हैदराबाद,30 जून (युआईटीवी)- तेलंगाना के सांगारेड्डी जिले के पाशमैलारम औद्योगिक क्षेत्र में सोमवार सुबह एक केमिकल फैक्ट्री में हुए भयंकर विस्फोट ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। इस हादसे में कम-से-कम छह मजदूरों की मौत की आशंका जताई जा रही है,जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह हादसा सुबह करीब 9 बजे के आसपास सिगाची केमिकल्स परिसर में हुआ,जहाँ तेज़ धमाके के बाद भीषण आग लग गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार,धमाका इतना भयानक था कि कई मजदूर हवा में उछलकर दूर जा गिरे। फैक्ट्री की इमारत का एक हिस्सा विस्फोट के प्रभाव से ढह गया और आग धीरे-धीरे पास की इमारतों तक फैलने लगी। विस्फोट के समय बड़ी संख्या में मजदूर रिएक्टर के पास काम कर रहे थे,जो आग की चपेट में आ गए।
हादसे के समय फैक्ट्री में काम कर रहे कई प्रवासी मजदूर ओडिशा,उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आए थे। इस त्रासदी ने न सिर्फ मजदूरों के परिवारों को,बल्कि पूरे औद्योगिक क्षेत्र को सदमे में डाल दिया है।
विस्फोट की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की 11 गाड़ियाँ मौके पर भेजी गईं, जिन्होंने आग पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास शुरू कर दिए। आग की तीव्रता और केमिकल के कारण दमकल कर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पुलिस और आपातकालीन सेवाएँ भी तुरंत घटनास्थल पर पहुँचीं और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। घायलों को तत्काल अस्पतालों में ले जाने के लिए एंबुलेंस को सक्रिय किया गया। घायल मजदूरों को नजदीकी सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है,जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
अब तक की सूचना के अनुसार,छह मजदूरों के मौके पर ही मारे जाने की आशंका है, जबकि एक मजदूर ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है। हालाँकि,अधिकारियों द्वारा अभी तक मौतों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। अंतिम आँकड़ें अभी बचाव कार्यों के पूर्ण होने के बाद ही सामने आ सकेंगे।
इसके अलावा,आशंका है कि कुछ मजदूर कारखाने के मलबे में दबे हो सकते हैं। अर्थमूवर मशीनों की मदद से मलबा हटाने का कार्य किया जा रहा है। मौके पर मौजूद बचावकर्मी हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि किसी को भी जीवित अवस्था में मलबे से निकाला जा सके।
जैसे ही हादसे की सूचना फैली,सांगारेड्डी जिला कलेक्टर पी. प्रवीण्या और पुलिस अधीक्षक परितोष पंकज मौके पर पहुँच गए। दोनों अधिकारियों ने बचाव और राहत कार्यों की निगरानी की और संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि तेज़ी से स्थिति को संभाला जाए।
साथ ही,औद्योगिक क्षेत्र की अन्य इकाइयों के कर्मचारी और विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी भी राहत कार्यों में स्वेच्छा से शामिल हो गए। फिलहाल पूरे परिसर को खाली करवा लिया गया है और अग्निशमन दल के प्रयासों के चलते आग को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है।
इस भयावह दुर्घटना ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा मानकों की विफलता को उजागर किया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या फैक्ट्री में रासायनिक पदार्थों के भंडारण और प्रक्रिया के दौरान पर्याप्त सुरक्षा उपाय अपनाए गए थे? क्या श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए थे? और क्या समय रहते इमरजेंसी अलार्म सिस्टम ने काम किया?
इस हादसे की जाँच के लिए संभावित रूप से विशेष कमेटी गठित की जा सकती है, जो यह तय करेगी कि इस त्रासदी का कारण तकनीकी लापरवाही, प्रबंधन की असावधान या अनुमोदन की प्रक्रिया में चूक तो नहीं थी।
विस्फोट और आग की खबर फैलते ही आसपास के औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों में दहशत फैल गई और कई लोग परिसर छोड़कर भागने लगे। आस-पास के घरों और दुकानों को भी खाली करवा लिया गया। अब लोग यह माँग कर रहे हैं कि प्रशासन इस तरह की फैक्ट्रियों में नियमित निरीक्षण करे और सख्त नियम लागू करे,ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
हैदराबाद के पाशमैलारम में हुआ यह हादसा एक बार फिर दिखाता है कि औद्योगिक सुरक्षा को लेकर लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। इस दुर्घटना में कई निर्दोष मजदूरों की जान चली गई और दर्जनों परिवारों की ज़िंदगियाँ तबाह हो गईं। सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इस घटना की गंभीरता से जाँच करें और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएँ।
जब तक सुरक्षा नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं होगा,तब तक ऐसी घटनाएँ दोहराई जाती रहेंगी और नुकसान का बोझ गरीब मजदूरों और उनके परिवारों को ही उठाना पड़ेगा। अब वक्त आ गया है कि औद्योगिक विकास के साथ-साथ मानव जीवन की रक्षा को भी प्राथमिकता दी जाए।
