम भूमिका रही। चेक गणराज्य के जेलेज्नी तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं और खुद भी 98.48 मीटर का विश्व रिकॉर्ड रखते हैं। उन्होंने हाल ही में डॉ. क्लॉस बार्टोनिएट्ज की जगह नीरज की कोचिंग संभाली थी।

जेलेज्नी की तकनीकी समझ,मानसिक दृढ़ता पर काम और थ्रो की टाइमिंग पर दिया गया ध्यान नीरज के प्रदर्शन में साफ दिखा। खुद नीरज ने भी कहा, “जेलेज्नी सर ने मेरी तकनीक में बारीकी से सुधार किया और मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया।”

दोहा डायमंड लीग में इस बार मुकाबला बेहद कठिन था। नीरज का सामना दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक खिलाड़ियों से था:

* पीटर्स एंडरसन (ग्रेनेडा) – दो बार के वर्ल्ड चैंपियन और 2024 ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट

* याकुब वाडलेजच (चेकिया) –-2024 के दोहा लीग विजेता

* मैक्स डेह्निंग (जर्मनी)

*जूलियस येगो (केन्या) – पूर्व वर्ल्ड चैंपियन

*रोडरिक जेंकी डीन (जापान)

इन दिग्गजों के बीच नीरज का प्रदर्शन दिखाता है कि वह अब सिर्फ भारतीय स्टार नहीं,बल्कि विश्व स्तर के एथलीट हैं।

90 मीटर पार करने के साथ नीरज अब उस विशिष्ट वर्ग में शामिल हो गए हैं,जिसे “90 मीटर क्लब” कहा जाता है। इस क्लब में पहले से पाकिस्तान के अर्शद नदीम जैसे एथलीट शामिल हैं,जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक और अन्य प्रतियोगिताओं में यह दूरी पार की थी। नीरज की इस उपलब्धि से भारत को भाला फेंक में नई पहचान मिली है।

नीरज का यह थ्रो आने वाले पेरिस ओलंपिक 2028 और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए भी एक संकेत है। उन्होंने जिस आत्मविश्वास और स्थिरता के साथ थ्रो किया,वह दिखाता है कि वे अब अपने करियर के सर्वोच्च फॉर्म में हैं।

उनका अगला लक्ष्य अब गोल्ड मेडल जीतना और 90+ मीटर थ्रो को लगातार बनाए रखना होगा। उनकी ट्रेनिंग,तकनीक और फिटनेस को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि नीरज चोपड़ा निकट भविष्य में और भी बड़े रिकॉर्ड बना सकते हैं।

नीरज चोपड़ा का 90.23 मीटर का थ्रो सिर्फ एक आँकड़ा नहीं,बल्कि भारत की एथलेटिक विरासत का नया अध्याय है। यह थ्रो एक प्रतीक है उस मेहनत,जुनून और दृढ़ता का, जो किसी भी खिलाड़ी को साधारण से असाधारण बनाता है।

भले ही वह गोल्ड से चूक गए हों,लेकिन उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड स्थापित किया है,जो आने वाले वर्षों तक भारतीय खेलों को प्रेरणा देता रहेगा।

“नीरज अब सिर्फ गोल्डन बॉय नहीं, बल्कि एथलेटिक्स के शिखर पुरुष बन चुके हैं।”