केंद्र सरकार ने 7 मई को मॉक ड्रिल का दिया आदेश (तस्वीर क्रेडिट@RajSing1108173)

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच केंद्र सरकार ने 7 मई को मॉक ड्रिल का दिया आदेश,54 साल बाद देश में होगी मॉक ड्रिल

नई दिल्ली,6 मई (युआईटीवी)- 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी,जिसे 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी हमला बताया जा रहा है। इस भयावह घटना के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा जागरूकता को मजबूत करने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को 7 मई 2025 को मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है,ताकि आम नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार किया जा सके।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में नागरिक सुरक्षा के तहत निम्नलिखित पाँच प्रमुख उपायों को शामिल किया गया है:

1. हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का संचालन:
राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में हवाई हमलों की चेतावनी देने वाले सायरन सिस्टम का परीक्षण और प्रदर्शन करें। इसका उद्देश्य नागरिकों को ऐसे किसी भी खतरे की स्थिति में तेजी से सतर्क करना है।

2. नागरिकों को आत्म-सुरक्षा का प्रशिक्षण:

स्कूलों,कॉलेजों,कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को शत्रुतापूर्ण हमलों या आपदा की स्थिति में कैसे खुद को सुरक्षित रखें,इस पर प्रशिक्षण देने को कहा गया है। इसमें छात्रों,कर्मचारियों और आम नागरिकों को शामिल किया जाएगा।

3. ब्लैकआउट की व्यवस्था:

संभावित हवाई हमले की स्थिति में रात के समय ब्लैकआउट (सभी लाइटें बंद करना) की व्यवस्था का अभ्यास किया जाएगा। इसका उद्देश्य दुश्मन की नजरों से महत्वपूर्ण स्थानों को छिपाना है।

4. महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को सुरक्षित करना:

महत्वपूर्ण संयंत्रों,रक्षा प्रतिष्ठानों,रेलवे स्टेशन,बिजली घरों आदि को समय रहते छिपाने और संरक्षित करने की रणनीति को अमल में लाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत छिपाव,ढकाव और सुरक्षा घेरों की व्यवस्था की जाएगी।

5. निकासी योजना और उसका अभ्यास:

लोगों को आपात स्थिति में कैसे सुरक्षित निकाला जाए,इस पर अभ्यास किया जाएगा। इसके अंतर्गत भीड़ वाले स्थानों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की पूर्व-निर्धारित योजनाओं का परीक्षण किया जाएगा।

भारत सरकार ने एक बार फिर 1971 के बाद पहली बार देशभर में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह मॉक ड्रिल 7 मई को आयोजित की जाएगी और इसका उद्देश्य नागरिकों को आपात स्थिति में सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक और तैयार करना है।

गौरतलब है कि पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में की गई थी,जब भारत और पाकिस्तान के बीच दो मोर्चों पूर्व में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) और पश्चिम में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ था

1971 की मॉक ड्रिल उस समय की सैन्य और नागरिक सुरक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा थी,जब देश वास्तविक युद्ध की स्थिति से जूझ रहा था। अब, 54 वर्षों के अंतराल के बाद,भारत सरकार द्वारा दोबारा इसी तरह का अभ्यास किया जाना एक अहम कदम माना जा रहा है,खासकर हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़े सुरक्षा तनाव को देखते हुए।

इस बार की मॉक ड्रिल में नागरिकों को हवाई हमले की चेतावनी, ब्लैकआउट व्यवस्था, सुरक्षित स्थानों की जानकारी और आपात निकासी प्रक्रिया जैसे जरूरी उपायों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा एजेंसियों बल्कि आम जनता के लिए भी एक सावधानी और जागरूकता का अभ्यास होगा।

22 अप्रैल को जब देश पर्यटन के चरम सीजन की तैयारी में था,तब पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया। इस निर्दयी हमले में 26 लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए। हमले के बाद देशभर में गम और गुस्से की लहर दौड़ गई।

हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे कायरता भरा हमला बताया और कहा कि इसके पीछे जो भी लोग हैं,उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी,जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने इस मसले पर लगातार सेना प्रमुखों और मंत्रियों के साथ बैठकें की हैं और सेना को पूरी छूट दी है।

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। इनमें राजनयिक स्तर पर विरोध,पाकिस्तानी राजनयिकों को तलब करना और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की योजना शामिल है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सख्त लहजे में कहा कि,“आप जो चाहते हैं वह निश्चित रूप से होगा,” यह संकेत है कि सरकार कड़ी जवाबी कार्रवाई के मूड में है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी मॉक ड्रिल की योजना बताती है कि सरकार अब केवल आतंकी हमले के बाद प्रतिक्रिया देने के बजाय पूर्व-सतर्कता और तैयारी पर ज़ोर दे रही है। इससे न केवल नागरिकों को आपदा की स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता मिलेगी,बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली भी मज़बूत होगी।

पहलगाम हमले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को आतंकवाद से लड़ाई में कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। सरकार की तरफ से की गई मॉक ड्रिल की योजना यह संकेत देती है कि अब देश केवल सीमाओं की सुरक्षा पर नहीं,बल्कि आम नागरिकों को भी रक्षा कवच का हिस्सा बना रहा है।

यह मॉक ड्रिल न केवल लोगों को जागरूक और प्रशिक्षित करेगी,बल्कि यह दुनिया को यह संदेश भी देगी कि भारत अब किसी भी आपदा या आतंकी हमले का सामना पूरी तैयारी के साथ कर सकता है।