सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमले के आरोपी हादी मतार को 25 साल की सजा (तस्वीर क्रेडिट@HamdiCelikbas)

सलमान रुश्दी की आँख में चाकू मारने वाले हमलावर हादी मतार को कोर्ट ने 25 साल जेल की सजा सुनाई

न्यूयॉर्क, 17 मई (युआईटीवी)- अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की एक अदालत में लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमले के आरोपी हादी मतार को 25 साल की कठोर सजा सुनाई गई है। यह फैसला उस घटना के दो साल बाद आया है,जिसने न केवल दुनिया भर में साहित्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थकों को झकझोर दिया था,बल्कि धार्मिक असहिष्णुता और आतंकवाद के खतरों की गहरी पड़ताल को भी मजबूर किया।

यह घटना 12 अगस्त 2022 को हुई थी,जब चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन,न्यूयॉर्क में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान हादी मतार मंच पर चढ़ गया और उसने सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया। यह हमला इतना भयानक था कि रुश्दी की एक आँख चली गई और उनके शरीर पर गंभीर घाव आए। मंच पर मौजूद लेखक और कार्यक्रम आयोजक हेनरी रीज़ भी इस हमले में घायल हुए।

रुश्दी उस समय एक ऐसे कार्यक्रम में बोलने वाले थे,जो सताए गए लेखकों के समर्थन के लिए आयोजित किया गया था। इस बात ने इस हमले को केवल हिंसा का मामला नहीं,बल्कि विचारों पर हमला बना दिया।

मेविल की अदालत में जज डेविड फोले ने शुक्रवार को फैसले सुनाते हुए हादी मतार को हत्या के प्रयास का दोषी पाया और 25 साल की जेल की सजा दी। इसके साथ ही उसे एक अतिरिक्त 7 साल की सजा भी सुनाई गई जो मुख्य सजा के साथ चलेगी।

मतार को पहले ही राज्य कानूनों के तहत दोषी करार दिया जा चुका था और अब संघीय स्तर पर आतंकवाद से जुड़े आरोपों का सामना करना बाकी है। इस पर मुकदमा 2025 की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है।

जिला अभियोजक जेसन श्मिट ने इस सजा को “उचित” और “न्याय के हित में” बताया। उन्होंने कहा कि हादी मतार की सोच यह है कि वो न्याय और सजा की अपनी भावना को किसी पर थोप सकता है,जिसने उसकी विचारधारा को चुनौती दी हो।

दूसरी ओर,बचाव पक्ष के वकील नाथनियल बैरोन ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उनका तर्क था कि मतार धार्मिक विचारधारा से प्रेरित था और उसने अदालत में अपनी मुस्लिम आस्था की गहराई को व्यक्त करने की कोशिश की।

हालाँकि,शिया समुदाय के कई अन्य मुस्लिमों ने इस हिंसक कार्रवाई की निंदा की है और कहा है कि इस्लाम में ऐसा कृत्य गलत माना जाता है।

इस हमले की जड़ें 1989 में हैं,जब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था। रुश्दी के उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को इस्लाम विरोधी बताकर खुमैनी ने उनकी हत्या का आह्वान किया था। इसके बाद रुश्दी को ब्रिटिश सरकार की सुरक्षा में कई वर्षों तक छिपकर रहना पड़ा।

बाद में वे न्यूयॉर्क चले गए और धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन में लौट आए,लेकिन फतवे का डर पूरी तरह कभी खत्म नहीं हुआ। 2022 का हमला इस बात का प्रमाण है कि कट्टरपंथ आज भी वैश्विक खतरा बना हुआ है।

इस हमले के बाद,साल 2024 में सलमान रुश्दी ने अपनी आत्मकथा ‘नाइफ ’ प्रकाशित की,जिसमें उन्होंने हमले और इसके बाद के मानसिक,शारीरिक और भावनात्मक अनुभवों को साझा किया। यह पुस्तक एक लेखक की विचारों की स्वतंत्रता की कीमत पर लिखी गई गवाही है।

जब हादी मतार के खिलाफ संघीय आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे,उस समय अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा था कि मतार ने एक आतंकवादी संगठन ‘हिज़्बुल्लाह’ के नाम पर हमला किया,जो ईरान समर्थित माना जाता है।

यह मामला इस बात का भी उदाहरण है कि कैसे वैश्विक राजनीति और धार्मिक उग्रवाद के गठजोड़ से एक व्यक्ति प्रेरित हो सकता है,जो कला,विचार और संवाद की दुनिया पर हमला करता है।

हादी मतार को 25 साल की जेल की सजा मिलने से एक संदेश तो स्पष्ट है कि अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या यह सजा कट्टरपंथ की आग को बुझाने के लिए पर्याप्त है?

सलमान रुश्दी के लिए यह न्याय का एक कदम हो सकता है,लेकिन उनके शरीर पर लगे जख्म और उनकी खोई हुई आँख इस बात की स्थायी याद दिलाती रहेंगी कि एक विचार कितना खतरनाक हो सकता है,जब वह कट्टरता में बदल जाए।

यह मामला केवल एक लेखक और एक हमलावर की कहानी नहीं है। यह हमारी दुनिया में विचारों,धर्म,अभिव्यक्ति और न्याय के टकराव की गाथा है।