लुलु मॉल ने केवल एक समुदाय के 80 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने के आरोपों का किया खंडन

लखनऊ, 18 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)- लखनऊ के लुलु मॉल के प्रबंधन ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है कि वहां बड़े स्तर पर केवल एक समुदाय के कर्मचारियों को काम पर रखा गया है। लुलु इंडिया शॉपिंग मॉल प्राइवेट लिमिटेड के क्षेत्रीय निदेशक जय कुमार गंगाधर ने एक बयान में कहा, “उपभोक्ता हमारे लिए सर्वोपरि है। हम सरकार के नियमों के तहत निर्धारित सीमा के भीतर व्यापार करते हैं। हमारे यहां जो भी वर्कर हैं, उन्हें जाति, पंथ, धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि उनकी दक्षता के आधार पर रखा जाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे यहां जितने भी वर्कर हैं, वे सभी स्थानीय हैं, उत्तर प्रदेश और देश से हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक हिंदू हैं और बाकी मुस्लिम, ईसाई और अन्य वर्गों के लोग हैं। हमने सीखा है कि कुछ लोग निहित स्वार्थ के साथ इस तरह के आरोप लगाकर हमारे प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”

10 जुलाई को खुला लुलु मॉल उस समय विवाद का केंद्र बन गया था, जब मॉल के अंदर कुछ अज्ञात लोगों को नमाज पढ़ते हुए कैमरे में कैद किया गया था।

इसके जवाब में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने मॉल के अंदर ‘सुंदरकांड’ और हनुमान चालीसा का पाठ करने की चेतावनी दे डाली थी।

मॉल में नारे लगाने के आरोप में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मॉल और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

एक हिंदू नेता शिशिर चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि लुलु मॉल मुस्लिम युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार देकर और केवल हिंदू लड़कियों को रोजगार देकर लव जिहाद को बढ़ावा दे रहा है।

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