नई दिल्ली,8 मई (युआईटीवी)- भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक,सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी की जड़ें हजारों साल पुरानी सभ्यताओं में गहराई से जुड़ी हुई हैं। ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं,भारत और ईरान के रिश्तों को मजबूत करना रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
इसी संदर्भ में ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची की नई दिल्ली यात्रा विशेष महत्व रखती है। वह भारत-ईरान संयुक्त आयोग की 20वीं बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए हैं। उनकी यह यात्रा उस समय हो रही है,जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे माहौल में भारत और ईरान के बीच उच्च-स्तरीय बातचीत इस क्षेत्र में स्थायित्व और सहयोग का संकेत देती है।
इस बार की संयुक्त बैठक खास इसलिए भी है,क्योंकि यह भारत-ईरान मैत्री संधि की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित हो रही है। इस ऐतिहासिक अवसर पर दोनों देशों को अपनी साझेदारी की समीक्षा करने और भविष्य की दिशा तय करने का अनमोल अवसर मिला है।
Warm welcome to FM @araghchi, as he arrives in New Delhi for the India-Iran Joint Commission Meeting.
An opportunity to review and enhance bilateral cooperation on the 75th Anniversary of the 🇮🇳-🇮🇷 Friendship Treaty. pic.twitter.com/C5Fh0FZMlr
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) May 8, 2025
भारत के विदेश मंत्रालय ने अराघची के स्वागत में गर्मजोशी दिखाई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि अराघची का नई दिल्ली में स्वागत करना भारत के लिए सम्मान की बात है। उन्होंने इसे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा और उसे नई ऊँचाई पर ले जाने का सही समय बताया।
इस यात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली के हैदराबाद हाउस में आयोजित हुई भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक में व्यापार,ऊर्जा,संपर्क और क्षेत्रीय सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। खासकर चाबहार बंदरगाह परियोजना,अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) और तेल व गैस व्यापार पर विशेष ध्यान दिया गया। इन सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना दोनों देशों के दीर्घकालिक हित में है।
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद यह सईद अब्बास अराघची की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है। ऐसे में यह दौरा भारत-ईरान संबंधों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है। इस यात्रा के दौरान अराघची की भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात का भी कार्यक्रम है, जो कि भारत-ईरान संबंधों की गंभीरता और गहराई को दर्शाता है।
दुनिया में ऊर्जा सुरक्षा,क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई जैसे मुद्दों पर भारत और ईरान की चिंताएँ समान हैं। ईरान भारत के लिए एक अहम रणनीतिक साझेदार है,खासकर मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक संपर्क के लिए। वहीं,भारत के लिए ईरान से तेल आयात और चाबहार पोर्ट जैसी परियोजनाएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं।
दोनों देशों ने पहले भी विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है और अब समय आ गया है कि इन साझेदारियों को और मजबूत किया जाए।
भारत और ईरान के संबंध अब केवल सांस्कृतिक या ऐतिहासिक नहीं रह गए हैं, बल्कि ये रणनीतिक और बहुआयामी साझेदारी में बदल चुके हैं। सईद अब्बास अराघची की यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास,सहयोग और साझा हितों को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।
भारत-ईरान मैत्री संधि की 75वीं वर्षगांठ पर यह संवाद एक मजबूत संदेश देता है कि दोनों देश सहयोग,स्थायित्व और विकास के पथ पर साथ चलने को तैयार हैं। वर्तमान वैश्विक और क्षेत्रीय परिदृश्य को देखते हुए,भारत और ईरान की साझेदारी आने वाले वर्षों में एशियाई राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है।