बाकू,29 जुलाई (युआईटीवी)- नागपुर की 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने एफआईडीई महिला चेस वर्ल्ड कप 2025 का खिताब जीत कर भारतीय शतरंज की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज किया है। यह उपलब्धि इसलिए और भी खास बन गई क्योंकि वह यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। बाकू में खेले गए इस टूर्नामेंट के फाइनल में दिव्या ने देश की ही शीर्ष ग्रैंडमास्टर और दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन कोनेरु हम्पी को हराकर यह मुकाम हासिल किया।
इस ऑल-इंडियन फाइनल मुकाबले में रोमांच अपने चरम पर था। शनिवार और रविवार को खेले गए पहले दोनों क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे,जिससे यह साफ हो गया कि फाइनल बेहद कड़ा होने वाला है। पहले मुकाबले में दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए बढ़त बनाने की कोशिश की,लेकिन हम्पी ने अपनी सूझबूझ से स्थिति को बराबरी पर लाकर मुकाबले को टाई-ब्रेक तक खींच दिया। दूसरे गेम में भी दोनों खिलाड़ी सावधानी से खेलती रहीं। दिव्या ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ गलत चालें चलीं जिससे वह बेवजह दबाव में आ गईं,लेकिन फिर उन्होंने अपने आत्मविश्वास से मुकाबले में पकड़ बनाए रखी।
रैपिड टाई-ब्रेक मुकाबले में दिव्या ने शानदार प्रदर्शन किया। पहला रैपिड गेम ड्रॉ रहा,लेकिन दूसरे गेम में उन्होंने निर्णायक बढ़त बनाई। समय के दबाव में कोनेरु हम्पी ने कुछ गलतियाँ कीं,जिनका दिव्या ने पूरी तरह फायदा उठाया और 1.5–0.5 के अंतर से मुकाबला अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ दिव्या न केवल महिला विश्व कप चैंपियन बनीं,बल्कि उन्होंने भारत के लिए गर्व का एक नया अध्याय भी लिखा।
दिव्या देशमुख अब महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाली भारत की चौथी महिला बन गई हैं। इसके साथ ही वह देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बनीं। उनका यह सफर भारतीय शतरंज के लिए प्रेरणादायक बन गया है,खासकर युवा खिलाड़ियों के लिए,जो अब इस खेल में नए कीर्तिमान गढ़ने की राह देख रहे हैं।
It’s been a phenomenal day for Indian Chess!
Divya Deshmukh has not only won the 2025 FIDE Women’s World Cup but also become a Grandmaster. Congratulations to her. Her accomplishment will motivate many people and contribute to chess becoming even more popular among the youth.… https://t.co/JOZZ37RLnN
— Narendra Modi (@narendramodi) July 28, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर दिव्या को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,“दो शानदार भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का एक ऐतिहासिक फाइनल मुकाबला! युवा दिव्या देशमुख के एफआईडीई महिला विश्व शतरंज चैंपियन 2025 बनने पर गर्व है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई। यह जीत कई युवाओं को प्रेरित करेगी।” साथ ही पीएम मोदी ने कोनेरु हम्पी की भी तारीफ करते हुए उनके पूरे टूर्नामेंट में किए गए शानदार प्रदर्शन को सराहा और दोनों खिलाड़ियों को उनके भविष्य के टूर्नामेंट्स के लिए शुभकामनाएँ दीं।
फाइनल जीतने के बाद दिव्या ने कहा कि यह किस्मत और मेहनत दोनों का मिश्रण था। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट से पहले वह केवल ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल करने की उम्मीद कर रही थीं,लेकिन पूरी चैंपियनशिप में उनके आत्मविश्वास और रणनीतिक सोच ने उन्हें न केवल फाइनल तक पहुँचाया बल्कि खिताब भी दिलाया। दिव्या ने यह भी कहा कि वह खुद को अब तक अंडरडॉग मानती थीं और हम्पी जैसी अनुभवी खिलाड़ी को हराना उनके लिए एक सपना सच होने जैसा है।
दिव्या के परिवार में इस जीत को लेकर जबरदस्त उत्साह है। उनकी चाची डॉ.स्मिता देशमुख ने कहा कि यह जीत दिव्या की वर्षों की कड़ी मेहनत,उनके माता-पिता के त्याग और निरंतर समर्पण का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पूरे परिवार को इस पल का बेसब्री से इंतजार था और अब जब दिव्या विजयी होकर लौट रही हैं,तो यह हमारे लिए गर्व और खुशी का क्षण है।
यह जीत इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि दिव्या का मुकाबला एक अत्यंत अनुभवी खिलाड़ी कोनेरु हम्पी से था,जो क्लासिकल रैंकिंग में विश्व की टॉप-5 खिलाड़ियों में शामिल हैं। रैपिड और ब्लिट्ज दोनों में उनकी पहचान एक चैंपियन खिलाड़ी की है। वहीं,दिव्या की एफआईडीई महिला रैंकिंग क्लासिकल में 18वीं,रैपिड में 22वीं और ब्लिट्ज में 18वीं है। इसके बावजूद उन्होंने न केवल मुकाबला बराबरी का दिया,बल्कि निर्णायक समय में हम्पी को मात भी दी।
दिव्या देशमुख का करियर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से ऊँचाइयों पर पहुँचा है। उन्होंने पिछले साल विश्व जूनियर चैंपियनशिप का खिताब जीता था और 2024 में बुडापेस्ट में हुए शतरंज ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब बाकू में यह जीत उनके करियर को नई ऊँचाइयों तक ले गई है और उन्हें वैश्विक स्तर पर एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित कर दिया है।
दिव्या की इस जीत ने भारतीय शतरंज को एक नई ऊर्जा दी है। यह सफलता देश में शतरंज को और लोकप्रिय बनाने में सहायक होगी,विशेष रूप से युवा और महिला खिलाड़ियों के बीच। आने वाले समय में दिव्या देशमुख न केवल भारत,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी एक मजबूत दावेदार के रूप में देखी जाएँगी। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है कि लगन,धैर्य और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।