साउथ सुपरस्टार महेश बाबू (तस्वीर क्रेडिट@IMohdShahidRaza)

साउथ सुपरस्टार महेश बाबू को रियल स्टेट से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी ने भेजा समन,27 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा

हैदराबाद,22 अप्रैल (युआईटीवी)- दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार महेश बाबू इन दिनों एक बड़े कानूनी विवाद में फँसे नजर आ रहे हैं। देश की प्रमुख जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें रियल एस्टेट धोखाधड़ी के एक मामले में समन जारी कर 27 अप्रैल को तलब किया है। महेश बाबू को यह नोटिस हैदराबाद की दो प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों सुराना ग्रुप और साई सूर्या डेवलपर्स के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जाँच के सिलसिले में भेजा गया है,जिनके वह ब्रांड एंबेसडर रह चुके हैं।

ईडी की जाँच के अनुसार,महेश बाबू ने इन दोनों कंपनियों के प्रचार के लिए 11 करोड़ रुपये से अधिक की रकम ली थी। इसमें सुराना ग्रुप की ओर से 5.5 करोड़ रुपये,जबकि साई सूर्या डेवलपर्स की ओर से 5.9 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं यह पैसा धोखाधड़ी और अनियमित निवेश से अर्जित तो नहीं किया गया।

सूत्रों की मानें तो ईडी इस बात की जाँच कर रही है कि अभिनेता को इन कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों और उनकी धोखाधड़ी योजनाओं की जानकारी थी या नहीं। यह स्पष्ट करना जरूरी है कि क्या महेश बाबू सिर्फ प्रचार के लिए जुड़े थे या वे जानबूझकर अवैध गतिविधियों के प्रचार में शामिल थे।

महेश बाबू को भेजे गए समन से पहले ईडी ने हैदराबाद और सिकंदराबाद में चार प्रमुख ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह छापे 17 अप्रैल को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत डाले गए थे। इस दौरान जाँच एजेंसी को कई आपत्तिजनक दस्तावेज और 74.5 लाख रुपये नकद हाथ लगे। साथ ही,एजेंसी को 100 करोड़ रुपये के संदिग्ध नकद लेन-देन की जानकारी भी मिली।

ईडी के अधिकारियों का कहना है कि इन कंपनियों ने निवेशकों को प्लॉट और संपत्तियों में निवेश के लिए झूठे वादे किए। इसमें अनाधिकृत लेआउट,एक ही प्लॉट को कई ग्राहकों को बेचना,बिना किसी वैध अनुबंध के भुगतान लेना और पंजीकरण का झूठा आश्वासन देना शामिल था।

इस पूरे मामले की शुरुआत तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से हुई थी। एफआईआर में भाग्यनगर प्रॉपर्टीज लिमिटेड के निदेशक नरेंद्र सुराना,साई सूर्या डेवलपर्स के मालिक के.सतीश चंद्र गुप्ता समेत कई अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन लोगों ने सैकड़ों निवेशकों से अग्रिम राशि के नाम पर करोड़ों रुपये ठगे।

ईडी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह एक पूर्व नियोजित धोखाधड़ी योजना थी, जिसमें कंपनियों ने जानबूझकर ऐसी रणनीतियाँ अपनाईं,जिससे लोगों को गुमराह किया जा सके। उनके इन कार्यों से आम निवेशकों को भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा।

महेश बाबू जैसे बड़े सितारे जब किसी कंपनी का प्रचार करते हैं,तो जनता में उस ब्रांड के प्रति भरोसा और बढ़ जाता है,लेकिन अगर वह कंपनी धोखाधड़ी में लिप्त पाई जाती है,तो यह सवाल उठता है कि क्या सेलिब्रिटी ने उस कंपनी की पारदर्शिता और वैधता की जाँच की थी या नहीं?

अब जब ईडी ने अभिनेता को तलब किया है,तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे इस मामले में सिर्फ एक प्रचारक थे या फिर वे भी इस योजना के हिस्सेदार थे। यदि महेश बाबू का नाम धोखाधड़ी से अर्जित धन को वैध बनाने के प्रयासों से जुड़ता है,तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

ईडी द्वारा जारी समन के अनुसार,महेश बाबू को 27 अप्रैल को हैदराबाद स्थित ईडी कार्यालय में पेश होकर पूछताछ में शामिल होना होगा। इस दौरान उनसे उनकी कंपनियों के साथ की गई डील,भुगतान प्रक्रिया,अनुबंधों की जानकारी और कंपनियों की आर्थिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से सवाल किए जाएँगे।

ईडी इस मामले में अन्य सेलिब्रिटीज और विज्ञापन एजेंसियों की भूमिका की भी जाँच कर रही है,जो इन कंपनियों से किसी रूप में जुड़ी रही हैं। आने वाले दिनों में और नाम इस घोटाले में सामने आ सकते हैं।

महेश बाबू को ईडी का समन सिर्फ एक अभिनेता से पूछताछ का मामला नहीं, बल्कि यह एक बड़े स्तर की वित्तीय जाँच का हिस्सा है। यह प्रकरण बताता है कि ब्रांड एंडोर्समेंट केवल नाम और पैसे का सौदा नहीं,बल्कि इसमें सार्वजनिक जवाबदेही और नैतिक जिम्मेदारी भी निहित होती है।

जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ेगी,इस केस से जुड़े और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। वहीं,जनता और निवेशक यह उम्मीद कर रहे हैं कि इस पूरे घोटाले में शामिल सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी,चाहे वे किसी भी हैसियत में क्यों न हों।