वाशिंगटन,10 मई (युआईटीवी)- भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। खासकर अमेरिका इस स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बातचीत की है और तनाव को कम करने के लिए ठोस प्रयास करने का आग्रह किया है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बयान जारी कर बताया कि विदेश मंत्री रुबियो और जनरल मुनीर के बीच यह बातचीत वर्तमान क्षेत्रीय हालात को देखते हुए की गई है। रुबियो ने इस दौरान दोनों देशों भारत और पाकिस्तान से तनाव कम करने के रास्ते तलाशने की अपील की। साथ ही उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि अमेरिका रचनात्मक संवाद शुरू कराने में मदद करने को तैयार है,जिससे भविष्य में किसी बड़े संघर्ष से बचा जा सके।
यह बातचीत ऐसे समय में हुई है,जब पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों की घटनाएँ बढ़ गई हैं। इन हमलों में हथियार और विस्फोटक गिराए जा रहे हैं। भारतीय सेना इन हमलों का मुँहतोड़ जवाब दे रही है। कुछ क्षेत्रों में भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को भी नुकसान पहुँचा है।
इस मामले पर व्हाइट हाउस भी सक्रिय है। प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत-पाक तनाव जल्द से जल्द शांत हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप दोनों देशों के इतिहास और मतभेदों को समझते हैं,लेकिन यह मानते हैं कि सभी मुद्दों का समाधान संवाद से ही संभव है।
कैरोलिन लेविट ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप के ओवल ऑफिस में आने से पहले से ही उनके भारत और पाकिस्तान दोनों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। ऐसे में वह इस संघर्ष को सुलझाने में एक सकारात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो इन दिनों केवल विदेश मंत्री की भूमिका ही नहीं निभा रहे,बल्कि वह राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। इस दोहरी भूमिका में वह लगातार भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कर रहे हैं।
गुरुवार को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी टेलीफोन पर बातचीत की थी। दोनों नेताओं से उन्होंने तनाव घटाने और सीमा पर शांति बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा की।
भारत-पाक तनाव की ताजा शुरुआत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले के बाद हुई। इस हमले में कई भारतीय जवान शहीद हुए थे। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के लॉन्च पैड्स और ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की।
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों में बौखलाहट देखी गई। इसके बाद से पाकिस्तान की ओर से सीमा पर ड्रोन हमले और गोलाबारी की घटनाएँ बढ़ गई हैं। जवाब में भारत ने अपने सीमा सुरक्षा बल और सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।
अमेरिका की मौजूदा भूमिका को लेकर विशेषज्ञों के बीच मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि अमेरिका इस बार मध्यस्थ के रूप में सामने आ रहा है,जबकि अन्य का मानना है कि अमेरिका का असली उद्देश्य भारत और पाकिस्तान दोनों पर दबाव बनाकर अपने रणनीतिक हितों की पूर्ति करना है।
फिलहाल अमेरिका के रुख से इतना साफ है कि वह इस संघर्ष को बढ़ने नहीं देना चाहता। उसकी प्राथमिकता यही है कि कोई बड़ा युद्ध या सैन्य टकराव न हो, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर पहले से ही कई संकट चल रहे हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की यह स्थिति एक नाजुक मोड़ पर है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की पहल इस तनाव को कम करने में एक सकारात्मक कदम हो सकती है,लेकिन स्थायी समाधान तभी संभव है,जब पाकिस्तान अपनी आतंकी नीतियों में बदलाव लाए और सीमापार से हो रहे हमलों को रोके। भारत ने साफ किया है कि वह अपनी सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। अब देखना होगा कि अमेरिकी हस्तक्षेप से शांति की कोई नई राह निकलती है या नहीं।