रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की (तस्वीर क्रेडिट@garrywalia_)

यूक्रेन-रूस युद्ध पर शांति वार्ता इस्तांबुल में होने की उम्मीद,पुतिन व जेलेंस्की नहीं रहेंगे मौजूद

अंकारा/इस्तांबुल,16 मई (युआईटीवी)- रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहा युद्ध अब एक संभावित मोड़ की ओर बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच इस्तांबुल में शांति वार्ता की योजना बनाई गई है,जिससे यह उम्मीद जगी है कि इस भयावह संघर्ष का कोई समाधान निकल सकता है। हालाँकि,यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की इस वार्ता में स्वयं शामिल नहीं होंगे,लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि यूक्रेन इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर है और उनका प्रतिनिधिमंडल इसमें सक्रिय भागीदारी करेगा।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की गुरुवार को तुर्किये की राजधानी अंकारा पहुँचे थे,जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। इस बातचीत के बाद अंकारा स्थित यूक्रेनी दूतावास में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि शांति वार्ता में भाग लेने के लिए यूक्रेन पूरी तरह तैयार है। हालाँकि,उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस के प्रतिनिधिमंडल में अभी ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा है,जो निर्णय लेने की शक्ति रखता हो,इसलिए मॉस्को की मंशा पर संदेह बना हुआ है।

इस शांति वार्ता में यूक्रेन की ओर से देश के रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव प्रतिनिधित्व करेंगे। उनके साथ सैन्य और खुफिया विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। जेलेंस्की ने यह संकेत भी दिया कि अगर यह वार्ता नेताओं के स्तर पर होगी और बिना किसी शर्त के युद्ध विराम पर बात की जाएगी,तो वे स्वयं भी चर्चा में शामिल होने को तैयार हैं।

वहीं, रूस की ओर से इस बैठक में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी और वरिष्ठ सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की नेतृत्व करेंगे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी टीम में सभी आवश्यक योग्यताएँ हैं और वे रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाकर किसी समाधान की ओर बढ़ने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि रूस की प्राथमिकता होगी कि दोनों पक्ष किसी साझा बिंदु (कॉमन ग्राउंड) पर पहुँच सकें।

इस्तांबुल स्थित रूसी वाणिज्य दूतावास के बाहर एक रूसी राजनयिक ने कहा कि रूस इस वार्ता को 2022 में बाधित हुई शांति प्रक्रिया की अगली कड़ी मानता है। उनका मानना है कि यह बातचीत संघर्ष के मूल कारणों की पहचान कर स्थायी शांति सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है।

तुर्किये एक बार फिर इस पूरे संघर्ष में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है। हाल ही में अंताल्या में नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद तुर्किये के विदेश मंत्री हकान फिदान ने कहा कि दोनों देशों ने सैद्धांतिक रूप से युद्ध विराम की इच्छा जताई है। हालाँकि,इस पर दोनों देशों की सोच अलग-अलग है। यूक्रेन चाहता है कि युद्धविराम तत्काल प्रभाव से लागू हो,जबकि रूस की राय है कि पहले शांति वार्ता सफल हो,फिर युद्धविराम की बात की जाए।

फिदान ने यह भी कहा कि अब यह वार्ता एक निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है। दोनों देशों को अब एक-दूसरे को रियायत देने और शांति की दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

इस बीच अमेरिका ने भी इस संभावित वार्ता का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वाशिंगटन चाहता है कि रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीति और बातचीत के माध्यम से विवाद सुलझे। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में इस दिशा में ठोस प्रगति देखने को मिलेगी।

रविवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद यूक्रेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की पहल की थी। यह एक महत्वपूर्ण संकेत था कि रूस भी अब शांति वार्ता को लेकर गंभीर है। इसी पहल के बाद इस्तांबुल में शुक्रवार को वार्ता की संभावित तारीख तय की गई। हालाँकि,इस बातचीत में रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं होंगे,लेकिन दोनों ही देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेंगे।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे इस लंबे युद्ध ने लाखों लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है। अब जब शांति वार्ता की एक नई उम्मीद दिखाई दे रही है, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस्तांबुल में होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं। यह बातचीत इस दिशा में पहला बड़ा कदम हो सकता है,बशर्ते दोनों पक्ष लचीलापन दिखाएँ और समाधान के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। तुर्किये की मध्यस्थता और अमेरिका समेत अन्य देशों का समर्थन इस प्रयास को मजबूती प्रदान कर सकता है। अब देखना होगा कि शुक्रवार को प्रस्तावित यह वार्ता युद्ध को समाप्त करने की ओर कोई ठोस रास्ता खोलती है या नहीं।