नई दिल्ली,22 मार्च (युआईटीवी)- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विश्व जल दिवस पर जल संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपने संदेश साझा किए। इस अवसर पर नेताओं ने लोगों से जल बचाने और इसके महत्व को समझने की अपील की। जल संकट और इसके प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह संदेश दिए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा कि “विश्व जल दिवस पर हम जल संरक्षण और सतत विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि, “जल सभ्यताओं की जीवन रेखा है,इसलिए इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है।” प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश जल की अहमियत को समझाने और इसके संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए था। उनका संदेश एक चेतावनी के रूप में था कि यदि जल का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियों को इस अमूल्य संसाधन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने भी इस दिन को खास मानते हुए अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “जल-प्रकृति का अमूल्य वरदान- न केवल जीवन का आधार है,बल्कि हमारी संस्कृति,कृषि और भविष्य की समृद्धि का मूल स्रोत भी है।” उन्होंने यह भी बताया कि जल की सतत उपलब्धता को सुनिश्चित करना हम सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है। पाटिल ने आगे कहा कि जल संरक्षण की दिशा में कई पहल की जा रही हैं,जिनमें सबसे महत्वपूर्ण “कैच द रेन” अभियान है,जिसकी शुरुआत पंचकूला में हो रही है। इस अभियान का उद्देश्य वर्षा जल संचयन के महत्व को समझाना और इसे संरक्षित करना है। पाटिल ने बताया कि इस वर्ष की थीम “जल संचय,जनभागीदारी: जन जागरूकता की ओर” है,जो केवल एक थीम नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है। उनका यह संदेश यह दर्शाता है कि जल संकट केवल सरकारी प्रयासों से नहीं,बल्कि प्रत्येक नागरिक के सहयोग से ही हल किया जा सकता है।
On World Water Day, we reaffirm our commitment to conserve water and promote sustainable development. Water has been the lifeline of civilisations and thus it is more important to protect it for the future generations! pic.twitter.com/Ic6eoGudvt
— Narendra Modi (@narendramodi) March 22, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस दिन जल के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए संदेश दिया। उन्होंने लिखा, “विश्व जल दिवस की बधाई! आइए,जल को बचाने का संकल्प लें और स्वच्छ व समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ें।” योगी आदित्यनाथ का यह संदेश जल संरक्षण के महत्व पर जोर देता है और लोगों से अपील करता है कि वे पानी की क़ीमत को समझें और इसे बचाने के प्रयासों में भाग लें। उनका यह संदेश राज्य के नागरिकों को जल के सही उपयोग और उसकी आवश्यकता के बारे में जागरूक करने का एक प्रयास था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस अवसर पर जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “प्रदेशवासियों को विश्व जल दिवस की शुभकामनााएँ! उत्तराखंड पवित्र नदियों का उद्गम स्थल और जल संपदा से भरपूर है। यह हमारी धरोहर है,जिसे बचाना हमारा कर्तव्य है।” धामी ने जल के सही उपयोग को सतत विकास की कुंजी बताते हुए कहा कि सरकार जल संसाधनों को संरक्षित करने के लिए लगातार काम कर रही है। उनका यह संदेश जल के महत्व को स्पष्ट करता है और यह भी बताता है कि उत्तराखंड की जल संपदा को बचाने की जिम्मेदारी सभी नागरिकों की है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भविष्य के लिए जल संरक्षण का संकल्प लें और इसका सही तरीके से उपयोग करें।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस दिन को खास माना और प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने लिखा, “जल है तो कल है। विश्व जल दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ। आइए,प्रकृति के इस अनमोल तोहफे को बचाएँ और समृद्ध भविष्य बनाएँ।” उनका संदेश जल के महत्व को समझाने और इसे बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करने का था। उनका यह कथन “जल है तो कल है” पानी की अहमियत को दर्शाता है और यह बताता है कि यदि जल का संरक्षण नहीं किया गया,तो भविष्य में इसका गंभीर असर पड़ सकता है।
इन सभी नेताओं के संदेशों से यह स्पष्ट होता है कि जल संकट केवल एक पर्यावरणीय चुनौती नहीं,बल्कि यह समाज के हर हिस्से से जुड़ा हुआ मुद्दा है। जल न केवल जीवन का आधार है,बल्कि यह कृषि,उद्योग और समाज की समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। इन नेताओं के संदेशों में जल संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया गया और इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने की बात कही गई।
इन प्रयासों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल संरक्षण के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग पानी के महत्व को समझते हुए इसके सही उपयोग की दिशा में कदम उठाएँगे। जल संरक्षण का यह संदेश न केवल सरकारों द्वारा दिया जा रहा है,बल्कि इसे एक नागरिक आंदोलन के रूप में भी फैलाने की जरूरत है,ताकि हम सभी मिलकर जल संकट का समाधान ढूँढ सकें।