कोलकाता,30 जून (युआईटीवी)- पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर से उबाल आ गया है। कोलकाता के दक्षिणी क्षेत्र कस्बा स्थित एक लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ परिसर में हुए बलात्कार मामले ने प्रदेश की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। इस घटना के खिलाफ विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने जन आंदोलन की चेतावनी दी है और सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने इस शर्मनाक वारदात की तुलना पिछले साल आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना से की और राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया।
25 जून को घटित इस घटना को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह समय घर बैठने का नहीं,बल्कि सड़कों पर उतरने का है। रविवार को आयोजित ‘कन्या सुरक्षा यात्रा’ नामक रैली में उन्होंने कहा कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के शासन में महिलाओं पर हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं और अब वक्त आ गया है कि समाज के सभी वर्ग इस मुद्दे पर एकजुट होकर एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत करें।
उन्होंने आह्वान किया कि ठीक उसी तरह का जन आंदोलन अब दोहराया जाना चाहिए,जैसा पिछले साल अगस्त में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद हुआ था। उस विरोध में आम नागरिक,सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि,मशहूर हस्तियाँ और विभिन्न पेशेवर समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए थे।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन अब केवल एक दिन की प्रतिक्रिया नहीं होगी। उन्होंने घोषणा की कि आगामी 2 जुलाई को भाजपा द्वारा पूरे कस्बा क्षेत्र में एक व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य भाजपा पूरे पश्चिम बंगाल में ‘कन्या सुरक्षा यात्रा’ जारी रखेगी,ताकि महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को जन-जन तक पहुँचाया जा सके।
उन्होंने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि यह केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं,बल्कि एक सामाजिक चेतना की आवश्यकता है। उन्होंने समाज के हर वर्ग से आग्रह किया कि वे इस संघर्ष में भाग लें और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएँ।
शुभेंदु अधिकारी ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर मनोज कुमार वर्मा पर भी सीधे आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि पुलिस आयुक्त स्वयं इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि बलात्कार पीड़िता और उसके माता-पिता किसी से बात न कर सकें। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पीड़िता और उसके परिवार को किस ‘गुप्त स्थान’ पर रखा गया है और उन्हें अपनी बात कहने से क्यों रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा, “एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि पीड़िता की आवाज को दबाया जाए। उन्हें अपनी बात समाज के सामने रखने का संवैधानिक अधिकार है और पुलिस यदि इसमें अड़चन पैदा कर रही है तो यह गंभीर कदाचार है।”
शुभेंदु अधिकारी ने 9 अगस्त को एक बड़े ‘सचिवालय मार्च’ की घोषणा की है। यह मार्च आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज कांड की बरसी पर आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दिन राज्य सरकार को जनता के सवालों का सामना करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही आर.जी. कर पीड़िता के माता-पिता से मिलेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि वे भी इस ‘सचिवालय तक मार्च’ में शामिल होकर सरकार को जवाबदेह बनाएँ। उन्होंने इस मार्च को ‘न्याय की पुकार’ करार देते हुए कहा कि अब यह सिर्फ एक पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे समाज की लड़ाई है।
शुभेंदु अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों और योजनाओं से साफ है कि भाजपा इस मुद्दे को सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रखना चाहती,बल्कि इसे जन आंदोलन में बदलने की कोशिश कर रही है। लॉ कॉलेज में हुई बलात्कार की घटना ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही,राज्य सरकार की भूमिका,पुलिस की निष्क्रियता और संवेदनहीनता को लेकर विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या यह आंदोलन वास्तव में समाज को जागरूक और सक्रिय बना पाएगा या यह भी राजनीति के गलियारों में विवाद और बयानबाज़ी का हिस्सा बनकर रह जाएगा,लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में बंगाल की राजनीति में यह मुद्दा गंभीर और केंद्रीय बहस का विषय बनेगा।