इस्राइल-हमास युद्ध

गाजा के 25 फीसदी भागों को खाली करने का आदेश इज़राइल ने किया जारी : संयुक्त राष्ट्र

गाजा,4 दिसंबर (युआईटीवी)- गाजा के 25 फीसदी हिस्से को खाली करने का आदेश इज़राइल द्वारा जारी किया गया है। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) के मुताबिक, युद्ध विराम वार्ता के असफल होने के पश्चात इजरायली सेना ने वैसे नए क्षेत्रों को खाली करने के आदेश दिए हैं जो गाजा पट्टी के करीब 25 फीसदी भागों को कवर करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) के हवाले से समाचार एजेंसी श‍िन्हुआ ने बताया कि इजरायली सेना ने खाली करवाने वाले क्षेत्रों को कई छोटे क्षेत्रों में बाँटा है,ताकि निकासी के लिए दिए गए आदेशों को आसान बनाया जा सके और यह सब संभावित बमबारी से पहले पूरा किया जा सके।

इस बारे में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने कहा कि दक्षिणी गाजा के शहर निर्दिष्ट निकासी क्षेत्रों में शामिल हैं। इन शहरों में खुज़ा,अल-करारा,बानी सुहैला और अबासन शामिल हैं। जो लोग इन क्षेत्रों में निवास करते हैं,उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे मिस्र की सीमा के पास राफा की ओर दक्षिण की ओर जाए।

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने निकासी आदेशों के अधीन के क्षेत्र के बारे में बताया कि गाजा के क्षेत्र का 19 प्रतिशत हिस्सा निकासी आदेशों के अधीन का क्षेत्र है। यह 69 वर्ग किमी है और इजरायल-हमास युद्ध के शुरुआत से पूर्व यहाँ करीब 352,000 लोगों का घर था।

इसके अलावा, इजरायली सेना ने आदेश दिया है कि गाजा शहर के पूर्वी हिस्से के ज़िटौन,ओल्ड सिटी और शेजैया को खाली किया जाए। गाजा पट्टी का 6 प्रतिशत हिस्सा उत्तरी गाजा के जबालिया को भी इजरायली सेना ने खाली करने का आदेश दिया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इजरायली सेना के प्रवक्ता अविचाई अद्राई ने अपने निकासी आदेशों को दोहराया है और खान यूनिस के निवासियों से दक्षिणी एन्क्लेव में अपने आवास छोड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि आप लोग सभी किसी वैकल्पिक स्थानों पर चले जाएँ।

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) का अनुमान है कि गाजा में आंतरिक रूप से लगभग 1.8 मिलियन लोग विस्थापित हो गए हैं। यह आबादी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें से लगभग 1.1 मिलियन को निकट पूर्व में फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी द्वारा गाजा भर में 156 केंद्रों में रखा गया है।

कमजोर लोगों के बारे में संयुक्त राष्ट्र समूह ने अपनी चिंताएँ भी व्यक्त की। इन कमजोर लोगों में गर्भवती,विकलांग व्यक्ति,कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग,घायल लोग,स्तनपान कराने वाली माताएँ इत्यादि शामिल हैं।

 

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