नीरज चोपड़ा

नीरज चोपड़ा ने देशभक्ति पर उठे सवालों को बताया “दुखद”,अरशद नदीम विवाद पर दी सफाई

नई दिल्ली,25 अप्रैल (युआईटीवी)- भारत के दो बार के ओलंपिक पदक विजेता और विश्व स्तरीय भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा एक नए विवाद के केंद्र में आ गए हैं। मामला पाकिस्तान के खिलाड़ी अरशद नदीम को 24 मई को बेंगलुरु के श्री कांतिरावा स्टेडियम में आयोजित होने वाली “नीरज चोपड़ा क्लासिक” प्रतियोगिता में आमंत्रित किए जाने से जुड़ा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई,जिसके बाद इस आमंत्रण को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं और नीरज की देशभक्ति पर सवाल उठाए जाने लगे।

विवाद के बाद नीरज चोपड़ा ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए इस पूरे प्रकरण पर अपनी भावनाएँ स्पष्ट कीं। उन्होंने लिखा, “मैं आमतौर पर बहुत ज़्यादा बोलने वाला व्यक्ति नहीं हूँ,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि मैं तब भी चुप रहूँगा,जब मुझे लगता है कि कुछ गलत हो रहा है,खासकर जब बात मेरे देश के प्रति प्रेम और मेरे परिवार की इज्जत पर आ जाए।”

नीरज ने बताया कि अरशद नदीम को आमंत्रण प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हमले से पहले,यानी सोमवार को भेजा गया था और इसका मकसद पूरी तरह खेल से जुड़ा हुआ था। “यह आमंत्रण एक खिलाड़ी द्वारा दूसरे खिलाड़ी को दिया गया था। इसमें न तो कोई राजनीति थी और न ही कोई निजी स्वार्थ। एनसी क्लासिक का उद्देश्य दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को भारत लाना और हमारे देश को अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेज़बानी के योग्य बनाना था।”

नीरज ने यह भी स्पष्ट किया कि हालात बदलने के कारण अब अरशद नदीम का भारत आना और प्रतियोगिता में भाग लेना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “पिछले 48 घंटों में जो कुछ हुआ है,उसके बाद यह तय है कि अरशद अब प्रतियोगिता में भाग नहीं लेंगे। इस हमले के बाद हालात ऐसे नहीं हैं कि हम इसे खेल भावना के तहत आगे बढ़ा पाएँ।”

नीरज ने बताया कि इस आमंत्रण के चलते न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार को भी सोशल मीडिया पर आलोचना,नफरत और अपशब्दों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “मुझे दुख इस बात का है कि बिना किसी की सच्चाई को जाने,मेरे परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। कुछ मीडिया संस्थान मेरे बारे में झूठी खबरें फैला रहे हैं,लेकिन केवल इसलिए कि मैं चुप हूँ,इसका अर्थ यह नहीं कि वे बातें सच हैं।”

नीरज ने यह भी कहा कि उन्होंने वर्षों तक अपने देश का गौरव बढ़ाया है और जब उनकी निष्ठा पर सवाल उठाए जाते हैं,तो यह बेहद पीड़ादायक होता है। “मैंने गर्व से अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है। मैंने तिरंगे को दुनिया भर में ऊँचा किया है। मुझे दुःख होता है कि मुझे अपनी देशभक्ति का सबूत देना पड़ रहा है।”

नीरज ने पहलगाम आतंकी हमले पर गहरा दुख जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट कीं। उन्होंने लिखा, “मैं उन सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ,जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजनों को खोया है। मैं भी,पूरे देश की तरह,बेहद आहत और गुस्से में हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे देश की प्रतिक्रिया इस राष्ट्र की ताकत को दिखाएगी और दोषियों को उचित दंड मिलेगा।”

नीरज ने पोस्ट में एक साल पहले की उस घटना का भी उल्लेख किया,जब उनकी माँ ने अरशद नदीम की तारीफ करते हुए उन्हें “अपने बेटे जैसा” कहा था। उन्होंने लिखा, “मुझे यह समझ नहीं आता कि लोग इतनी जल्दी कैसे बदल जाते हैं। जब मेरी माँ ने सादगी में यह बात कही थी,तो लोगों ने उनकी सराहना की थी,लेकिन आज वही लोग उन्हें उसी बात को लेकर निशाना बना रहे हैं।”

नीरज चोपड़ा ने अपनी बात को समाप्त करते हुए अपील की कि खेल को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल में भाग लेने वाले एथलीटों के बीच आपसी सम्मान और प्रतिस्पर्धा होती है,जिसका उद्देश्य देश और खेल को आगे बढ़ाना है। “मैं सिर्फ इतना चाहता हूँ कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में भी सम्मान मिले। मैं पूरी मेहनत से अपने देश के लिए खेलता रहूँगा ताकि हमारा तिरंगा हमेशा ऊँचा लहराए।”

नीरज चोपड़ा का यह बयान न केवल एक एथलीट की व्यथा को दर्शाता है,बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि देशभक्ति के मायने केवल नारों और प्रतिक्रियाओं से नहीं, बल्कि वर्षों की निष्ठा और समर्पण से तय होते हैं। खेल को राजनीति से जोड़ना, विशेषकर तब जब खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को मजबूत करने में लगे हों,एक खतरनाक प्रवृत्ति है। नीरज की प्रतिक्रिया संयमित,स्पष्ट और देशहित में है,जो एक सच्चे खिलाड़ी और देशभक्त की पहचान है।