नई दिल्ली,1 जुलाई (युआईटीवी)- देश में सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। इससे देश में औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत होगा तथा भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा ।
ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता के जगह भारतीय न्याय संहिता,दंड प्रक्रिया संहिता के जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम के जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेंगे। एक आधुनिक न्याय प्रणाली की स्थापना नए कानूनों से होगी,जिसमें पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना,जीरो एफआईआर,एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के माध्यम से समन भेजना इत्यादि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम शामिल हैं। इसके अलावा सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान को भी शामिल किया गया है। सभी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
गृह मंत्रालय के अनुसार,इस बदलाव से एक ऐसी न्याय प्रणाली की स्थापना होगी,जिससे किसी भी पीड़ित को तीन साल में न्याय मिल सकेगा। पिछले साल शीतकालीन सत्र में संसद ने तीनों कानून को पारित किए थे। ब्रिटिश राज से देश में चले आ रहे इंडियन पीनल कोड (आईपीसी),दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट की जगह नए कानून को लाया गया है।
इन तीनों विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर को तथा राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था। बलात्कार के लिए नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह धारा 63 होगी और धारा 70 सामूहिक बलात्कार के लिए होगी।
21 नए अपराधों को भारतीय न्याय संहिता,2023 में जोड़ा गया है। इसमें एक नए अपराध माॅब लिंचिंग को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा 41 विभिन्न अपराधों में सजा को बढ़ा दिया गया है,82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाई गई है। छह अपराधों में दंड के रूप में सामुदायिक सेवा को स्वीकार किया गया है,25 ऐसे अपराध हैं,जिसमें न्यूनतम सजा शुरु की गई है। 19 धाराओं को निरस्त भी किया गया है।
इसी प्रकार से 170 धाराएँ भारतीय साक्ष्य अधिनियम,2023 के अंतर्गत होंगी। कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है और नई धाराओं तथा उपधाराओं को जोड़ा गया है।
सरकार के अनुसार,नए कानून के लागू हो जाने से चार्जशीट तय समय के भीतर फाइल हो सकेगी और जल्दी न्याय मिलेगा। देशभर के 850 पुलिस थानों के साथ 900 फॉरेंसिक वैन को साक्ष्य जुटाने के लिए जोड़ा जा रहा है। अब गरीबों के लिए न्याय महँगा नहीं होगा।
गृह मंत्रालय के अनुसार,नौ नए सेक्शन और 39 नए सब सेक्शन नागरिक सुरक्षा संहिता,2023 में जोड़े गए हैं। साथ ही 44 नई व्याख्याएँ और स्पष्टीकरण जोड़े हैं और 14 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।
इन विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में रखे थे और ध्वनिमत से ये विधेयक पारित हुआ था। राष्ट्रपति ने पिछले साल 25 दिसंबर को इन्हें मंजूरी दी थी।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा था कि विधेयक का उद्देश्य “दंड देना नहीं है,बल्कि इसका उद्देश्य न्याय देना है”। उन्होंने कहा था कि इन विधेयकों की आत्मा भारतीय है। महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा था कि गांधी जी शासन परिवर्तन की लड़ाई नहीं लड़ी,बल्कि उन्होंने स्वराज की लड़ाई लड़ी थी। “तारीख पर तारीख” का जमाना इस कानून के लागू हो जाने से खत्म हो जाएगा। देश के अंदर ऐसी न्याय प्रणाली प्रतिस्थापित होगी,जिससे किसी भी पीड़ित को तीन साल में न्याय मिल जाए।
उन्होंने कहा कि इतनी दूरदर्शिता इस विधेयक में रखा गया है कि जितनी भी तकनीक आज यहाँ मौजूद है,उसे और आने वाले सौ वर्षों की तकनीक को नियमों में बदलाव करके समाहित किया जा सकेगा।
राजद्रोह कानून के अंग्रेजी प्रावधान को इसमें खत्म कर दिया गया है। कोई भी सरकार के खिलाफ तो बोल सकता है,लेकिन अब कोई भी देश के खिलाफ नहीं बोल सकता है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और देश के खिलाफ बोलने या साजिश करने पर सजा का प्रावधान किया गया है।

