राँची,28 जून (युआईटीवी)- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन्हें जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने नियमित जमानत दे दी है। हेमंत सोरेन के अधिवक्ता और प्रवर्तन निदेशालय के एएसजी एस.वी.राजू की दलील 13 जून को पूरी हो गई,जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को राँची के बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन की हेराफेरी मामले में गिरफ्तार किया था। वह तब से राँची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में हैं। हेमंत सोरेन हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद लगभग पाँच महीने के बाद जेल से बाहर आएँगे। हालाँकि,ईडी ने हाई कोर्ट के हेमंत सोरेन को जमानत देने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
पिछले दिनों हेमंत सोरेन के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अपनी दलील में इस मामले को सिविल नेचर का बताया था। उन्होंने जमीन को भुईंहरी जमीन बताते हुए कहा था कि इसका ट्रांसफर नहीं हो सकता है। इसलिए,मनी लॉन्ड्रिंग इस मामले में नहीं हुई है।
वहीं ईडी की ओर से दिए गए दलील में कहा गया था कि हेमंत सोरेन जिस जमीन को लेकर अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं,उस पर उन्होंने कब्जा करने के लिए अधिकारियों की मदद ली थी। उनके पूर्व राजनीतिक सलाहकार ने उस जमीन का हेमंत सोरेन के होने की बात को स्वीकार किया है।
ईडी ने दावा किया है कि राजस्व कर्मी भानु प्रताप जिन्हें जमीन घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया है,उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया है। संबंधित जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की योजना थी। हेमंत सोरेन के मोबाइल पर आर्किटेक्ट विनोद सिंह ने इससे जुड़ा नक्शा भी भेजा था। अपनी दलील में ईडी के अधिवक्ता ने कहा था कि यदि हेमंत सोरेन को जमानत मिल जाती है,तो वे सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर जाँच में बाधा डाल सकते हैं।