येशु-येशु वाले स्वघोषित पादरी बजिंदर (तस्वीर क्रेडिट@jpsin1)

2018 के रेप मामले में येशु-येशु वाले स्वघोषित पादरी बजिंदर को उम्रकैद की सजा

मोहाली,1 अप्रैल (युआईटीवी)- 2018 के बलात्कार (रेप) मामले में येशु-येशु वाले स्वघोषित पादरी बजिंदर को पंजाब के मोहाली जिले की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) विक्रांत कुमार की अदालत ने सुनाया। बजिंदर सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 376 (बलात्कार), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाने की सजा) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया था। अदालत ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए आरोपी को सख्त सजा दी,जो कि महिला के प्रति किए गए अपराध के लिहाज से एक महत्वपूर्ण फैसला है।

यह मामला 2018 में जीरकपुर थाने में दर्ज की गई एक महिला की शिकायत पर आधारित है,जिसमें महिला ने पादरी बजिंदर सिंह पर यौन उत्पीड़न और शारीरिक हिंसा के आरोप लगाए थे। महिला ने आरोप लगाया कि बजिंदर सिंह ने उसे कई बार चर्च में अकेले बुलाकर गलत तरीके से छुआ और उसका यौन शोषण किया। पुलिस के मुताबिक,इस मामले में 28 फरवरी को एक और शिकायतदर्ज की गई,जब 22 वर्षीय महिला ने बजिंदर सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की। यह मामला उस समय और गंभीर हो गया,जब कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ,जिसमें स्वयंभू ईसाई धर्म प्रचारक को महिला को थप्पड़ मारते और उसके साथ बहस करते हुए देखा गया था। इस वीडियो ने मामले को और अधिक संवेदनशील बना दिया और पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की।

मंगलवार को फैसले से पहले अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, क्योंकि यह मामला बहुत संवेदनशील था और विवादित भी था। अदालत के फैसले से पहले ही सोशल मीडिया पर मामले को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही थीं, जिनमें महिला के समर्थन में और आरोपी के खिलाफ जमकर टिप्पणियाँ की जा रही थीं।

पुलिस के अनुसार,बजिंदर सिंह ने महिला को कई बार संदेश भेजे और हर रविवार को चर्च के एक कमरे में उसे अकेले बुलाया। महिला के अनुसार,बजिंदर सिंह ने उसका शारीरिक और मानसिक शोषण किया और उसे डराया-धमकाया भी। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि पादरी ने उसे बार-बार यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया और उसे अपने खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकने के लिए धमकाया। महिला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354A (यौन उत्पीड़न),354D (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए थे।

मामले में सबसे अहम बिंदु यह था कि आरोपी बजिंदर सिंह ने अपनी स्वघोषित धार्मिक भूमिका का दुरुपयोग किया और महिला को विश्वास में लेकर उसके साथ शारीरिक,मानसिक और यौन उत्पीड़न किया। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया,बल्कि पूरे देश में धर्म और शक्ति के दुरुपयोग के खिलाफ सवाल उठाए। इसके बाद महिला ने अपनी शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के समक्ष भी पेश की,जिससे मामले को और अधिक सार्वजनिक समर्थन मिला।

महिला की शिकायत और पुलिस की जाँच के बाद बजिंदर सिंह के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की गई। जाँच में पाया गया कि आरोपी ने अपनी धार्मिक पहचान का इस्तेमाल कर महिला को शोषित किया। यह घटना भारत में धार्मिक नेताओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों के खिलाफ एक चेतावनी के रूप में सामने आई,जिससे समाज में जागरूकता फैलने की उम्मीद है।

मामले के फैसले पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा कि इस तरह के अपराधों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए,ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोका जा सके। अदालत ने माना कि धार्मिक नेताओं का विश्वास और श्रद्धा का गलत उपयोग समाज के लिए खतरनाक हो सकता है और यह सार्वजनिक विश्वास को नुकसान पहुँचाता है।

इस फैसले से यह संदेश जाता है कि भले ही कोई व्यक्ति किसी विशेष धार्मिक या सामाजिक पद पर क्यों न हो,उसे कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता। ऐसे मामलों में महिला की आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को गंभीरता से लिया जा रहा है और उन्हें जल्द-से-जल्द न्याय दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है।

इस मामले में महिला के साहस और उसके द्वारा की गई शिकायत ने अन्य पीड़ित महिलाओं को भी प्रेरित किया है,जिससे समाज में यौन उत्पीड़न और शारीरिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत बढ़ी है। इस फैसले से यह भी साबित होता है कि अगर महिलाएँ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ी होती हैं,तो न्याय मिल सकता है और अपराधियों को कड़ी सजा मिल सकती है।

इस फैसले से यह सुनिश्चित हुआ कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ भारत में कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है और इससे समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद बढ़ी है।