कोविड वैक्स

विभिन्न कोविड वैक्स का मिक्स-मैच सुरक्षित, अधिक प्रभावी : एआईजी अस्पताल का शोध

हैदराबाद, 4 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)- एआईजी अस्पतालों द्वारा यहां सोमवार को जारी एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न कोविड टीकों का मिश्रण शरीर के लिए सुरक्षित होता है और उच्च एंटीबॉडी प्रतिक्रिया देता है। एआईजी हॉस्पिटल्स और एशियन हेल्थकेयर फाउंडेशन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के मिश्रण की सुरक्षा प्रोफाइल निर्धारित करने की जरूरत बताई गई, साथ ही एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का पता चला।

अध्ययन में निर्णायक रूप से देखा गया कि टीकों का मिश्रण बिल्कुल सुरक्षित है। मिश्रित वैक्सीन समूहों में स्पाइक-प्रोटीन न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी, समान-वैक्सीन समूहों की तुलना में काफी अधिक पाए गए।

टीम में 330 स्वस्थ स्वयंसेवकों को शामिल किया गया था, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था और जिनका कोविड से संक्रमण का कोई इतिहास नहीं था। इनमें से 44 (लगभग 13 प्रतिशत) प्रतिभागियों को सेरोनिगेटिव पाया गया, यानी उनके पास कोविड से संबंधित एंटीबॉडी नहीं थे, जबकि बाकी 87 प्रतिशत में कोविड से संबंधित एंटीबॉडी पाए गए।

एआईजी हॉस्पिटल्स के चेयरमैन डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी ने एक बयान में कहा, “शोध के आकस्मिक निष्कर्षो में से एक हमारी आबादी के बीच सेरोपोसिटिविटी है। लगभग 87 प्रतिशत प्रतिभागी, जिन्होंने टीका नहीं लगाया और कभी भी कोविड संक्रमित नहीं हुए, उनमें कोविड से संबंधित एंटीबॉडी थे। इसका मतलब है कि हमारी आबादी ने इसके खिलाफ महत्वपूर्ण एंटीबॉडी विकसित की होगी।”

टीम ने 44 प्रतिभागियों को दो, चार समूहों में विभाजित किया : जिन लोगों ने कोविशील्ड की पहली और दूसरी खुराक ली, वे लोग जिन्होंने कोवैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक ली, वे लोग, जिन्होंने कोविशील्ड की पहली खुराक और कोवैक्सीन की दूसरी खुराक ली और अंत में, जिन लोगों ने कोवैक्सीन की पहली खुराक और कोविशील्ड की दूसरी खुराक ली।

टीम ने 60 दिनों तक सभी प्रतिभागियों पर नजर रखी और पाया कि किसी भी प्रतिभागी ने कोई प्रतिकूल प्रभाव प्रकट नहीं किया।

माना जाता है कि ओमिक्रॉन स्वरूप में स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन होते हैं, जो इसे टीकों के असर से बचाने के साथ-साथ तेजी से फैलाने में सक्षम बनाते हैं।

अध्ययन के अनुसार, अलग-अलग टीकों को मिलाने से नए स्वरूप से निपटने में दो-खुराक की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से मदद मिल सकती है।

डॉ. रेड्डी ने कहा, “स्पाइक-प्रोटीन न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी वे हैं जो वायरस को मारते हैं और समग्र संक्रामकता को कम करते हैं। हमने पाया कि जब पहली और दूसरी खुराक अलग-अलग टीकों की होती है, तो स्पाइक-प्रोटीन एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दो खुराक की तुलना में चार गुना अधिक होती है।”

उन्होंने कहा, “तीसरी बूस्टर खुराक पर विचार करते समय यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बूस्टर की अवधारणा मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया प्राप्त करना और वायरस को मारने में मदद करना है। मिश्रित खुराक निश्चित रूप से इन स्पाइक-प्रोटीन को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी को बढ़ावा दे सकती है और टीकों की प्रभावशीलता को भी बढ़ाएगी।”

शोधकर्ताओं ने 10 जनवरी से शुरू होने वाली ‘रोकथाम’ खुराक पर निर्णय लेते समय भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ अध्ययन के आंकड़ों को एक संदर्भ अध्ययन के रूप में साझा किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि स्वास्थ्य देखभाल/अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और कॉमोरबिडिटीज वाली बुजुर्ग आबादी (60 से अधिक आयु) को 10 जनवरी से एहतियाती खुराक मिलेगी।

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