ओडिशा बंद (तस्वीर क्रेडिट@BoleBharatHindi)

भुवनेश्वर में 12 घंटे का ओडिशा बंद: महिला हिंसा और छात्रा की आत्मदाह घटना के खिलाफ विपक्ष का बड़ा प्रदर्शन

भुवनेश्वर,17 जुलाई (युआईटीवी)- ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर गुरुवार को पूरी तरह से बंद रही। कांग्रेस के नेतृत्व में आठ विपक्षी दलों ने 12 घंटे के ओडिशा बंद का आह्वान किया। यह बंद बालासोर की फकीर मोहन स्वायत्त कॉलेज की छात्रा की आत्मदाह की घटना और राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के विरोध में बुलाया गया।

बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। इस दौरान शहर की मुख्य सड़कें, दुकानें और सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से ठप रहेंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग 16 और मास्टर कैंटीन चौक जैसे प्रमुख इलाकों में विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने चक्काजाम कर प्रदर्शन किया। मास्टर कैंटीन चौक खास तौर पर महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह राज्य सचिवालय,रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे को जोड़ता है।

बंद के कारण बस सेवाएँ पूरी तरह ठप रहीं। शहर के बाजार और दुकानें भी बंद रहीं। जगह-जगह प्रदर्शनकारियों के बैठने और सड़क जाम करने की वजह से आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ। आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

एक छात्र ने मीडिया को बताया, “आज मेरी प्रैक्टिकल परीक्षा थी,लेकिन बंद की वजह से मैं समय पर परीक्षा केंद्र तक नहीं पहुँच पा रहा हूँ। हमें करीब पाँच किलोमीटर पैदल जाना पड़ रहा है,क्योंकि कोई सवारी उपलब्ध नहीं है।”

हालाँकि,ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रदीप महापात्रा ने दावा किया कि बंद शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया जा रहा है और “लोगों का इसमें पूरा समर्थन मिल रहा है।”

विपक्षी दलों का यह बंद मुख्य रूप से बालासोर की फकीर मोहन स्वायत्त कॉलेज की 20 वर्षीय छात्रा की आत्मदाह घटना के विरोध में बुलाया गया। छात्रा ने कथित तौर पर कॉलेज प्रशासन और सरकार से न्याय न मिलने के चलते आत्मदाह कर लिया था।

सीपीआईएम (लिबरेशन) के नेता महेंद्र परिदा ने बताया कि, “छात्रा ने कई बार मुख्यमंत्री,उच्च शिक्षा मंत्री,केंद्रीय शिक्षा मंत्री,जिला कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक, स्थानीय विधायक और सांसद से मदद मांगी थी,लेकिन किसी ने उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।”

परिदा ने बताया कि कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति ने आरोपी प्रोफेसर समीर साहू को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी,लेकिन कॉलेज के प्राचार्य ने इसका विरोध किया और समझौता करने का दबाव डाला।

महेंद्र परिदा ने इस घटना को लेकर तीन प्रमुख माँगें रखी हैं,जिसमें उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यबंशी सूरज का इस्तीफा,घटना की न्यायिक जाँच और सभी दोषियों को सख्त सजा दिए जाने की माँगें शामिल हैं।

परिदा ने कहा, “ओडिशा में पिछले एक साल में भाजपा सरकार के शासन में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं और सरकार इन घटनाओं की अनदेखी कर रही है।”

कांग्रेस के नेतृत्व में आठ दलों ने इस बंद में हिस्सा लिया। इनमें कांग्रेस,सीपीआई,सीपीआई (एम),सीपीआईएमएल,फॉरवर्ड ब्लॉक,समाजवादी पार्टी (सपा),राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रदीप महापात्रा ने कहा, “सरकार को अपनी कार्यशैली सुधारनी चाहिए और लोगों के हित में काम करना चाहिए।” उन्होंने दावा किया कि बंद को आम जनता का व्यापक समर्थन मिला है।

इस आत्मदाह की घटना ने ओडिशा सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा सरकार महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को रोकने में नाकाम रही है।

महेंद्र परिदा का कहना है कि जब छात्रा ने इतने उच्च स्तर के अधिकारियों से मदद माँगी,तो यह घटना प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर करती है।

यह बंद विपक्षी दलों के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ एकजुट होकर जनता का समर्थन जुटाने का अवसर साबित हो रहा है। विपक्ष इस घटना को राज्य में कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा की विफलता से जोड़ रहा है।

हालाँकि,बंद के कारण आम जनता,खासकर छात्रों और कामकाजी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। परीक्षाएँ,दैनिक आवागमन और व्यवसायिक गतिविधियाँ ठप रहीं।

अभी तक सरकार की ओर से इस बंद को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगें पूरी नहीं हुईं,तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

महेंद्र परिदा ने कहा, “हम न्याय मिलने तक शांत नहीं बैठेंगे। अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की,तो आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए जाएँगे।”

भुवनेश्वर का यह बंद न केवल एक छात्रा की आत्मदाह की त्रासदी पर आक्रोश को दर्शाता है,बल्कि यह ओडिशा में महिलाओं की सुरक्षा,प्रशासन की संवेदनशीलता और सरकार की जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी सामने लाता है। विपक्षी दलों ने इसे महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक लड़ाई का रूप दे दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इन माँगों पर कैसी प्रतिक्रिया देती है और क्या पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं।