नई दिल्ली,22 जुलाई (युआईटीवी)- सरफराज खान ने अपने नाटकीय शारीरिक परिवर्तन से प्रशंसकों और क्रिकेट जगत को चौंका दिया है,उन्होंने केवल दो महीनों में 17 किलो वजन कम कर लिया है। घरेलू क्रिकेट में अपने निरंतर प्रदर्शन के लिए जाने जाने वाले सरफराज की लंबे समय से उनकी फिटनेस के स्तर को लेकर आलोचना होती रही है। कई लोगों का मानना है कि यही कारण है कि उन्हें बार-बार राष्ट्रीय टीम से बाहर रखा गया। अब,पहले से कहीं अधिक दुबले-पतले और फिट दिखने वाले इस 27 वर्षीय बल्लेबाज ने चयन संबंधी पूर्वाग्रहों और खिलाड़ियों को आंकने के मानदंडों पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है।
प्रशंसकों ने उनके इस बदलाव पर सोशल मीडिया पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और कई लोगों ने तो व्यंग्यात्मक टिप्पणी की कि सरफराज का “वजन कम होना चयनकर्ताओं की अनदेखी का नतीजा है।” यह तीखा प्रहार उन समर्थकों की निराशा को दर्शाता है जिन्होंने सरफराज के सफर को करीब से देखा है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 70 से ज़्यादा की औसत और मुंबई के लिए मैच जिताऊ पारियाँ खेलने के बावजूद,उन्हें भारतीय टीम में बार-बार नज़रअंदाज़ किया गया है। इस हालिया बदलाव को इन उपेक्षाओं के प्रति उनकी खामोश लेकिन सशक्त प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है,यह साबित करने का एक तरीका है कि वह अपनी जगह बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
केविन पीटरसन जैसी क्रिकेट हस्तियों ने सरफराज की प्रतिबद्धता की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की, इसे “उत्कृष्ट प्रयास” बताया और पृथ्वी शॉ जैसे अन्य खिलाड़ियों से भी प्रेरणा लेने का आग्रह किया। हरभजन सिंह जैसे पूर्व खिलाड़ियों और कई प्रशंसकों का मानना है कि सरफराज का लगातार अच्छा घरेलू रिकॉर्ड और उनकी बेहतर फिटनेस के कारण चयनकर्ताओं के पास अब उन्हें नज़रअंदाज़ करने का कोई बहाना नहीं है।
सरफराज के पिता ने बताया कि उनके बेटे का यह बदलाव सख्त आहार और अनुशासित फिटनेस व्यवस्था की बदौलत आया। उन्होंने चावल,ब्रेड,चीनी और जंक फ़ूड सब कुछ छोड़ दिया और उनकी जगह ग्रिल्ड मीट,उबली हुई सब्ज़ियाँ और उच्च प्रोटीन, कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार अपनाया। ट्रेनिंग सेशन दोगुने कर दिए गए और ज़ोरदार कार्डियो वर्कआउट उनकी दिनचर्या बन गया। जीवनशैली में यह बदलाव न केवल सरफराज के समर्पण को दर्शाता है,बल्कि आलोचकों को चुप कराने और फिर से अपनी जगह बनाने के उनके दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है।
सरफ़राज़ ख़ान का यह बदलाव सिर्फ़ शारीरिक नहीं,बल्कि प्रतीकात्मक है। यह बरसों की दबी हुई हताशा,आगे बढ़ने की ज़िद और भारतीय टीम की कैप पहनने के अटूट जुनून को दर्शाता है। चयनकर्ता इस बार ध्यान दें या न दें,एक बात तो तय है कि सरफ़राज़ पीछे नहीं हट रहे हैं। वह पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत,दुबले-पतले और ज़्यादा ऊर्जावान हैं।