भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री (तस्वीर क्रेडिट@Aayushi__tiwari)

भारत-पाकिस्तान सीजफायर: अमेरिका के मध्यस्थता से थमा तनाव,विदेश मंत्रालय ने अपनी शर्तों पर किया सीजफायर

नई दिल्ली,10 मई (युआईटीवी)- भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद शनिवार शाम को एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया। दोनों देशों के बीच युद्धविराम (सीजफायर) की घोषणा कर दी गई है। विदेश मंत्रालय और अमेरिकी सरकार के आधिकारिक बयानों के अनुसार,यह निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों और नेताओं के बीच गंभीर बातचीत के बाद लिया गया है।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार शाम प्रेस वार्ता में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम लागू हो गया है। उन्होंने बताया कि यह सीजफायर शनिवार शाम 5 बजे से प्रभावी हो गया है। इस संबंध में पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत से संपर्क कर फोन पर चर्चा की थी। भारत ने इस सीजफायर को अपनी शर्तों पर स्वीकार किया है।

मिस्री ने आगे बताया कि 12 मई को एक बार फिर से दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) आपसी स्थिति की समीक्षा के लिए बात करेंगे।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस खबर की पुष्टि करते हुए लिखा कि भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति बनी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने दृढ़ और अडिग रुख पर कायम रहेगा और किसी भी रूप में आतंक को बर्दाश्त नहीं करेगा।

भारत-पाकिस्तान के बीच इस युद्धविराम की पृष्ठभूमि में अमेरिका की अहम भूमिका रही। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद इस पहल की पुष्टि की। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पोस्ट करते हुए कहा, “अमेरिका की मध्यस्थता में रात में चली लंबी बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति बना ली है।”

ट्रंप ने इस समझदारी के लिए दोनों देशों की सराहना की और कहा कि अमेरिका की ओर से की गई 48 घंटे की गहन वार्ता के बाद यह सफलता मिली है।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी अपने एक्स पोस्ट में बताया कि इस बातचीत में अमेरिका के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारी शामिल थे। भारतीय पक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,विदेश मंत्री एस. जयशंकर,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तानी पक्ष से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ,सेना प्रमुख असीम मुनीर और पाकिस्तानी एनएसए असीम मलिक शामिल रहे।

यह वार्ता 48 घंटे तक लगातार चली,जिसमें सभी पक्षों ने तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर सहयोग के उपायों पर चर्चा की।

भारत ने युद्धविराम को स्वीकार तो किया है,लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि आतंकवाद के प्रति भारत की नीति में कोई नरमी नहीं आएगी। भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार,अब किसी भी आतंकी हमले को ‘भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा और उसी प्रकार तीखा,निर्णायक और त्वरितजवाब भी दिया जाएगा।

यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारत आतंक को कूटनीति के जरिए नहीं, बल्कि रणनीतिक सैन्य शक्ति से जवाब देगा।

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 7 मई की सुबह पाकिस्तान और पीओके में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने बौखलाहट में भारतीय सैन्य ठिकानों और नागरिक इलाकों पर ड्रोन व मिसाइल हमले किए,जिनमें से अधिकतर को भारतीय वायुसेना और वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया।

हालाँकि,इन हमलों से सीमावर्ती क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित हुआ और देश के 32 से ज्यादा एयरपोर्ट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।

जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने बड़ा रूप लिया और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों तक पर असर पड़ने लगा,तब अमेरिका ने स्थिति को कूटनीतिक रूप से संभालने का बीड़ा उठाया। वॉशिंगटन से सीधी बातचीत के जरिए अमेरिका ने दोनों देशों को एक संवेदनशील,लेकिन जरूरी सीजफायर के लिए तैयार किया।

ट्रंप और रुबियो की पहल से जो समझौता हुआ,वह तत्काल प्रभाव से युद्धविराम लागू करने और आगे की बातचीत के लिए मंच तैयार करने वाला है।

हालाँकि,फिलहाल युद्धविराम लागू हो गया है और हालात स्थिर होते दिख रहे हैं, लेकिन यह जरूरी है कि यह समझौता सिर्फ अस्थायी राहत न बने। भारत के लिए आतंकवाद एक प्रमुख चिंता है और वह स्पष्ट कर चुका है कि सीजफायर का मतलब आतंक पर नरमी नहीं है।

अब निगाहें 12 मई को होने वाली डीजीएमओ स्तर की बातचीत पर होंगी,जहाँ दोनों देश हालिया घटनाओं की समीक्षा कर सकते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद उत्पन्न हुए सैन्य तनाव को थामने के लिए यह युद्धविराम एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता है। अमेरिका की मध्यस्थता ने यह साबित कर दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव और बातचीत से भी गंभीर सैन्य टकराव को रोका जा सकता है,लेकिन भारत का साफ संदेश है कि आतंक के खिलाफ जंग जारी रहेगी और अब हर हमला सीधे युद्ध की तरह जवाब पाएगा।