नई दिल्ली,23 जुलाई (युआईटीवी)- भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए एक अच्छी खबर आई है। ब्रिटेन स्थित प्रतिष्ठित हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के मिड-ईयर अपडेट में भारत ने आठ पायदान की बड़ी छलांग लगाई है और अब वह 77वें स्थान पर पहुँच गया है। यह छलांग इसलिए भी खास है क्योंकि पिछले छह महीनों में किसी भी देश की रैंकिंग में यह सबसे बड़ी वृद्धि है। इस साल की शुरुआत में भारत 85वें स्थान पर था और अब वह वीजा-मुक्त या आगमन पर वीजा की सुविधा वाले देशों की बढ़ती संख्या की वजह से एक बेहतर स्थिति में है।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के पासपोर्टों की एक वैश्विक रैंकिंग है,जिसमें यह देखा जाता है कि किसी पासपोर्ट के धारक को कितने देशों में बिना पूर्व वीजा के प्रवेश की सुविधा मिलती है। भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए यह रैंकिंग एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है क्योंकि अब भारतीय नागरिक 59 देशों में वीजा-मुक्त या ऑन-अराइवल वीजा की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। हाल ही में भारतीय पासपोर्ट के लिए दो और देशों ने आगमन पर वीजा की सुविधा दी है,जिससे भारत की पासपोर्ट शक्ति में और मजबूती आई है।
भारतीय पासपोर्ट धारकों को वीजा-मुक्त या ऑन-अराइवल वीजा की सुविधा देने वाले देशों में मलेशिया,इंडोनेशिया,मालदीव और थाईलैंड जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल शामिल हैं। इसके अलावा श्रीलंका,मकाऊ और म्यांमार जैसे देश आगमन पर वीजा की सुविधा देते हैं। इस बढ़ती पासपोर्ट शक्ति का सीधा असर भारतीय यात्रियों की यात्रा स्वतंत्रता पर पड़ रहा है और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए भारतीय पासपोर्ट की विश्वसनीयता में भी इजाफा हो रहा है।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के आँकड़ों पर आधारित है। यह ताजा रैंकिंग यह भी दर्शाती है कि एशियाई देशों की पासपोर्ट शक्ति लगातार बढ़ रही है। भारत के अलावा सऊदी अरब,संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ पासपोर्ट शक्ति के मामले में पारंपरिक दिग्गजों,जैसे अमेरिका और ब्रिटेन,के करीब पहुँचती जा रही हैं।
आईएटीए के आँकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले पाँच महीनों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की एयरलाइनों ने 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और वैश्विक हवाई यात्रा वृद्धि में यह क्षेत्र अग्रणी बन गया है। इसके विपरीत,उत्तरी अमेरिका में हवाई यात्रा बाजार स्थिर बना रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बढ़ती आर्थिक गतिविधियाँ और पर्यटन क्षेत्र में बढ़ती संभावनाएँ ही इस क्षेत्र की पासपोर्ट शक्ति को मजबूत कर रही हैं।
वैश्विक स्तर पर अगर शीर्ष स्थानों की बात करें तो सिंगापुर ने 227 में से 193 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुँच के साथ इंडेक्स में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। जापान और दक्षिण कोरिया 190 गंतव्यों तक पहुँच के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर फ्रांस,जर्मनी और इटली सहित सात यूरोपीय संघ के देश हैं। इनके बाद ऑस्ट्रिया, बेल्जियम,लक्जमबर्ग,नीदरलैंड,नॉर्वे,पुर्तगाल और स्वीडन चौथे स्थान पर हैं। पाँचवें स्थान पर न्यूजीलैंड,ग्रीस और स्विट्जरलैंड हैं।
दूसरी ओर,कभी शीर्ष स्थान पर रहने वाले अमेरिका और ब्रिटेन की स्थिति लगातार गिर रही है। ब्रिटेन अब 186 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुँच के साथ छठे स्थान पर है, जबकि अमेरिका 182 गंतव्यों तक पहुँच के साथ दसवें स्थान पर खिसक गया है। यह गिरावट इन देशों की बदलती वीजा नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आ रहे बदलावों को दर्शाती है।
संयुक्त अरब अमीरात ने पासपोर्ट शक्ति के मामले में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। दस वर्षों में यूएई ने 42वें स्थान से छलांग लगाकर आठवां स्थान हासिल कर लिया है। उसने इस अवधि में किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक वीजा-मुक्त गंतव्य जोड़े हैं। चीन ने भी राजनयिक वीजा छूट की नई लहर का लाभ उठाते हुए एक दशक में 34 स्थान की छलांग लगाई है और 2025 में वह 60वें स्थान पर पहुँच गया है।
भारत की इस उपलब्धि को लेकर विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह देश की बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति का प्रमाण है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है,जिसका सीधा लाभ भारतीय पासपोर्ट धारकों को मिल रहा है। वीजा-मुक्त या ऑन-अराइवल वीजा सुविधा वाले देशों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक विश्वसनीय और उभरती शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
यात्रा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की पासपोर्ट शक्ति में आई यह वृद्धि भारतीय पर्यटन उद्योग के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। अधिक वीजा-मुक्त गंतव्य होने का अर्थ है कि भारतीय यात्री अब आसानी से और कम खर्च में अधिक देशों की यात्रा कर सकते हैं। इससे न केवल भारतीय पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत की यह बड़ी छलांग एक संकेत है कि आने वाले वर्षों में भारत की पासपोर्ट शक्ति और भी मजबूत हो सकती है। जैसे-जैसे भारत अपने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को और विस्तार देगा,वैसे-वैसे भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा-मुक्त देशों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।