नई दिल्ली, 24 मई (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने टेक्नोलॉजी दिग्गज एप्पल और उसके सीईओ टिम कुक को सीधे तौर पर चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा है कि यदि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन का निर्माण अमेरिका में नहीं किया गया, तो एप्पल को कम-से-कम 25 फीसदी टैरिफ का भुगतान करना पड़ेगा।
यह बयान ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दिया, जहाँ उन्होंने लिखा, “मैंने टिम कुक को पहले ही बता दिया था कि मुझे उम्मीद है कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन अमेरिका में ही बनाए जाएँ,भारत या किसी अन्य देश में नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ,तो कम से कम 25% टैरिफ देना होगा।”
इस बयान का सीधा असर एप्पल के शेयर बाजार प्रदर्शन पर देखने को मिला। पूर्व-बाजार कारोबार में एप्पल के शेयरों में लगभग 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों को आशंका है कि अगर ट्रंप के दावे के अनुसार टैरिफ लागू हुआ,तो एप्पल की लागत में भारी बढ़ोतरी होगी,जिसका असर बिक्री और मुनाफे पर पड़ेगा।
फिलहाल,एप्पल के अधिकतर आईफोन चीन में बनाए जाते हैं,लेकिन बीते कुछ वर्षों में एप्पल ने भारत को एक वैकल्पिक निर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना शुरू किया है। भारत की श्रम लागत कम है और अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते भी स्थिर हैं। यही वजह है कि चीन से हटकर एप्पल ने भारत में निवेश बढ़ाया है।
हाल ही में एप्पल ने जानकारी दी कि जून तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन भारत में बनाए गए होंगे। इससे भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं पर एप्पल का भरोसा स्पष्ट झलकता है।
कुछ वॉल स्ट्रीट विश्लेषकों का मानना है कि यदि एप्पल को अपने आईफोन अमेरिका में ही बनवाने पड़ें,तो इससे निर्माण लागत में जबरदस्त उछाल आएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक,आईफोन की कीमतों में कम-से-कम 25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा और संभव है कि एप्पल की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आए।
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उनके पुराने ‘मेक इन अमेरिका’ और ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे की पुनरावृत्ति है। ट्रंप हमेशा से अमेरिकी कंपनियों पर दबाव बनाते आए हैं कि वे विदेशों की बजाय अमेरिका में ही उत्पादन करें। उनके अनुसार,इससे अमेरिकी नौकरियों को बढ़ावा मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
ट्रंप की चेतावनी एक तरफ अमेरिका में निर्माण को प्राथमिकता देने की सोच को दर्शाती है,तो दूसरी तरफ यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की जटिलता को भी सामने लाती है। भारत में आईफोन निर्माण एप्पल के लिए लागत कम करने और व्यापारिक जोखिमों से बचने की रणनीति है,लेकिन यदि ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ लागू होते हैं,तो इससे एप्पल,भारत और वैश्विक तकनीकी उत्पादन मॉडल तीनों पर असर पड़ेगा।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि एप्पल अपने उत्पादन को लेकर क्या रणनीतिक बदलाव करता है और क्या ट्रंप प्रशासन इस दिशा में वाकई कोई नीतिगत कदम उठाता है,लेकिन एक बात तय है कि यह मुद्दा टेक्नोलॉजी,राजनीति और वैश्विक व्यापार तीनों के बीच एक जटिल संतुलन की परीक्षा बन गया है।