नीरज चोपड़ा

दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित किया गया

नई दिल्ली,15 मई (युआईटीवी)- दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा, भारत के सबसे चमकते एथलीट सितारों में से एक हैं। उन्हें हाल ही में प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें भारतीय खेल जगत में उनके असाधारण योगदान और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरवान्वित करने के लिए प्रदान किया गया है। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 9 मई 2025 को “भारत के राजपत्र” में इस बात की घोषणा की।

भारत सरकार की ओर से जारी साप्ताहिक राजपत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि, “प्रादेशिक सेना विनियम, 1948 के पैरा 31 के तहत राष्ट्रपति,पूर्व सूबेदार नीरज चोपड़ा,पीवीएसएम,पद्मश्री,वीएसएम को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान करते हैं। 16 अप्रैल 2025 से इस नियुक्ति को प्रभावी माना जाएगा।”

यह घोषणा नीरज के सम्मान,समर्पण और देश के लिए उनके अटूट योगदान को आधिकारिक रूप से मान्यता देती है।

नीरज चोपड़ा ने 2020 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। वे ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बने। इसके बाद 2024 के पेरिस ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक जीतकर यह सिद्ध कर दिया कि उनका प्रदर्शन कोई संयोग नहीं था,बल्कि निरंतरता और मेहनत का परिणाम है। इसके साथ ही वह भारत के सबसे सफल व्यक्तिगत ओलंपियन बन गए हैं।

टोक्यो और पेरिस ओलंपिक के अलावा,नीरज ने 2024 के सीजन में कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में भाग लिया। उन्होंने ब्रुसेल्स डायमंड लीग फाइनल में दूसरा स्थान प्राप्त कर सीजन का समापन किया। उनके प्रदर्शन ने यह साबित किया कि वे विश्व के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ियों में शामिल हैं।

नीरज चोपड़ा का भारतीय सेना से जुड़ाव नया नहीं है। वे 26 अगस्त 2016 को भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में भर्ती हुए थे। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्हें सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया गया। अब उन्हें मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का पद देकर सेना ने न केवल उनके सैन्य अनुशासन की सराहना की है,बल्कि खेल में उनकी उपलब्धियों को भी सम्मानित किया है।

नीरज चोपड़ा से पहले भी कई भारतीय खिलाड़ियों को सेना में मानद रैंक मिल चुका है,जिसमें अभिनव बिंद्रा,विजय कुमार,महेंद्र सिंह धोनी भी शामिल हैं।

अभिनव बिंद्रा,बीजिंग 2008 ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय,जिन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक दी गई थी।

विजय कुमार को लंदन 2012 ओलंपिक में निशानेबाजी में रजत पदक जीतने के बाद मानद कैप्टन बनाया गया।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी,जिन्होंने 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 का वनडे वर्ल्ड कप भारत को जिताया। उन्हें 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि मिली थी।

इन सभी उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि सेना न केवल सीमाओं की सुरक्षा करती है, बल्कि देश के गौरव को बढ़ाने वाले खिलाड़ियों को भी सर्वोच्च सम्मान देती है।

नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि मिलना सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं,बल्कि राष्ट्र की तरफ से एक सच्चा सलाम है। यह सम्मान न केवल उनके खेल कौशल को मान्यता देता है,बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

भारत के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ी न सिर्फ खेल में,बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में भी अहम भूमिका निभाते हैं। सेना के इस सम्मान से यह संदेश जाता है कि खेल और देशभक्ति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

नीरज चोपड़ा की यह उपलब्धि आने वाले युवा खिलाड़ियों को यह बताने के लिए काफी है कि अगर समर्पण हो,मेहनत हो और देश के लिए कुछ करने का जज्बा हो, तो मंज़िल जरूर मिलती है,चाहे वह खेल का मंच हो या राष्ट्रीय सेवा का।