ईरान में शोक और शक्ति का प्रदर्शन (तस्वीर क्रेडिट@harnathsinghmp)

ईरान में शोक और शक्ति का प्रदर्शन: इजरायली हमले में मारे गए 60 शीर्ष अधिकारियों और वैज्ञानिकों को दी गई अंतिम विदाई

तेहरान,28 जून (युआईटीवी)- ईरान की राजधानी तेहरान में शनिवार को एक ऐतिहासिक और अत्यंत भावुक अंत्येष्टि समारोह आयोजित किया गया,जिसमें इजरायली हमले में मारे गए 60 से अधिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों,न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स और उनके परिवारजनों को अंतिम विदाई दी गई। यह आयोजन न केवल शोक का प्रतीक था,बल्कि ईरानी समाज,सत्ता और सैन्य प्रतिष्ठान के भीतर गहराते आक्रोश और एकजुटता का प्रतीक भी बना।

यह अंतिम संस्कार कार्यक्रम तेहरान के मध्य स्थित एंगहेलाब (क्रांति) चौक से सुबह 8 बजे शुरू हुआ। इसके बाद एक विशाल शवयात्रा लगभग 11 किलोमीटर दूर आजादी स्क्वायर तक निकाली गई,जहाँ धार्मिक रस्में और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संपन्न हुई। पूरे कार्यक्रम को ईरान के राष्ट्रीय टीवी चैनलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लाइव प्रसारित किया गया।

इस सामूहिक अंत्येष्टि में प्रमुख चेहरा जनरल मोहम्मद बघेरी का रहा,जो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बाद देश के सशस्त्र बलों के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी माने जाते थे।

बघेरी को उनकी पत्नी और बेटी के साथ दफनाया गया। साथ ही,ईरान के वरिष्ठ न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहम्मद मेहदी तेहरानची को भी श्रद्धांजलि दी गई और उन्हें उनकी पत्नी के साथ दफनाया गया। इन दोनों के अलावा कुल 60 शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई,जिनमें चार महिलाएँ और चार बच्चे भी शामिल हैं,जो इस युद्ध में हुए मानवीय नुकसान को गहराई से दर्शाता है।

यह संघर्ष 13 जून को तब शुरू हुआ,जब इजरायल ने एक सीरीज के तहत ईरान पर हमला किया। इजरायल का दावा था कि यह हमला ईरान की बढ़ती न्यूक्लियर क्षमताओं को खत्म करने के लिए किया गया। इजरायली हमलों में ईरान की सैन्य और वैज्ञानिक संरचना को बुरी तरह क्षति पहुँची है।

विशेष रूप से, रिवोल्यूशनरी गार्ड के लगभग 30 टॉप कमांडर्स की जान गई है। इसमें आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ होसैन सलामी और एयरोस्पेस फोर्सेज के प्रमुख अमीरली हाजीजादेह भी शामिल थे। इन हमलों से ईरान की सैन्य संरचना और नेतृत्व को गहरा झटका लगा है।

ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार,इस इजरायली हमले में अब तक कम-से-कम 627 लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि लगभग 4,900 लोग घायल हुए हैं। इस आँकड़े में सैन्यकर्मी,वैज्ञानिक,आम नागरिक और बच्चे भी शामिल हैं। ये आँकड़े इस संघर्ष की क्रूरता और व्यापकता को उजागर करते हैं।

अंतिम संस्कार में भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में नागरिक,सरकारी अधिकारी,धार्मिक नेता और सेना के जवान इस आयोजन में शामिल हुए। यह सिर्फ एक औपचारिक अंत्येष्टि नहीं,बल्कि एक सामूहिक शोक और राष्ट्रव्यापी गुस्से का प्रतीक बन गई। कई लोगों ने काले झंडे लहराए और “शहीदों अमर रहें” जैसे नारे लगाए।

ईरानी राज्य मीडिया ने इस आयोजन को हाल के वर्षों का “सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक अंतिम संस्कार” बताया। यह आयोजन सरकार और सेना के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करने का मंच भी बन गया।

सरकार ने इस आयोजन के दौरान राजधानी तेहरान में व्यापक सुरक्षा इंतज़ाम किए। राजधानी के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में भारी सैन्य तैनाती की गई। ड्रोन निगरानी, चेकपॉइंट्स और सड़कों की नाकाबंदी की गई,ताकि किसी भी अव्यवस्था या विरोध को रोका जा सके।

इस अंतिम संस्कार में ईरान के शीर्ष नेता,मंत्री,शिया धर्मगुरु और आईआरजीसी के बाकी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे,जिससे यह आयोजन एक राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन जैसा प्रतीत हुआ।

इस ऐतिहासिक सामूहिक अंत्येष्टि ने न केवल मृतकों को सम्मानित किया,बल्कि ईरान के भीतर एकजुटता,प्रतिरोध और बदले की भावना को भी उजागर किया। यह आयोजन स्पष्ट संकेत देता है कि ईरान अब इस संघर्ष को केवल सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि वैचारिक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी लड़ रहा है।

अब सवाल यह है कि क्या यह अंतिम संस्कार भविष्य में किसी और बड़ी प्रतिक्रिया का संकेत है? और क्या इस शोक की लहर से कोई कूटनीतिक हल निकलेगा या टकराव और गहराएगा?

एक बात तो तय है कि यह युद्ध अब केवल गोलियों तक सीमित नहीं रहा,यह अब जनता के दिलों में भी उतर गया है।