हेलसिंकी,20 मार्च (युआईटीवी)- यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में घोषणा की कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात करेंगे। जेलेंस्की ने ट्रंप से यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष के बीच युद्धविराम की निगरानी करने की अपील की। यह बातचीत व्हाइट हाउस में पिछले महीने हुई झड़प के बाद पहली बार ट्रंप के साथ जेलेंस्की की प्रत्यक्ष बातचीत होगी।
जेलेंस्की ने कहा कि वह पुतिन और ट्रंप के बीच हुई पिछली बातचीत के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उनसे चर्चा करेंगे। उनका यह भी कहना था कि यूक्रेन युद्धविराम के तकनीकी पहलुओं पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक नए दौर की बातचीत की तैयारी कर रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति शांति की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की मदद चाहते हैं।
इससे पहले,दोनों देशों के नेता,मॉस्को और कीव ने एक-दूसरे पर ऊर्जा ढाँचे पर हवाई हमले करने का आरोप लगाया था। यह आरोप तब लगे थे,जब दोनों देशों ने युद्धविराम पर आंशिक सहमति जताई थी,खासकर ऊर्जा ढाँचों पर हमलों को रोकने को लेकर। मॉस्को ने आरोप लगाया कि यूक्रेन ने दक्षिणी रूस में एक तेल पंपिंग स्टेशन पर हमला किया,जबकि कीव ने कहा कि रूस ने यूक्रेन के अस्पतालों और घरों पर हमले किए और रेलवे की बिजली आपूर्ति को बाधित कर दिया।
जेलेंस्की ने इस संदर्भ में कहा कि पुतिन के शब्द पर्याप्त नहीं हैं और यूक्रेन अब ऐसी ऊर्जा साइट्स की एक सूची तैयार करेगा,जिसकी निगरानी करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों को मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य “नियंत्रण” प्राप्त करना है,लेकिन इस प्रक्रिया के लिए उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रमुख एजेंट के रूप में नियुक्त करने का सुझाव दिया। जेलेंस्की का मानना था कि युद्धविराम की निगरानी का कार्य अमेरिका के नेतृत्व में होना चाहिए,ताकि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और प्रभावी रहे।
इसके अलावा,जेलेंस्की ने यह भी कहा कि यूक्रेन युद्धविराम के लिए प्रतिबद्ध होने को तैयार है,लेकिन इसके लिए जरूरी था कि रूस भी अपनी प्रतिबद्धता दिखाए। इस मुद्दे पर अमेरिका का समर्थन यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि यूक्रेन को लगता है कि रूस के साथ शांति स्थापित करने के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय मध्यस्थ की आवश्यकता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,मंगलवार को अमेरिकी और रूसी नेताओं के बीच एक टेलीफोन वार्ता भी हुई थी,जिसमें पुतिन ने 30 दिन के पूर्ण युद्धविराम के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। हालाँकि,यूक्रेन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। पुतिन ने कहा कि वह केवल ऊर्जा ढाँचे पर हमलों को रोकने पर सहमत हैं,लेकिन पूर्ण युद्धविराम की बात उन्होंने नकार दी। इस पर जेलेंस्की ने रूस की निंदा करते हुए कहा कि यूक्रेन युद्धविराम की व्यापक प्रक्रिया की ओर बढ़ने के लिए तैयार था, लेकिन मास्को के रवैये से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्धविराम को लेकर इन गतिरोधों और सहमतियों के बावजूद,युद्धविराम की ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका। जेलेंस्की का यह भी कहना था कि यदि रूस पूरी तरह से ऊर्जा ढाँचों पर हमले रोकने में गंभीर है,तो यूक्रेन शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए तैयार है,लेकिन इस समय यूक्रेन के लिए यह स्पष्ट है कि युद्धविराम और शांति के लिए अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी जाहिर होता है कि यूक्रेन के लिए युद्धविराम की प्रक्रिया केवल एक सैन्य संघर्ष से बाहर निकलने का रास्ता नहीं है,बल्कि यह राजनीतिक, कूटनीतिक और सामरिक पहलुओं पर भी निर्भर करती है। जेलेंस्की और पुतिन के बीच चल रही बातचीत के दौरान कई बार दोनों पक्षों ने युद्धविराम को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए हैं,जो इस संघर्ष की जटिलता को और बढ़ाते हैं।
यूक्रेन का इस संदेश स्पष्ट है कि यदि शांति प्रक्रिया को गति मिलनी है,तो इसके लिए अमेरिका की मध्यस्थता और सहयोग आवश्यक है। इसके साथ ही,रूस से अपेक्षाएँ भी हैं कि वह शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाए,खासकर ऊर्जा ढाँचे पर हमलों को रोकने में।