विदेश सचिव विक्रम मिसरी (तस्वीर क्रेडिट@AIRNewsHindi)

भारत-पाक सैन्य तनाव पर संसद समिति को विदेश सचिव विक्रम मिसरी की ब्रीफिंग:हमेशा पारंपरिक दायरे में रहा भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष’

नई दिल्ली,19 मई (युआईटीवी)- सोमवार को नई दिल्ली में विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई,जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने की। इस बैठक में भारत-पाकिस्तान के हालिया सैन्य तनाव, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और राजनयिक संबंधों की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने समिति को विस्तृत जानकारी दी।

इस अहम बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख सांसदों ने भाग लिया,जिनमें तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी,कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी की अपराजिता सारंगी व अरुण गोविल शामिल रहे।

यह बैठक ऐसे समय पर हुई है,जब 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी ढाँचों के खिलाफ निर्णायक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी,जिसके जवाब में भारतीय सेना ने सीमापार जाकर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव काफी बढ़ गया था।

हालाँकि,10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति जताई,लेकिन राजनयिक और रणनीतिक मोर्चे पर सक्रियता बनी हुई है।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध फिलहाल ‘न्यूनतम संपर्क’ के स्तर पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख पर कायम है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इसकी जानकारी दी जा रही है।

मिसरी ने बताया कि भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना,लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता न करना है। समिति को बताया गया कि भारत की सैन्य कार्रवाई सीमित लेकिन सटीक रही,जिसका उद्देश्य आतंकी ढाँचों को नुकसान पहुँचाना था।

बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को स्पष्ट करने के लिए 33 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य यह बताना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल सैन्य प्रतिक्रिया नहीं,बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति का विस्तार है।

विदेश मंत्रालय ने यह रणनीति अपनाई है कि राजनीतिक दलों की एकजुटता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दर्शाकर भारत की स्थिति को मजबूत किया जाए।

इस बैठक से स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ मौन साधने की नीति नहीं,बल्कि आक्रामक कूटनीति और सैन्य स्पष्टता के साथ आगे बढ़ रहा है। संसद की स्थायी समिति में विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने एकमत होकर इस नीति का समर्थन किया,जिससे यह संकेत गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एकजुट है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीतिक पृष्ठभूमि में यह बैठक भारत की विदेश नीति में एक नए आत्मविश्वास और स्पष्टता का प्रतीक है।