नई दिल्ली,9 मई (युआईटीवी)- भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और अन्य हथियारों के माध्यम से कई मिसाइल हमले किए गए। भारतीय सेना ने अपने शौर्य और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए इन हमलों का न केवल मुँहतोड़ जवाब दिया,बल्कि पाकिस्तान की ओर से किए गए सैन्य ठिकानों पर हमले के प्रयासों को भी नाकाम कर दिया।
भारतीय सेना के अधिकारियों के अनुसार, 8 और 9 मई की मध्यरात्रि को पाकिस्तानी सेना ने जम्मू,पठानकोट,उधमपुर और आसपास के इलाकों में सैन्य अड्डों को निशाना बनाकर हमला करने की कोशिश की,लेकिन भारतीय सेना की चौकसी और सटीक कार्रवाई के चलते पाकिस्तान को कोई सफलता नहीं मिल सकी।
इन सैन्य तनावों के बीच पाकिस्तान की आर्थिक हालत और भी बिगड़ती जा रही है। इसी संदर्भ में शुक्रवार को एक चौंकाने वाली पोस्ट एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सामने आई, जिसमें पाकिस्तान सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लोन की अपील की गई। पोस्ट में लिखा गया कि दुश्मन द्वारा किए गए भारी नुकसान के कारण पाकिस्तान आर्थिक संकट में है और उसे तुरंत राहत की ज़रूरत है।
इस पोस्ट में यह भी कहा गया कि जंग बढ़ने और शेयर बाजार के क्रैश होने की वजह से पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से अपील करता है कि वे आगे आकर तनाव कम करने में मदद करें और वित्तीय सहायता दें,लेकिन इसके थोड़ी ही देर बाद पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने इस पोस्ट को फर्जी बताया और दावा किया कि उनका एक्स अकाउंट हैक कर लिया गया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस तरह की कोई अपील नहीं की है।
हालाँकि,यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है,जब वाशिंगटन में पाकिस्तान के लिए संभावित बेलआउट पैकेज को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इस बैठक में यह तय होना है कि पाकिस्तान को नया आर्थिक राहत पैकेज दिया जाएगा या नहीं।
इस विषय पर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि आईएमएफ की बोर्ड बैठक में भारत के कार्यकारी निदेशक पाकिस्तान मुद्दे पर देश का पक्ष मजबूती से रखेंगे। मिसरी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत का प्रतिनिधि यह स्पष्ट कर पाएगा कि पाकिस्तान की स्थिति क्यों बार-बार आर्थिक संकट में पहुँच जाती है।
विदेश सचिव ने यह भी उल्लेख किया कि अब तक आईएमएफ ने पाकिस्तान को कुल 24 बेलआउट पैकेज मंजूर किए हैं,लेकिन उनमें से अधिकतर सफल नहीं हो पाए। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान न तो अपने पुराने वादों को निभा पाया है और न ही आर्थिक सुधारों को लागू कर पाया है।
मिसरी ने यह सवाल भी उठाया कि जब पाकिस्तान बार-बार आर्थिक मदद माँगता है, तो क्या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह नहीं सोचना चाहिए कि उनका पैसा सही जगह खर्च हो रहा है या नहीं?
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात स्पष्ट होती है कि भारत,जहाँ सुरक्षा और रणनीतिक मोर्चे पर सतर्क है,वहीं पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर संकट से गुजर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं और यह देखना अहम होगा कि आईएमएफ और अन्य वैश्विक संस्थाएँ पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आती हैं या नहीं।