चंडीगढ़,20 मार्च (युआईटीवी)- पंजाब पुलिस ने बुधवार की रात को शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। यह कार्रवाई करीब 13 महीने बाद की गई है,जब से किसान इन बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने किसानों के बनाए गए शेड और मंचों को बुलडोजर से गिरा दिया और 200 से अधिक आंदोलनकारी किसानों को हिरासत में ले लिया। इस ऑपरेशन के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर समेत कई प्रमुख आंदोलनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया।
पुलिस की यह कार्रवाई बुधवार देर शाम से शुरू हुई और अब तक लगभग पूरा रोड साफ़ (क्लीयर) कर दिया गया है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण ट्रैफिक की समस्या बनी हुई थी,जिसे अब पुलिस ने सुलझा लिया है। इस दौरान हरियाणा की तरफ से भी बॉर्डर खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। यहाँ पर भी क्रेन की मदद से बोल्डर हटाए जा रहे हैं और अस्थायी चौकी को तोड़ा जा रहा है।
पुलिस के इस बड़े ऑपरेशन से किसानों के गुस्से को देखते हुए पंजाब के कुछ जिलों में इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई है,ताकि प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने से रोका जा सके। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इन स्थानों पर एंबुलेंस,बसें और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की तैनाती की गई है,ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटा जा सके। पटियाला रेंज के डीआईजी मनदीप सिंह संधू इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। दोनों बॉर्डरों पर लगभग 3,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।
किसान पिछले 13 फरवरी,2024 से इन बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे थे और उन्होंने यहाँ पक्के टेंट और ठिकाने बना लिए थे। पुलिस ने इन टेंटों और ठिकानों को हटा दिया है। किसानों को वहाँ से हटाने के बाद उन्हें बसों में भरकर अन्य स्थानों पर भेज दिया गया। पुलिस ने किसानों के मंचों को भी जेसीबी की मदद से हटा दिया है।
इस ऑपरेशन को लेकर पंजाब सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि शंभू बॉर्डर को क्लीयर किया जाए और हाईवे को किसी भी हाल में खोल दिया जाए। इसी वजह से पुलिस ने पूरी रात मेहनत की और इस कार्रवाई को अंजाम दिया। पुलिस की यह कार्रवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण थी,क्योंकि किसानों का प्रदर्शन पूरे राज्य में बड़ी समस्या बन गया था और ट्रैफिक की आवाजाही पर इसका गहरा असर पड़ रहा था।
हालाँकि,इस कार्रवाई के बाद किसान नेता गुस्से में हैं। उन्होंने पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है और इसे “दमनकारी” करार दिया है। किसान नेताओं ने यह भी ऐलान किया है कि वे इस कार्रवाई का जवाब देंगे और आने वाले दिनों में इसका विरोध जारी रखेंगे। उनका कहना है कि सरकार उनकी माँगों को अनदेखा कर रही है और उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
किसानों का आंदोलन पिछले कुछ समय से पंजाब और हरियाणा में काफी तेज हो गया था और यह उनके लिए एक संघर्ष बन गया था। उनका कहना है कि उनकी कई अहम माँगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं,जिनमें कृषि विधेयकों को वापस लेना और किसानों के लिए बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी शामिल है।
पंजाब पुलिस की कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार अब किसी भी कीमत पर किसानों के विरोध को खत्म करना चाहती है। वहीं,किसानों का गुस्सा इस कार्रवाई के बाद और बढ़ सकता है और यह आंदोलन अब और भी तेज हो सकता है। पुलिस और किसानों के बीच यह टकराव राज्य में एक नई राजनीतिक परिस्थिति पैदा कर सकता है,जो आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकता है।
पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राज्य सरकार अपने आदेशों को लागू करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। वहीं, किसानों की संघर्ष की भावना भी इस कार्रवाई के बाद और मजबूत हो सकती है और यह आंदोलन अगले कुछ दिनों में एक नई दिशा में मोड़ ले सकता है।