जॉर्जटाउन,26 मई (युआईटीवी)- भारत और गुयाना के रिश्तों में एक बार फिर से गर्मजोशी देखने को मिली,जब सांसद डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने गुयाना की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने गुयाना के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई,जिनमें सीमा पार आतंकवाद,आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को और मज़बूत करने की बातें शामिल थीं।
गुयाना के प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स ने रविवार को बर्बिस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने सीमा पार आतंकवाद से लड़ने के भारत के प्रयासों की सराहना की और अपना स्पष्ट समर्थन भी व्यक्त किया।
गुयाना में भारतीय उच्चायोग द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दी गई जानकारी के अनुसार,प्रधानमंत्री फिलिप्स ने ऑपरेशन सिंदूर और भारत की आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस नीति के बारे में विस्तृत जानकारी ली। यह ऑपरेशन हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों के खिलाफ चलाया गया था,जो खास तौर पर कश्मीर में गतिविधियाँ चला रहे आतंकी संगठनों को निशाना बनाता है।
फिलिप्स ने कहा कि भारत द्वारा अपनाए गए उपायों के प्रति गुयाना की सरकार और जनता की समझ और समर्थन पहले से कहीं अधिक मज़बूत हुई है। वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने वाले दूसरे बड़े गुयाना नेता हैं।
इससे पहले गुयाना के उपराष्ट्रपति भरत जगदेव ने भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया। जगदेव ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “गुयाना पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा है। हम आतंकवाद के सख्त खिलाफ हैं और मानते हैं कि जो भी व्यक्ति या संगठन आतंकवादी कृत्य करता है,उसे न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।”
यह बयान भारत के लिए कूटनीतिक रूप से बेहद अहम है,विशेषकर तब जब भारत वैश्विक मंचों पर सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा लगातार उठा रहा है।
गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों को निशाना बनाया था। यह कार्रवाई उस भयानक घटना के जवाब में की गई थी,जिसमें पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी।
डॉ.शशि थरूर ने उपराष्ट्रपति जगदेव के साथ इस हमले की पृष्ठभूमि और भारत की कार्रवाई की जानकारी साझा की। थरूर ने कहा कि उन्हें गुयाना के उपराष्ट्रपति से गहरी समझ और संवेदनशीलता देखने को मिली,जो भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने गुयाना की 59वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोहों में भाग लिया। यह आयोजन बर्बिस में हुआ,जो राजधानी जॉर्जटाउन से करीब 65 किलोमीटर दूर है। इस मौके पर गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इफ्रान अली ने भी भाषण दिया।
उच्चायोग ने अपने बयान में बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के अलावा गुयाना के नेतृत्व,मीडिया,भारतीय समुदाय और भारत समर्थक स्थानीय नागरिकों से भी बातचीत की। इसका उद्देश्य भारत-गुयाना संबंधों को गहराई देना और द्विपक्षीय सहयोग के नए रास्ते तलाशना था।
गुयाना की गिनती उन विकासशील देशों में होती है,जिन्होंने हाल के वर्षों में तेल और गैस के क्षेत्र में हुई खोजों की वजह से तीव्र आर्थिक प्रगति की है। थरूर ने गुयाना के नेताओं से भारत-गुयाना आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा की। ऊर्जा,इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी विचार हुआ।
यह साझेदारी न सिर्फ कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के देशों में प्रभाव बढ़ाने की रणनीति का भी हिस्सा हो सकती है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद तेजस्वी सूर्या ने एक्स पर जानकारी साझा की कि जॉर्जटाउन में भारतीय मूल के समुदाय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने वहाँ के प्रमुख आध्यात्मिक संगठनों आर्ट ऑफ लिविंग,इस्कॉन, और ब्रह्मकुमारीज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
तेजस्वी सूर्या ने लिखा, “ये संगठन गुयाना में भारतीय समुदाय के लिए न केवल आध्यात्मिक सहारा प्रदान करते हैं,बल्कि भारतीय संस्कृति,योग,ध्यान और नैतिक मूल्यों का भी प्रचार करते हैं।”
गुयाना की यह यात्रा भारत के लिए केवल एक औपचारिक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि वैश्विक समर्थन हासिल करने का अहम पड़ाव साबित हुई है। जहाँ एक ओर आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट समर्थन मिला,वहीं दूसरी ओर आर्थिक,सांस्कृतिक और सामुदायिक स्तर पर संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में भी ठोस पहल हुई।
भारत अब केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं,बल्कि दुनिया के हर उस कोने में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है,जहाँ उसके नागरिक,संस्कृति और कूटनीतिक संबंधों की गूंज मौजूद है। गुयाना जैसी छोटी लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ मजबूत होते संबंध भविष्य की वैश्विक राजनीति में भारत को और मजबूती प्रदान करेंगे।