नई दिल्ली,17 मई (युआईटीवी)- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले की बात को स्वीकार किया है। भारत द्वारा हाल ही में चलाया गया “ऑपरेशन सिंदूर” न केवल सैन्य रणनीति का अद्भुत उदाहरण बन गया है,बल्कि यह भारतीय वायुसेना की सटीकता, साहस और त्वरित निर्णय क्षमता का भी प्रतीक बन चुका है। यह ऑपरेशन पाकिस्तान के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आया,खासकर जब खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आधी रात में इसकी जानकारी दी गई और उन्हें इस हमले की पुष्टि करनी पड़ी।
इस ऑपरेशन की जड़ें पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हैं,जिसमें भारतीय नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया था। भारत ने इस हमले का माकूल जवाब देने के लिए एक निर्णायक योजना बनाई,जिसका नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया। यह नाम भारतीय संस्कृति में वीरता,विजय और बलिदान का प्रतीक माना जाता है,जो इस ऑपरेशन की भावनात्मक और रणनीतिक गंभीरता को भी दर्शाता है।
9 और 10 मई की रात,जब दुनिया सो रही थी,तब रात 2:30 बजे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को नींद से उठाकर बताया कि भारत ने नूर खान एयर बेस और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया है।
यह सूचना इतनी चौंकाने वाली थी कि पाकिस्तान के अंदरूनी सुरक्षा ढाँचे में खलबली मच गई। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा कि यह ऑपरेशन भारतीय सैन्य शक्ति का स्पष्ट प्रमाण है।
यह ऑपरेशन सिर्फ 25 मिनट में पूरा किया गया,लेकिन इसके प्रभाव इतने व्यापक हैं कि पाकिस्तान को इसकी भरपाई करने में शायद वर्षों लग जाएँगे। भारत ने 24 मिसाइलें दागीं,जिनमें हर एक का लक्ष्य पहले से तय था और जो सटीकता से अपने लक्ष्य पर जाकर गिरीं।
भारत ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया,वे पाकिस्तान की सैन्य रणनीति की रीढ़ माने जाते हैं:
* नूर खान एयर बेस (पूर्व नाम: पीएएफ चकलाला) – पाकिस्तान की एयर मोबिलिटी कमांड का मुख्यालय
*रनवे और रडार सिस्टम
*विमान हैंगर
*कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स
इस बेस पर मौजूद साब एरीये (एईडब्लू&सी विमान),सी-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और आईएल 78 एयर टैंकर पाकिस्तान की वायुशक्ति के अहम अंग हैं। इन पर हुए हमलों से पाकिस्तान की युद्धक्षमता में भारी गिरावट आ सकती है।
ऑपरेशन के बाद जो सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं,उनसे पता चलता है कि हमलों में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। रनवे पर गड्ढे,जले हुए विमान और मलबे में तब्दील हैंगर संकेत हैं कि भारत का उद्देश्य केवल चेतावनी देना नहीं,बल्कि रणनीतिक बढ़त बनाना भी था।
शुरुआत में पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की, लेकिन जब शहबाज शरीफ ने अप्रत्यक्ष रूप से इसकी बात मानी,तो यह स्पष्ट हो गया कि भारत की यह सर्जिकल स्ट्राइक वाकई में जमीन पर सफल रही है।
पाकिस्तानी मीडिया में इस विषय पर सीमित कवरेज और सेना की ओर से चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान इस हमले से हतप्रभ हैं और उनकी जवाबी रणनीति लगभग शून्य है।
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी,बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी था कि भारत अब किसी भी आतंकी हरकत को सहन नहीं करेगा और जवाब उसी भाषा में देगा जो सामने वाले को समझ आए। यह ऑपरेशन ‘नई भारतीय सैन्य नीति’ की मिसाल है जिसमें सीमापार जवाब,सटीकता आधारित स्ट्राइक,त्वरित कार्रवाई और राजनीतिक-सैन्य समन्वय एक साथ देखने को मिला।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को सैन्य दृष्टि से ऊँचे पायदान पर पहुँचा दिया है। यह न केवल पाकिस्तान को चेतावनी है,बल्कि यह पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी संकेत देता है कि भारत अब ‘रक्षा’ से आगे बढ़कर ‘प्रतिक्रिया’ की नीति अपना चुका है। पाकिस्तान की चुप्पी,उसकी बौखलाहट और आंतरिक राजनीतिक दबाव यही दर्शाते हैं कि भारतीय वायुसेना का यह ऑपरेशन न केवल सफल रहा,बल्कि ऐतिहासिक भी बन गया।