बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@harnathsinghmp)

शिन बेट प्रमुख को हटाने को लेकर इजरायली पीएम नेतन्याहू और अटॉर्नी जनरल के बीच हुआ विवाद

यरुशलम,22 मार्च (युआईटीवी)- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अटॉर्नी जनरल गाली बहारव-मीआरा के बीच एक गंभीर विवाद उभर कर सामने आया है,जो घरेलू सुरक्षा एजेंसी शिन बेट के प्रमुख रोनन बार को हटाने को लेकर है। यह विवाद इस समय इजरायल की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

गाली बहारव-मीआरा ने एक निर्देश जारी करते हुए प्रधानमंत्री नेतन्याहू को यह आदेश दिया कि वे शिन बेट के प्रमुख की हटाने की प्रक्रिया से किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बचें। इस आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि शिन बेट के नए प्रमुख की नियुक्ति पर प्रतिबंध है और इस संबंध में किसी भी प्रकार के साक्षात्कार भी नहीं किए जा सकते। बहारव-मीआरा का यह निर्देश एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम था,जो नेतन्याहू की योजना को सीधे चुनौती देता था।

इस फैसले के बाद,प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनके कार्यालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि इजरायल में कानून का राज है और सरकार के पास यह अधिकार है कि वह तय करे कि शिन बेट का प्रमुख कौन होगा। इस बयान में यह भी कहा गया कि इस मुद्दे पर सिविल वॉर की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी और सरकार अपनी सुरक्षा नियुक्तियों के बारे में निर्णय लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।

इस विवाद की जड़ में शिन बेट के प्रमुख रोनन बार का कार्यकाल समाप्त होने की तारीख है। बार का कार्यकाल पहले 20 अप्रैल को समाप्त होने वाला था,लेकिन कैबिनेट ने इसे 10 अप्रैल तक सीमित कर दिया था। हालाँकि,अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया था कि नए प्रमुख की नियुक्ति के बाद बार जल्दी भी अपना पद छोड़ सकते हैं। बार और नेतन्याहू के बीच तनाव की वजह से यह विवाद और भी गंभीर हो गया है।

नेतन्याहू और बार के बीच तनाव विशेष रूप से हमास-इजरायल युद्ध के बाद बढ़ा है। शिन बेट ने युद्धकालीन निर्णयों और “कतर-गेट” मामले को प्रमुखता से उठाया था,जिसमें नेतन्याहू के सहायकों और कतरी अधिकारियों के बीच कथित अनौपचारिक संपर्कों का मुद्दा था। शिन बेट द्वारा इन मामलों को उजागर करने से नेतन्याहू की सरकार की नीतियों पर सवाल उठे और इससे नेतन्याहू ने बार को हटाने का मन बनाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों के लिए बार को हटाना चाहते हैं,क्योंकि बार ने उनकी नीतियों के खिलाफ सवाल उठाए थे और उन्हें लेकर कई आलोचनाएँ की थीं।

विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की थी,जिसमें उन्होंने माँग की थी कि बार को हटाने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। उच्च न्यायालय ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए,बार को हटाने पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। इसके बाद,अटॉर्नी जनरल गाली बहारव-मीआरा ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए,शिन बेट के प्रमुख की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया।

इस विवाद को लेकर इजरायल में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति बन गई है। एक तरफ जहाँ सरकार शिन बेट के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर अपनी स्वतंत्रता का बचाव कर रही है,वहीं दूसरी तरफ न्यायिक हस्तक्षेप और विपक्षी दलों के दबाव के कारण इस मामले का हल निकलने में समय लग रहा है। इस सबके बीच,इजरायली मीडिया ने यह भी रिपोर्ट किया है कि नेतन्याहू कैबिनेट ने बहारव-मीआरा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने का निर्णय लिया है।

नेतन्याहू और बहारव-मीआरा के बीच यह विवाद इजरायल की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना रहा है। शिन बेट की प्रमुखता और उसकी सुरक्षा नीतियों पर होने वाली आलोचना से यह स्पष्ट हो गया है कि नेतन्याहू के लिए बार की कार्यशैली असहनीय हो गई थी,जबकि बार ने अपनी भूमिका निभाते हुए सरकार की नीतियों को लेकर सवाल उठाए थे।

इजरायल की राजनीति में ऐसे विवादों का असर न केवल सरकार की सुरक्षा नीतियों पर पड़ता है,बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी नीति पर भी गहरे प्रभाव डाल सकता है। यह मामला इजरायल के न्यायिक प्रणाली,सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को उजागर करता है और यह भी दिखाता है कि राजनीतिक शक्ति का संघर्ष कभी-कभी सुरक्षा के मामलों को भी प्रभावित कर सकता है।

इस पूरे विवाद का अंतिम परिणाम क्या होगा,यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, यह मामला इजरायल के राजनीतिक और न्यायिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है।