नई दिल्ली,10 जुलाई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाँच देशों—घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो,अर्जेंटीना,ब्राजील और नामीबिया की यात्रा के बाद गुरुवार को भारत लौट आए। यह दौरा भारत की विदेश नीति,वैश्विक सक्रियता और कूटनीतिक प्रभाव के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार,यह यात्रा “सफल और ऐतिहासिक” रही है।
इस दौरे में पीएम मोदी ने जहाँ भारत के उभरते वैश्विक नेतृत्व को मज़बूती से सामने रखा,वहीं कई देशों की संसदों में ऐतिहासिक भाषण देकर उन्होंने भारत की आवाज़ को ग्लोबल साउथ और अफ्रीकी कैरिबियन देशों में गूंजाया। सबसे खास बात यह रही कि इस यात्रा के साथ ही पीएम मोदी ने 17 विदेशी संसदों को संबोधित करने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह आँकड़ा कांग्रेस के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के कुल संबोधनों के बराबर है।
पीएम मोदी ने अब तक जिन 17 विदेशी संसदों को संबोधित किया है,उनमें अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया,फ्रांस,इज़रायल,जापान,यूके,सिंगापुर,भूटान जैसे देश शामिल हैं। इस बार घाना,त्रिनिदाद एंड टोबैगो और नामीबिया की संसद में दिए गए भाषणों ने इस संख्या को ऐतिहासिक बना दिया।
तुलना करें तो पंडित नेहरू ने तीन बार,इंदिरा गांधी ने चार बार,राजीव गांधी ने दो,पी. वी. नरसिम्हा राव ने एक और डॉ. मनमोहन सिंह ने सात बार विदेशी संसदों को संबोधित किया था। मोदी ने एक दशक में ही यह रिकॉर्ड छू लिया। यह भारत की आक्रामक,आत्मविश्वास से भरी नई कूटनीति का संकेत है।
पीएम मोदी को इस यात्रा के दौरान चार देशों में उच्चतम नागरिक सम्मान प्रदान किए गए,जो न केवल उनके व्यक्तिगत नेतृत्व की पहचान है,बल्कि भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण भी है।
घाना: पीएम मोदी को “ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान किसी भारतीय प्रधानमंत्री को 30 वर्षों में पहली बार मिला है।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो: यहाँ उन्हें “ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो” प्रदान किया गया। वे इस सम्मान को पाने वाले पहले विदेशी नेता बने। इस देश के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक हैं और भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी यहां रहती है।
ब्राजील: ब्राजील ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान “ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस” से नवाजा। यह सम्मान आमतौर पर केवल प्रमुख वैश्विक नेताओं को दिया जाता है।
नामीबिया: पीएम मोदी को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस” से सम्मानित किया गया। जब यह सम्मान दिया गया,तब पूरा संसद कक्ष “मोदी, मोदी” के नारों से गूँज उठा। यह दृश्य भारत की सॉफ्ट पावर और सम्मानजनक छवि को उजागर करता है।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत से गए प्रवासी भारतीयों के 180 वर्ष पूरे होने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह देश भारत की सांस्कृतिक विरासत और मजबूत लोगों की याद दिलाता है। प्रधानमंत्री उस ऐतिहासिक स्पीकर कुर्सी के सामने खड़े हुए,जो भारत ने 1968 में उपहार स्वरूप दी थी। उन्होंने इसे ‘समय की कसौटी पर खरी उतरी दोस्ती’ का प्रतीक बताया।
नामीबिया की संसद में पीएम मोदी ने तकनीक,स्वास्थ्य,डिजिटल बुनियादी ढाँचे और लोकतंत्र के साझा मूल्यों पर भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत न केवल एक भागीदार है बल्कि विकासशील देशों की आवाज़ बनने की भूमिका निभा रहा है।
इस यात्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब पारंपरिक पश्चिम-केंद्रित विदेश नीति से आगे निकलकर अफ्रीका,कैरिबियन और ग्लोबल साउथ जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इन क्षेत्रों में भारत अपनी तकनीकी विशेषज्ञता,वैक्सीन कूटनीति, डिजिटल इंडिया और जनसंख्या संबंधों के बल पर मजबूत संबंध स्थापित कर रहा है।
पाँच देशों की इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को चौथा,पाँचवां,छठा और सातवां अंतर्राष्ट्रीय सर्वोच्च सम्मान मिला,जिससे उनका वैश्विक सम्मान बढ़कर 27 हो गया है। यह अपने आप में किसी भी भारतीय नेता के लिए एक रिकॉर्ड है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह पाँच देशों की यात्रा केवल एक राजनयिक दौरा नहीं थी, बल्कि यह भारत के वैश्विक दृष्टिकोण और कूटनीतिक रणनीति की दिशा को दर्शाने वाला प्रतीक थी। इससे भारत की आवाज दुनिया भर में और बुलंद हुई है। सम्मान, भाषण और साझेदारियों के जरिए यह यात्रा भारत की साख को नई ऊँचाई तक ले गई है।
भारत अब न केवल आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभर रहा है,बल्कि एक वैचारिक नेता के तौर पर भी ग्लोबल साउथ के मंच पर मजबूती से खड़ा है।