वाशिंगटन,31 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक नया व्यापार समझौता हुआ है,जिसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान में मौजूद कथित “विशाल तेल भंडारों” का संयुक्त रूप से विकास करेंगे। यह घोषणा ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर की,जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक और व्यापारिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “हमने अभी-अभी पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता किया है। यह समझौता पाकिस्तान के विशाल तेल भंडारों के विकास के लिए है,जिसे अमेरिका की एक प्रमुख तेल कंपनी के साथ मिलकर अंजाम दिया जाएगा।” उन्होंने मजाकिया लहजे में यह भी जोड़ा,“कौन जानता है,शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को भी तेल बेचे।”
हालाँकि,ट्रंप ने जिन “विशाल तेल भंडारों” का जिक्र किया है,उनके स्थान और संभावित भंडारण क्षमता को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी साझा नहीं की गई है। वहीं,पाकिस्तान सरकार की ओर से इस समझौते को लेकर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है,लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता पाकिस्तान के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर हो सकता है,जो फिलहाल वित्तीय संकट और ऊर्जा संकट दोनों से जूझ रहा है।
पाकिस्तान अपनी अधिकांश तेल आपूर्ति मध्य पूर्व देशों से करता है,विशेषकर सऊदी अरब और यूएई से,लेकिन हाल के वर्षों में कई रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र और सीमावर्ती इलाकों में अभी तक अनदेखे और अंडरएक्सप्लोर्ड तेल और गैस भंडार हो सकते हैं। तकनीकी क्षमता और वित्तीय संसाधनों की कमी के चलते इन क्षेत्रों का दोहन अब तक संभव नहीं हो सका है। यही कारण है कि पाकिस्तान सरकार इन क्षेत्रों में विदेशी निवेश लाने की लगातार कोशिश कर रही है और ट्रंप द्वारा घोषित यह समझौता इस दिशा में अहम माना जा रहा है।
इस व्यापार समझौते के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया। एक अन्य पोस्ट में उन्होंने भारत की व्यापार नीतियों को “सबसे कठिन और अपमानजनक” बताया। ट्रंप ने लिखा, “कुछ भी ठीक नहीं चल रहा! इसलिए भारत को अब 1 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ देना होगा। साथ ही ऊपर बताई गई वजहों के लिए एक अतिरिक्त जुर्माना भी लगेगा।” उन्होंने दावा किया कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन में भारी असमानता पैदा की है और यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
ट्रंप ने दिनभर भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए जाने वाले टैरिफ को मुद्दा बनाया और बार-बार इसकी आलोचना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे देश अमेरिका से फायदा उठाते हैं,लेकिन जवाब में अमेरिका के हितों की अनदेखी करते हैं। ट्रंप के इस रुख को आने वाले अमेरिकी चुनावों की दृष्टि से भी देखा जा रहा है, जहाँ वे एक बार फिर ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
इतना ही नहीं,ट्रंप ने भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स समूह— ब्राज़ील,रूस,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका को भी अपने निशाने पर लिया। उन्होंने ब्रिक्स को “अमेरिका विरोधी गठबंधन” करार देते हुए कहा कि यह समूह अमेरिका के वैश्विक प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है,जब ब्रिक्स अपनी सदस्यता विस्तार की दिशा में आगे बढ़ रहा है और वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की निर्भरता को कम करने के उपाय कर रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के ये बयान और घोषणाएँ सिर्फ आर्थिक नहीं,बल्कि रणनीतिक संकेत भी देती हैं। एक ओर पाकिस्तान के साथ तेल विकास समझौते से अमेरिका दक्षिण एशिया में अपनी ऊर्जा रणनीति को पुनर्संतुलित करने की कोशिश कर रहा है,वहीं दूसरी ओर भारत पर दबाव बनाकर व्यापारिक लाभ और रणनीतिक बढ़त हासिल करने की तैयारी में है।
हालाँकि,भारत सरकार की ओर से अभी तक ट्रंप के बयानों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है,लेकिन विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय दोनों स्तरों पर इस मामले पर नजर रखी जा रही है। संभावना है कि आने वाले दिनों में भारत इस मुद्दे पर कूटनीतिक और व्यापारिक प्रतिक्रिया देगा।
फिलहाल यह स्पष्ट हो चुका है कि डोनाल्ड ट्रंप की ये घोषणाएँ वैश्विक कूटनीति और व्यापार पर गंभीर असर डालने की क्षमता रखते हैं। पाकिस्तान के साथ हुआ यह नया समझौता,भारत के प्रति सख्त रुख और ब्रिक्स के खिलाफ बयान,ये तीनों ही घटनाक्रम आने वाले समय में दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं।