नयी दिल्ली,14 जून (युआईटीवी)- 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट ‘बोइंग 787-8’ के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस त्रासदी में विमान में सवार सभी 241 यात्रियों, मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं और अन्य लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इस भयावह हादसे की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बहु-विभागीय समिति गठित की है,जो इस दुर्घटना के कारणों की गहराई से जाँच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करेगी।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह समिति पहले से दुर्घटना की जाँच कर रही एजेंसियों जैसे विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (एएआईबी) का विकल्प नहीं होगी, बल्कि यह एक पूरक संस्था के रूप में कार्य करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य इस हादसे के मूल कारणों की पहचान करना,यंत्रवत असफलता,मानवीय त्रुटि,मौसम की प्रतिकूलता,नियामक प्रक्रियाओं का पालन और अन्य संभावित कारणों का विश्लेषण करना है। इसके आधार पर समिति एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगी जो भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को टालने में मददगार होगी।
13 जून को जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार,इस समिति में कई मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इनमें नागर विमानन सचिव,गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव,गुजरात गृह विभाग,गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जीएसडीएमए),अहमदाबाद पुलिस आयुक्त,वायुसेना के महानिदेशक (निरीक्षण एवं सुरक्षा),नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके अलावा,खुफिया ब्यूरो (आईबी) के विशेष निदेशक और फॉरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय के प्रमुख को भी इस जाँच समिति में शामिल किया गया है।
सरकार ने यह भी कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर विमानन विशेषज्ञों,कानूनी सलाहकारों और तकनीकी विश्लेषकों को भी समिति में शामिल किया जा सकता है।
समिति को विमान से संबंधित सभी तकनीकी और प्रशासनिक दस्तावेजों तक पहुँच होगी। इसमें फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर),कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर),विमान की रखरखाव रिपोर्ट,एटीसी लॉग,प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम्स का ब्योरा शामिल होगा। यदि हादसे में विदेशी नागरिकों की भूमिका हो या विमान निर्माता कंपनियों से जुड़ी कोई तकनीकी जानकारी लेनी हो,तो यह समिति अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से भी सहयोग करेगी।
समिति न सिर्फ तकनीकी खामियों को देखेगी,बल्कि यह भी जाँच करेगी कि आपातकालीन बचाव कार्यों में कौन-कौन सी एजेंसियाँ शामिल थीं,उनका समन्वय कैसा था और कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हुई।
तकनीकी खामी, मानवीय भूल,मौसम,सुरक्षा मानकों की अनदेखी जैसे सभी पहलुओं का गहन विश्लेषण किया जाएगा।
जाँच के आधार पर ऐसा एसओपी तैयार किया जाएगा,जो न केवल हादसों को रोकने में मदद करे,बल्कि हादसे के बाद की स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी दिशा-निर्देश भी प्रदान करे। इसमें अंतर्राष्ट्रीय मानकों और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को शामिल किया जाएगा।
समिति सभी हितधारकों की आपातकालीन प्रतिक्रिया की समीक्षा करेगी जैसे दमकल विभाग,पुलिस,स्थानीय प्रशासन,एयरपोर्ट अथॉरिटी,मेडिकल सहायता दल आदि की भूमिका और समन्वय का मूल्यांकन।
सरकार को सुझाव दिए जाएँगे कि किस तरह से नीतिगत बदलाव,प्रशिक्षण में सुधार और संचालनात्मक प्रक्रियाओं में आधुनिक तकनीक का समावेश किया जा सकता है।
समिति देश में पूर्व में हुई ऐसी विमान दुर्घटनाओं की समीक्षा करेगी,ताकि यह समझा जा सके कि क्या कोई समान पैटर्न इन घटनाओं में नजर आता है।
यह समिति यह भी देखेगी कि राज्य और केंद्र की विभिन्न एजेंसियों ने इस संकट में क्या भूमिका निभाई और क्या उसमें सुधार की आवश्यकता है।
यह समिति तीन महीने की समयसीमा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसमें पूरे हादसे की विस्तृत जाँच रिपोर्ट के साथ-साथ नीतिगत सिफारिशें,तकनीकी सुधार, प्रशिक्षण के नए प्रारूप और एसओपी का एक प्रारूप शामिल होगा। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान करेगी।
एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। सरकार की इस त्वरित और बहु-आयामी जाँच पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकेगा। उच्चस्तरीय समिति का गठन इस दिशा में एक ठोस कदम है,जो न केवल हादसे की तह तक जाएगी,बल्कि विमानन सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत और आधुनिक संरचना खड़ी करने में मददगार साबित होगी।