गृह मंत्री अमित शाह (तस्वीर क्रेडिट@Neetishapatil)

‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता: पहलगाम हमले के तीनों आतंकवादी ढेर,गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दी जानकारी

नई दिल्ली,29 जुलाई (युआईटीवी)- केंद्र सरकार ने सोमवार को एक बड़ी आतंकरोधी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दोषियों को उनके अंजाम तक पहुँचा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों को मार गिराया है। इन आतंकियों में लश्कर का टॉप कमांडर सुलेमान उर्फ फैजल,अफगान और जिबरान शामिल हैं। शाह ने कहा कि इन तीनों की पहचान पुख्ता तौर पर हो चुकी है और इनके खिलाफ मौजूद सबूतों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वे पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के सीधे जिम्मेदार थे।

गृह मंत्री ने संसद में बोलते हुए स्पष्ट किया कि मारे गए आतंकवादी उच्च श्रेणी के प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। इनमें सुलेमान उर्फ फैजल,जो गगनगीर हमले में भी शामिल था,लश्कर का कमांडर था और वह कई अन्य आतंकी गतिविधियों का मास्टरमाइंड था। उसके अलावा अफगान और जिबरान भी ‘ए’ श्रेणी के खूँखार आतंकी थे। इन तीनों आतंकियों की लंबे समय से सुरक्षाबलों को तलाश थी।

शाह ने कहा कि 23 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक बुलाई गई थी,जिसमें यह निर्णय लिया गया कि किसी भी स्थिति में आतंकवादी राज्य से बाहर या पाकिस्तान न भागने पाएँ। सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा क्षेत्रों की कड़ी निगरानी शुरू कर दी, जिससे आतंकवादियों के फरार होने के सभी संभावित रास्तों को बंद कर दिया गया।

22 मई को खुफिया ब्यूरो (आईबी) को महत्वपूर्ण सूचना मिली कि डाचीगाम क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियाँ देखी गई हैं। इसके बाद आईबी और सेना ने एक साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल कैप्चर किए और 22 आतंकियों की गतिविधियों की पुष्टि की। इनमें पहलगाम हमले से जुड़े तीन आतंकवादी भी शामिल थे। इसके बाद 22 जुलाई को डाचीगाम क्षेत्र में स्थापित आधुनिक सेंसरों के जरिए आतंकियों की लोकेशन की पुष्टि हुई। इसके बाद विशेष बलों को सक्रिय किया गया और ऑपरेशन महादेव को अंजाम देने का निर्णय लिया गया।

सोमवार को अँधेरे का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना की 4 पैरा यूनिट,सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर इलाके को चारों ओर से घेर लिया। आतंकियों ने जब आत्मसमर्पण से इनकार किया,तो मुठभेड़ शुरू हुई। करीब छह घंटे चले इस ऑपरेशन में तीनों आतंकवादी मारे गए। मुठभेड़ स्थल से एक अमेरिकन एम-9 राइफल और दो एके-47 राइफलें बरामद की गईं,जो पाकिस्तान निर्मित थीं। इससे यह संकेत मिलता है कि आतंकियों को सीमा पार से समर्थन प्राप्त था।

गृह मंत्री ने लोकसभा में यह भी बताया कि मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से बरामद कारतूसों के खोखे का मिलान पहलगाम हमले के दौरान मिले कारतूसों के खोखों से किया गया। इसके लिए चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की रिपोर्ट का हवाला दिया गया,जिसमें बताया गया है कि बरामद खोखे वही हैं,जो हमले में इस्तेमाल किए गए थे। इस जाँच में छह वैज्ञानिकों की एक टीम ने मिलकर क्रॉस चेक किया और पुष्टि की कि यह वही हथियार थे जो बैसरन घाटी हमले में प्रयोग हुए।

इस सफल ऑपरेशन पर गृह मंत्री ने सेना,सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त रणनीति और समन्वय की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षाबलों की तत्परता को दर्शाता है,बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर पूरी मजबूती से अडिग है। शाह ने कहा कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक आतंक का पूरी तरह सफाया नहीं हो जाता।

अमित शाह ने इस कार्रवाई को उन निर्दोष लोगों के लिए न्याय बताया,जो पहलगाम हमले में मारे गए थे। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है,जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। गृह मंत्री ने पूरे सदन को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता यह भी दर्शाती है कि भारत की खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों में तालमेल बेहतर हुआ है और वे न केवल आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं,बल्कि आतंक के हर ठिकाने तक पहुँच बना रहे हैं। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक और निर्णायक क्षमता को वैश्विक स्तर पर भी मजबूत संदेश दिया है।