कीव,21 अप्रैल (युआईटीवी)- तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच 30 घंटे का ईस्टर युद्धविराम एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा घोषित इस सीमित युद्धविराम की घोषणा के पीछे का उद्देश्य एक धार्मिक पर्व पर शांति और मानवता का संदेश देना था,लेकिन ये प्रयास धरातल पर नाकाम साबित हुआ।
दोनों पक्षों ने इस सीमित युद्धविराम के दौरान भी एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए। आँकड़े और घटनाएँ साफ तौर पर दिखाती हैं कि 30 घंटे की अस्थायी शांति भी वास्तविक रूप से सिर्फ एक औपचारिकता रह गई।
ईस्टर युद्धविराम की समाप्ति के कुछ ही घंटों बाद,रूसी सेना ने पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन पर हवाई हमले फिर से शुरू कर दिए। यूक्रेन के निप्रॉपेट्रोस क्षेत्र के गवर्नर सर्गेई लिसाक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर बताया कि रूस ने इस क्षेत्र में ड्रोन से हमला किया,जिससे एक आवासीय घर क्षतिग्रस्त हुआ और एक फूड इस्टैब्लिशमेंट में आग लग गई। हालाँकि,राहत की बात यह रही कि इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली।
दूसरी तरफ,यूक्रेन के मायकोलाइव क्षेत्र में भी हवाई हमले की पुष्टि की गई। क्षेत्रीय गवर्नर विटाली किम ने बताया कि 21 अप्रैल की सुबह करीब 4:57 बजे रूसी मिसाइलों ने शहर को निशाना बनाया। हालाँकि,अभी तक हमले की प्रकृति की पुष्टि नहीं हो सकी है और कोई जनहानि की सूचना नहीं है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने रविवार देर रात बड़ा दावा करते हुए कहा कि रूस ने 1,882 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया,जिनमें से 812 घटनाएँ भारी हथियारों के उपयोग से जुड़ी थीं। उन्होंने बताया कि सबसे भीषण हमले डोनेट्स्क क्षेत्र के पोक्रोव्स्क शहर के पास हुए,जो यूक्रेनी सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रसद केंद्र है।
जेलेंस्की ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि, “हमारे जवाब रूसी हमलों से खुद को बचाने के लिए होंगे। उन्होंने कहा कि, “यूक्रेनी के साथ जैसा किया जाएगा,हम भी वैसी ही करेंगे। चुप्पी का जवाब हम चुप्पी से देंगे,लेकिन जो हमला करेगा,उसे उसी भाषा में जवाब मिलेगा।”
ईस्टर युद्धविराम के दौरान अमेरिका की प्रतिक्रिया भी दिलचस्प रही। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप,जो वर्तमान में फिर से राष्ट्रपति पद के दावेदार हैं,ने रविवार देर रात उम्मीद जताई कि “रूस और यूक्रेन इस सप्ताह किसी समझौते पर पहुँच सकते हैं।” हालाँकि,उन्होंने इस संभावित समझौते के विवरण साझा नहीं किए।
ट्रंप की टिप्पणी को कुछ विशेषज्ञ एक राजनयिक संकेत के रूप में देख रहे हैं,तो कुछ इसे एक राजनैतिक रणनीति मानते हैं,खासकर 2024 अमेरिकी चुनावों के संदर्भ में,जहाँ अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी भूमिका चर्चा का विषय बनती रही है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा घोषित यह 30 घंटे का ईस्टर युद्धविराम इस आशा के साथ सामने आया था कि कम-से-कम धार्मिक पर्व के अवसर पर नागरिकों को राहत मिलेगी और संघर्षरत क्षेत्रों में कुछ क्षणों की शांति स्थापित होगी,लेकिन व्यवहार में यह घोषणा एकतरफा पहल जैसी साबित हुई,जिसका ना तो पालन किया गया और ना ही उस पर कोई ठोस निगरानी तंत्र मौजूद था।
इससे पहले यूक्रेनी राष्ट्रपति ने एक 30 दिन की अवधि तक नागरिक बुनियादी ढाँचे पर हमले ना करने का प्रस्ताव भी दिया था,जिसमें ड्रोन और लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग पर रोक शामिल थी। पर इस प्रस्ताव को भी व्यावहारिक समर्थन नहीं मिल सका।
तीन वर्षों से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध में ईस्टर युद्धविराम जैसी पहलें निश्चित रूप से सकारात्मक संकेत हो सकती हैं,लेकिन जब भरोसे और पारदर्शिता की कमी हो,तो यह प्रयास प्रतीकात्मकता से आगे नहीं बढ़ पाते।
इस 30 घंटे के युद्धविराम के दौरान भी ड्रोन हमले,मिसाइलों की बारिश और भारी हथियारों की गूँज बंद नहीं हुई।
अब जब दुनिया की निगाहें रूस-यूक्रेन संघर्ष के किसी संभावित समाधान पर टिकी हैं,तो ज़रूरत है कि अगली बार युद्धविराम केवल शब्दों तक सीमित ना रहे,बल्कि जमीनी हकीकत में बदलाव लाए।
शांति की राह अब भी लंबी है,लेकिन अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति और अंतर्राष्ट्रीय दबाव सही दिशा में काम करें,तो यह असंभव भी नहीं।