नई दिल्ली,7 मई (युआईटीवी)- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत मंगलवार देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के संबंध में भारत सरकार ने एक संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की। इस अहम संवाददाता सम्मेलन में विदेश सचिव विक्रम मिस्री,भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी शामिल हुईं। तीनों अधिकारियों ने मिलकर मीडिया को ऑपरेशन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी और इस ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई की विस्तृत पृष्ठभूमि सामने रखी।
संयुक्त प्रेस वार्ता की शुरुआत एक वीडियो क्लिप से हुई,जिसमें भारत में पिछले दो दशकों में हुए प्रमुख आतंकी हमलों की झलक दी गई। इसमें 2001 का संसद हमला,2008 का मुंबई हमला,2016 का उरी हमला,2019 का पुलवामा हमला और हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले को दिखाया गया। वीडियो ने यह स्पष्ट किया कि भारत लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है।
भारतीय सेना की प्रतिनिधि लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि “ऑपरेशन सिंदूर” का उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाना और आतंक के बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना था। उन्होंने बताया कि कुल नौ आतंकवादी शिविरों को सटीकता से निशाना बनाकर खत्म किया गया। उन्होंने कहा कि, “पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से आतंकवादी ढाँचे का निर्माण करता आ रहा है,जो पाकिस्तान और पीओके दोनों में फैला है। इन शिविरों से आतंकवादियों को प्रशिक्षित कर भारत में भेजा जाता है।”
कर्नल कुरैशी के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके में पहला निशाना मुजफ्फराबाद का सवाई नाला कैंप था, जो नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर स्थित लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र था। यहीं से सोनमर्ग, गुलमर्ग और हालिया पहलगाम हमलों में शामिल आतंकियों ने प्रशिक्षण लिया था।
भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच इस सैन्य अभियान को चलाया गया। इस अभियान की विशेषता इसकी सटीकता और संयम रही। उन्होंने बताया कि, “हमने ऐसे ठिकानों को चुना,जहाँ आतंकवादियों का जमावड़ा था,लेकिन नागरिक आबादी नहीं थी। हमारी रणनीति थी कि किसी भी निर्दोष नागरिक की जान न जाए और किसी गैर-सैन्य ढाँचे को नुकसान न पहुँचे।”
व्योमिका सिंह ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवादी ढाँचों को खत्म करने के लिए थी,न कि किसी राष्ट्र के खिलाफ युद्ध के रूप में।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रीफिंग में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का सीधा संबंध 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले से है,जिसमें लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादियों ने 25 भारतीय नागरिकों और 1 नेपाली नागरिक की निर्मम हत्या कर दी थी। उन्होंने इस घटना का बेहद दर्दनाक विवरण देते हुए बताया कि, “पर्यटकों को उनके परिवारों के सामने सिर में गोली मारी गई। आतंकियों ने जानबूझकर परिवारों को धमकाया और कहा कि इस बर्बरता का संदेश फैलाया जाए। यह हमला जम्मू-कश्मीर में लौटती सामान्य स्थिति और बढ़ते पर्यटन को रोकने की नीयत से किया गया था।”
मिस्री ने आगे कहा कि इस हमले की जिम्मेदारी “रेजिस्टेंस फ्रंट” नामक संगठन ने ली,जो लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान की संलिप्तता के पुख्ता सबूत पाए हैं।
विदेश सचिव ने भारत की रणनीति को संतुलित,अनुपातिक और गैर-उत्तेजक बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि, “भारत ने केवल आतंकवादियों और उनके ठिकानों को निशाना बनाया है। हमारी नीति स्पष्ट है। हम अपनी जनता की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएँगे,लेकिन गैर-सैन्य लक्ष्यों पर हमला नहीं करेंगे।”
उन्होंने बताया कि भारत को खुफिया एजेंसियों से यह संकेत मिले थे कि आने वाले दिनों में भारत पर और भी हमले हो सकते हैं और इसलिए इस अभियान को रोकथाम और प्रतिशोध के संयोजन के रूप में अंजाम दिया गया।
संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में तीनों अधिकारियों ने एक ही बात पर ज़ोर दिया कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल आतंकियों को जवाब देने का प्रतीक है,बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सक्रिय रणनीति अपनाएगा।
इस ब्रीफिंग के माध्यम से भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी यह संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह निर्णायक और जिम्मेदार दोनों है। यह कार्रवाई भारत के आत्म-संयम और सैन्य क्षमता,दोनों का प्रतीक बनकर उभरी है।