मार्क कार्नी (तस्वीर क्रेडिट@kaankit)

अमेरिका-कनाडा व्यापार टकराव: ट्रंप के टैरिफ ऐलान के जवाब में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का सख्त रुख

ओटावा,12 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिका और कनाडा के बीच लंबे समय से आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी रही है,लेकिन हाल के घटनाक्रम इस रिश्ते में तनाव बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा पर 35 प्रतिशत टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा के बाद अब यह तनाव सतह पर दिखाई दे रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दो टूक कहा कि उनकी सरकार कनाडा के श्रमिकों और व्यवसायों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और वे अमेरिका की इस एकतरफा कार्रवाई का डटकर मुकाबला करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 1 अगस्त 2025 से अमेरिका में कनाडा से होने वाले सभी आयातों पर 35% आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने यह फैसला कथित तौर पर कनाडा द्वारा फेंटानिल (एक खतरनाक नशीली दवा) की तस्करी को न रोक पाने की वजह से लिया है। इस घोषणा के बाद ट्रंप ने कनाडा के प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा,जिसे उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया।

इस पत्र में ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कनाडा इस टैरिफ के बदले कोई जवाबी कार्रवाई करता है,तो अमेरिका टैरिफ दर को और बढ़ा देगा। हालाँकि,उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कनाडा फेंटानिल की तस्करी को रोकने में मदद करता है,तो अमेरिका अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकता है।

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अमेरिकी फैसले को अनुचित और अस्वीकार्य बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के ज़रिए कहा,“अमेरिका के साथ मौजूदा व्यापार वार्ता के दौरान,कनाडा सरकार ने हमारे श्रमिकों और व्यवसायों का दृढ़ता से बचाव किया है। हम 1 अगस्त की संशोधित समय-सीमा तक ऐसा करना जारी रखेंगे।”

कार्नी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय हितों के संरक्षण के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह दोहराया कि कनाडा ने उत्तरी अमेरिका में फेंटानिल के प्रसार को रोकने के लिए बड़ी प्रगति की है और यह दावा करना कि समस्या कनाडा से है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।

डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जिस फेंटानिल तस्करी को लेकर कनाडा पर आरोप लगाए गए हैं,उस पर विश्लेषकों और अमेरिकी मीडिया ने सवाल उठाए हैं। आँकड़े बताते हैं कि अमेरिका में जो फेंटानिल पहुँचता है,वह कनाडा की उत्तरी सीमा से नहीं,बल्कि मैक्सिको की दक्षिणी सीमा से ज़्यादा आता है। अमेरिकी सीमा सुरक्षा विभाग (सीबीपी) के रिकॉर्ड भी इस बात की पुष्टि करते हैं।

इस संदर्भ में ट्रंप का कनाडा पर फोकस करना कई विशेषज्ञों की नजर में राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित प्रतीत होता है।

अपने बयान में मार्क कार्नी ने इस विवाद से इतर यह भी स्पष्ट किया कि कनाडा की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए संघीय सरकार,प्रांत और क्षेत्र मिलकर कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा अपनी वैश्विक व्यापार साझेदारियों को और मज़बूत कर रहा है,जिससे उसकी आर्थिक निर्भरता अमेरिका पर कम हो सके।

कार्नी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि भले ही अमेरिका टैरिफ बढ़ाए,लेकिन कनाडा विकल्पों की तलाश कर रहा है और वह इस संकट से निकलने में सक्षम है।

यह घटना केवल कनाडा तक सीमित नहीं है। ट्रंप ने हाल के दिनों में अपनी आर्थिक राष्ट्रवाद की नीति को विस्तार देते हुए जापान,दक्षिण कोरिया और तांबे जैसे आयातित उत्पादों पर भी 50% तक के आयात शुल्क लगाए हैं। इसके अलावा ट्रंप ने संकेत दिया है कि जल्द ही 15-20% के अतिरिक्त टैरिफ दूसरे देशों पर भी लगाए जा सकते हैं।

यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप एक बार फिर ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को आक्रामक तरीके से लागू कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक,यह नीति घरेलू उद्योग को बचाने के नाम पर वैश्विक व्यापार तंत्र को बाधित कर सकती है।

ट्रंप और कार्नी के बयानों से यह साफ हो गया है कि अमेरिका-कनाडा संबंधों में फिलहाल गर्मी बढ़ रही है। दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही व्यापारिक साझेदारी और मित्रता अब चुनौती के दौर से गुजर रही है। जहाँ अमेरिका अपनी सुरक्षा और घरेलू हितों की बात कर रहा है,वहीं कनाडा अपनी संप्रभुता और वैश्विक जिम्मेदारियों पर जोर दे रहा है।

अगर यह टैरिफ लागू होता है,तो इसका असर केवल द्विपक्षीय व्यापार पर ही नहीं, बल्कि उत्तर अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक बाजारों पर भी पड़ सकता है।

अब दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या 1 अगस्त से पहले कोई राजनयिक समाधान निकलता है या फिर दोनों देश प्रतिशोधात्मक आर्थिक कार्रवाइयों की ओर बढ़ते हैं,लेकिन एक बात तय है कि यह टकराव वैश्विक व्यापार संतुलन को झकझोर सकता है।