प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम मोदी ने सीजेआई को दिए गए वकीलों की चिट्ठी पर कहा, डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति

नई दिल्ली,28 मार्च (युआईटीवी)- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई ) न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को हाल ही में देश भर के 600 से अधिक वकीलों से एक पत्र मिला है। इस पत्र में वकीलों ने न्यायपालिका की अखंडता और न्यायिक फैसलों को प्रभावित करने की कोशिशों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। इस पत्र के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी और उसकी डराने-धमकाने की कथित संस्कृति की आलोचना की।

पत्र के मुताबिक, एक विशेष समूह है जो न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और अदालती फैसलों में हेरफेर करने की कोशिश कर रहा है। वकीलों का दावा है कि यह ग्रुप झूठी कहानियाँ गढ़ रहा है और न्यायपालिका की छवि खराब कर रहा है। उनका तर्क है कि ये कार्रवाइयाँ लोकतांत्रिक ढाँचे और न्यायपालिका में जनता के विश्वास के लिए खतरा पैदा करती हैं। वकील विशेष रूप से राजनीतिक नेताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े मामलों को उजागर करते हैं, जहाँ उनका मानना ​​​​है कि इस समूह की दबाव रणनीति सबसे स्पष्ट है। वे चिंता व्यक्त करते हैं कि ये कार्रवाइयाँ न्यायपालिका की अखंडता को कमजोर कर सकती हैं और न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को कम कर सकती हैं।

पत्र लिखने वाले वकील, जिनमें हरीश साल्वे और मनन कुमार मिश्रा जैसे प्रमुख वकील शामिल हैं, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ से इन चिंताओं को दूर करने के लिए गंभीर कदम उठाने का आग्रह कर रहे हैं। उनका मानना ​​है कि इस विशेष समूह के प्रभाव का मुकाबला करना और न्यायपालिका की अखंडता की रक्षा करना आवश्यक है। वकील लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर देते हैं। वे न्यायिक प्रक्रिया में किसी बाहरी दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने के उपाय करने का आह्वान करते हैं।

इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए सोशल मीडिया हैंडल पर इस पत्र की कॉपी को दोबारा पोस्ट (रिपोस्ट) कर लिखा दूसरों को डराना धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति रही है। उन्होंने स्वार्थ को प्राथमिकता देने के कथित इतिहास के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की और उन पर दूसरों को डराने-धमकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस तरह की रणनीति कांग्रेस पार्टी की पुरानी संस्कृति का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस पार्टी वास्तव में राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वे 140 करोड़ भारतीयों के समर्थन को खारिज कर रहे हैं। उन्होंने लगभग 50 साल पहले की घटनाओं का जिक्र किया,जब कांग्रेस पार्टी ने बेशर्मी से देश के हितों पर अपने हितों को प्राथमिकता दी।

वकीलों द्वारा अपने पत्र में उठाई गई चिंताएँ न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं। उनका तर्क है कि इस विशेष समूह के कार्यों से लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्यायपालिका में लोगों के विश्वास पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना आवश्यक है कि न्यायिक प्रक्रिया बाहरी प्रभाव और राजनीतिक एजेंडे से मुक्त रहे। न्यायपालिका की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों को कायम रखना महत्वपूर्ण है।

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