किसान समूहों

किसानों को विरोध करने का अधिकार, लेकिन अनिश्चित काल के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दोहराया कि किसान समूहों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चित काल तक सड़कों को अवरुद्ध नहीं रख सकते। शीर्ष अदालत ने नोएडा निवासी एक महिला द्वारा दायर याचिका पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), किसान संघों और अन्य किसान संघों से जवाब मांगा है, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि नोएडा से दिल्ली के बीच यातायात सुचारू रूप से चले। किसान समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि यदि रामलीला मैदान या जंतर मंतर पर धरना जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो सड़क नाकाबंदी समाप्त हो जाएगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी ओर से गणतंत्र दिवस की हिंसा का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि किसान संघों के वादे के बावजूद ऐसा हुआ। किसानों ने 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर रैली के दौरान कोई हिंसा नहीं होने का वचन दिया था।

पीठ में न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने किसान समूह के वकील से कहा कि उन्हें किसी भी तरह से आंदोलन करने का अधिकार हो सकता है लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, “लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है, इसे अवरुद्ध नहीं किया जा सकता।”

पीठ ने एसकेएम और अन्य किसान संघों को मामले में चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को निर्धारित की।

शीर्ष अदालत नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें किसान समूहों द्वारा सड़क नाकेबंदी के कारण दैनिक आवागमन में देरी की शिकायत की गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *