नई दिल्ली,6 अप्रैल (युआईटीवी)- वक्फ (संशोधन) विधेयक हाल ही में राज्यसभा में 15 घंटे की मैराथन बहस के बाद 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के विपक्ष में पारित हुआ। उम्मीद से कम अंतर से विपक्ष हैरान है,जिसने इससे भी अधिक अंतर की उम्मीद की थी। लोकसभा में,विधेयक को पहले 288-232 मतों से मंजूरी दी गई थी।
एक उल्लेखनीय घटनाक्रम बीजू जनता दल (बीजेडी) का अपने सात राज्यसभा सदस्यों को उनकी अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने की अनुमति देने का निर्णय था,जिससे सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को अतिरिक्त समर्थन मिला। यह कदम अप्रत्याशित था,क्योंकि बीजेडी ने पहले ही बिल का विरोध करने का संकेत दिया था। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बीजेडी के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह भाजपा के दबाव के आगे झुक गया।
इसके विपरीत,अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने भाजपा के साथ और अधिक निकटता से जुड़ने की हाल की अटकलों के बावजूद विधेयक के खिलाफ मतदान किया। विपक्षी नेताओं ने इसे नैतिक जीत के रूप में देखा,जिससे राजनीतिक गठबंधनों के भीतर की जटिलताओं पर प्रकाश पड़ा।
विधेयक के पारित होने से इसके निहितार्थों पर बहस शुरू हो गई है। आलोचकों का तर्क है कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है और भूमि अधिग्रहण को आसान बना सकता है। हालाँकि,समर्थकों का तर्क है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाना है।
दोनों संसद सदनों द्वारा विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी का इंतजार है।