अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटे कैप्टन शुभांशु शुक्ला (तस्वीर क्रेडिट@KumariPrat383)

शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा का सफल समापन,20 दिन बाद सुरक्षित लौटे पृथ्वी पर,प्रधानमंत्री मोदी ने खुशी जताई

नई दिल्ली,16 जुलाई (युआईटीवी)- भारत के लिए गर्व का क्षण रहा,जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 20 दिन के अंतरिक्ष मिशन के बाद सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए। उनके साथ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन,पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी इस मिशन का हिस्सा रहे। चारों अंतरिक्ष यात्री 23 घंटे की लंबी यात्रा के बाद कैलिफोर्निया के समुद्र में सुरक्षित लैंड हुए। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि भारत के लिए अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला की सकुशल वापसी पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूँ, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए हैं। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में,उन्होंने अपने समर्पण,साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”

स्पेसएक्स ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस सफलता की पुष्टि करते हुए लिखा, “ड्रैगन के सुरक्षित उतरने की पुष्टि हो गई है। एस्ट्रोपैगी,शक्स,एस्ट्रो_स्लावोज़ और टिबी,पृथ्वी पर आपका स्वागत है!”

स्पेसएक्स के अनुसार,अप्रैल में एफआरसीएम-2 मिशन के जरिए पहली बार ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को कैलिफोर्निया के तट पर उतारा गया था। यह दूसरा मौका है,जब इंसानों को लेकर ड्रैगन यान ने पश्चिमी तट पर लैंडिंग की है। इससे पहले इसके ज्यादातर स्प्लैशडाउन अटलांटिक महासागर में होते थे।

शुभांशु शुक्ला और उनके साथी 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे। इस यात्रा के साथ शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए। राकेश शर्मा ने 1984 में यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। शुभांशु शुक्ला के इस मिशन ने भारत को एक बार फिर से अंतरिक्ष अनुसंधान के वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति दिलाई है।

पृथ्वी पर वापसी के दौरान ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।18 मिनट का डी-ऑर्बिट बर्न प्रशांत महासागर के ऊपर हुआ,जिसके दौरान स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू की।

पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान करीब सात मिनट तक यान से संपर्क टूट गया, जिसे ब्लैकआउट पीरियड कहा जाता है। यह स्थिति तेज गति और घर्षण से उत्पन्न अत्यधिक गर्मी के कारण पैदा होती है।

स्पेसक्राफ्ट को वायुमंडल में प्रवेश करते समय 1,600 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी का सामना करना पड़ा।

सुरक्षित वापसी के लिए यान के ट्रंक (पिछला हिस्सा) को अलग किया गया और हीट शील्ड को सही दिशा में स्थापित किया गया।

सफल लैंडिंग के दौरान पैराशूट दो चरणों में खोले गए,जिससे यान की गति को नियंत्रित कर समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की गई।

अपने दो सप्ताह से अधिक के अंतरिक्ष प्रवास के दौरान शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं,जिसमें 310 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा करना,लगभग 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करना, जो पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी से 33 गुना अधिक है तथा पृथ्वी की तेज परिक्रमा के कारण उन्होंने 300 से अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त देखे,जो अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को जानकारी दी कि शुभांशु शुक्ला ने अपने मिशन के दौरान सभी सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोग और अन्य वैज्ञानिक गतिविधियाँ सफलतापूर्वक पूरी की हैं। इसरो ने इसे “मिशन की एक बड़ी उपलब्धि” बताया। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार,इन प्रयोगों के परिणाम भारत के आगामी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुक्ला का यह अनुभव भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान को नई दिशा देगा।

शुभांशु शुक्ला की वापसी पर पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं और गर्व व्यक्त कर रहे हैं। विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए वह एक प्रेरणा बन गए हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि शुक्ला की यह उपलब्धि भारत के युवाओं को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है,बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय वैज्ञानिक क्षमता की एक मजबूत पहचान है। उनकी सुरक्षित वापसी और मिशन की सफलता ने भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे गगनयान मिशन के लिए मील का पत्थर बताना इस उपलब्धि की अहमियत को दर्शाता है। आने वाले समय में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में और भी बड़े मुकाम हासिल करेगा,ऐसी उम्मीद की जा रही है।