डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@KamalSinghnamo)

दुनिया को है ट्रंप की ‘टैरिफ घोषणा’ का इंतजार : जानने वाली जरूरी ‘बड़ी बातें’

वाशिंगटन,2 अप्रैल (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को एक व्यापक टैरिफ लागू करने की योजना बना रहे हैं,जिसे व्हाइट हाउस ने “मुक्ति दिवस” के नाम से संबोधित किया है। हालाँकि,अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह टैरिफ किस तरह का होगा और कब लागू होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,ट्रंप ने कहा है कि ये टैरिफ “पारस्परिक” होंगे,यानी कि अमेरिका उन देशों पर वही शुल्क लगाएगा,जो वे अमेरिका पर लगाते हैं।

इस बारे में कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं,जैसे कि किस देश पर टैरिफ का प्रभाव पड़ेगा या क्या यह सभी देशों के लिए समान होगा। हालाँकि,एक बात स्पष्ट है कि 3 अप्रैल से अमेरिका में प्रवेश करने वाली कारों पर 25 प्रतिशत का नया आयात शुल्क लागू हो जाएगा और कुछ महीनों में कार के पुर्जों पर भी यही टैक्स लगाया जाएगा।

कुछ टैरिफ पहले ही लागू किए जा चुके हैं। मार्च में,अमेरिका में प्रवेश करने वाले सभी स्टील और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत की फ्लैट ड्यूटी बढ़ा दी गई थी। इसके अलावा,ट्रंप ने पहले ही चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है,साथ ही कनाडा और मैक्सिको से आने वाली कुछ वस्तुओं पर भी टैरिफ बढ़ा दिया है।

कनाडा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी स्टील और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया,जबकि चीन ने भी कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10-15 प्रतिशत टैक्स लगाया। ट्रंप का तर्क है कि ये टैरिफ अमेरिकी निर्माताओं को मदद देंगे,क्योंकि इससे उपभोक्ता अमेरिकी निर्मित सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

हालाँकि, विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इन टैरिफों से कीमतों में वृद्धि हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप व्यापार युद्ध भी शुरू हो सकता है। यूरोपीय संघ (ईयू) ने भी कहा है कि वह किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए तैयार है,यदि अमेरिका अपने व्यापारिक नीतियों को बदलने में विफल रहता है।

व्हाइट हाउस ने बताया है कि ट्रंप अंतिम समय में बातचीत के लिए तैयार हैं और कुछ देशों ने घोषणा की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति से बातचीत की। यह दर्शाता है कि ट्रंप बातचीत के जरिए समझौते की ओर बढ़ने की संभावना को नकारते नहीं हैं।

टैरिफ का अर्थ है विदेश से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर,जो आमतौर पर उत्पाद के मूल्य का एक प्रतिशत होता है। इस तरह का शुल्क उन कंपनियों को देना पड़ता है,जो विदेश से सामान खरीदती हैं। टैरिफ का उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना और आयातित वस्तुओं को महँगा बनाना होता है,ताकि उपभोक्ता घरेलू उत्पादों को प्राथमिकता दें।

अमेरिका के लिए इस तरह के टैरिफ काफी महत्वपूर्ण हैं,क्योंकि ये देश की आर्थिक नीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह कदम अमेरिकी निर्माताओं के लिए फायदेमंद होगा और इससे रोजगार में वृद्धि होगी। हालाँकि,इसका व्यापार पर प्रभाव भी पड़ सकता है,क्योंकि कई देशों के साथ व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

ट्रंप की यह नीति अमेरिकी व्यापारिक रणनीति का एक हिस्सा है,जिसे उन्होंने अपने चुनावी अभियान के दौरान जोर-शोर से पेश किया था। उनका मानना था कि अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों में अधिक लाभ मिलना चाहिए और इसके लिए उन्हें अपनी कड़ी नीति को लागू करने की आवश्यकता है।

हालाँकि,विशेषज्ञों का मानना है कि इन कदमों से वैश्विक व्यापार प्रणाली में अनिश्चितता पैदा हो सकती है,जिससे देशों के बीच आर्थिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि ट्रंप के टैरिफ कदमों से व्यापार युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है या फिर यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों में सुधार के रूप में सामने आता है।